महात्मा गांधी के सेक्स-जीवन को केंद्र बनाकर लिखी गई किताब “गांधीः नैक्ड
ऐंबिशन” में एक ब्रिटिश प्रधानमंत्री के हवाले से ऐसा ही कहा गया है।
महात्मा गांधी पर लिखी किताब आते ही विवाद के केंद्र में आ गई है जिसके
चलते अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उसकी मांग बढ़ गई है। मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार
जैड ऐडम्स ने पंद्रह साल के अध्ययन और शोध के बाद “गांधीः नैक्ड ऐंबिशन”
को किताब का रूप दिया है। किताब में वैसे तो नया कुछ नहीं है। राष्ट्रपिता
के जीवन में आने वाली महिलाओं और लड़कियों के साथ गांधी के आत्मीय और मधुर
रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डाला गया है। रिश्ते को सनसनीख़ेज़ बनाने की कोशिश
की गई है। मसलन, जैड ऐडम्स ने लिखा है कि गांधी नग्न होकर लड़कियों और
महिलाओं के साथ सोते ही नहीं थे बल्कि उनके साथ बाथरूम में “नग्न स्नान” भी
करते थे। महात्मा गांधी हत्या के साठ साल गुज़र जाने के बाद भी हमारे
मानस-पटल पर किसी संत की तरह उभरते हैं। अब तक बापू की छवि गोल फ्रेम का
चश्मा पहने लंगोटधारी बुजुर्ग की रही है जो दो युवा-स्त्रियों को लाठी के
रूप में सहारे के लिए इस्तेमाल करता हुआ चलता-फिरता है। आख़िरी क्षण तक
गांधी ऐसे ही राजसी माहौल में रहे। मगर किसी ने उन पर उंगली नहीं उठाई। ऐसे
में इस किताब में लिखी बाते लोगों ख़ासकर, गांधीभक्तों को शायद ही हजम
हों। दुनिया के लिए गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के आध्यात्मिक नेता
हैं। वह अहिंसा के प्रणेता और भारत के राष्ट्रपिता भी हैं। जो दुनिया को
सविनय अवज्ञा और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। कहना न होगा कि
दुबली काया वाले उस पुतले ने दुनिया के कोने-कोने में मानव अधिकार
आंदोलनों को ऊर्जा दी, उन्हें प्रेरित किया। नई किताब यह खुलासा करती है
कि गांधी उन युवा महिलाओं के साथ ख़ुद को संतप्त किया जो उनकी पूजा करती
थीं और अकसर उनके साथ बिस्तर शेयर करती थीं। बहरहाल, ऐडम्स का दावा है कि
लंदन से क़ानून की पढ़ाई करने के बाद वकील से गुरु बने गांधी की इमैज कठोर
नेता की बनी जो अपने अनोखी सेक्सुअल डिमांड से अनुयायियों को वशीभूत कर
लेता है। आमतौर पर लोग के लिए यह आचरण असहज हो सकता है पर गांधी के लिए
सामान्य था। ऐडम्स ने किताब में लिखा है कि गांधी ने अपने आश्रमों में इतना
कठोर अनुशासन बनाया था कि उनकी छवि 20वीं सदी के धर्मवादी नेताओं जैम्स
वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश की तरह बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स अपील से
अनुयायियों को क़रीब-क़रीब ज्यों का त्यों वश में कर लेते थे। ब्रिटिश
हिस्टोरियन के मुताबिक महात्मा गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना
बेहद पसंद करते थे। किताब के मुताबिक हालांकि अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की
तरह गांधी कामुक भी थे और सेक्स से जुड़े तत्थों के बारे में आमतौर पर खुल
कर लिखते थे। अपनी इच्छा को दमित करने के लिए ही उन्होंने कठोर परिश्रम का
अनोखा स्वाभाव अपनाया जो कई लोगों को स्वीकार नहीं हो सकता। किताब की
शुरुआत ही गांधी की उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी ख़ुद लिखा या
कहा करते थे कि उनके अंदर सेक्स-ऑब्सेशन का बीजारोपण किशोरावस्था में हुआ
और वह बहुत कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्र में 12 साल की कस्तूरबा से
विवाह होने के बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे। यहां तक कि उनके पिता
कर्मचंद उर्फ कबा गांधी जब मृत्यु-शैया पर पड़े मौत से जूझ रहे थे उस समय
किशोर मोहनदास पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम में सेक्स का आनंद ले रहे
थे। किताब में कहा गया है कि विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक
और असामान्य आदत वाला इंसान मानने लगे थे। सीनियर लीडर जेबी कृपलानी और
वल्लभभाई पटेल ने गांधी के कामुक व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली।
यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी इससे ख़फ़ा थे।
कई लोगों ने गांधी के प्रयोगों के चलते आश्रम छोड़ दिया। ऐडम ने गांधी और
उनके क़रीबी लोगों के कथनों का हवाला देकर बापू को अत्यधिक कामुक साबित
करने का पूरा प्रयास किया है। किताब में पंचगनी में ब्रह्मचर्य का प्रयोग
का भी वर्णन किया है, जहां गांधी की सहयोगी सुशीला नायर गांधी के साथ
निर्वस्त्र होकर सोती थीं और उनके साथ निर्वस्त्र होकर नहाती भी थीं। किताब
में गांधी के ही वक्तव्य को उद्धरित किया गया है। मसलन इस बारे में गांधी
ने ख़ुद लिखा है, “नहाते समय जब सुशीला निर्वस्त्र मेरे सामने होती है तो
मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं। मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल
साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है। मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी
तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ अंतःवस्त्र पहनी होती है।” किताब के
ही मुताबिक जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गांधी ने 18 साल की मनु को बुलाया
और कहा “अगर तुम साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते। आओ
आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने
और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें।” ऐडम का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली
सुशीला, मनु और आभा ने गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा
अस्पष्ट बात कही। जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह ब्रह्मचर्य के
प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग है। ऐडम्स के मुताबिक गांधी अपने लिए
महात्मा संबोधन पसंद नहीं करते थे और वह अपने आध्यात्मिक कार्य में मशगूल
रहे। गांधी की मृत्यु के बाद लंबे समय तक सेक्स को लेकर उनके प्रयोगों पर
लीपापोती की जाती रही। हत्या के बाद गांधी को महिमामंडित करने और
राष्ट्रपिता बनाने के लिए उन दस्तावेजों, तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर
दिया, जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत गांधी दरअसल सेक्स मैनियैक थे।
कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी और उनके सेक्स-एक्सपेरिमेंट से
जुड़े सच को छुपाती रही है। गांधीजी की हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने
की सलाह दी गई। सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप ही रहीं। किताब में ऐडम्स
दावा करते हैं कि सेक्स के जरिए गांधी अपने को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और
परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे रहे। नवविवाहित जोड़ों को अलग-अलग सोकर
ब्रह्मचर्य का उपदेश देते थे। ऐडम्स के अनुसार सुशीला नायर, मनु और आभा के
अलावा बड़ी तादाद में महिलाएं गांधी के क़रीब आईं। कुछ उनकी बेहद ख़ास बन
गईं। बंगाली परिवार की विद्वान और ख़ूबसूरत महिला सरलादेवी चौधरी से गांधी
का संबंध जगज़ाहिर है। हालांकि गांधी केवल यही कहते रहे कि सरलादेवी उनकी
“आध्यात्मिक पत्नी” हैं। गांधी जी डेनमार्क मिशनरी की महिला इस्टर फाइरिंग
को प्रेमपत्र लिखते थे। इस्टर जब आश्रम में आती तो बाकी लोगों को जलन होती
क्योंकि गांधी उनसे एकांत में बातचीत करते थे। किताब में ब्रिटिश एडमिरल की
बेटी मैडलीन स्लैड से गांधी के मधुर रिश्ते का जिक्र किया गया है जो
हिंदुस्तान में आकर रहने लगीं और गांधी ने उन्हें मीराबेन का नाम दिया।
ऐडम्स ने कहा है कि नब्बे के दशक में उसे अपनी किताब “द डाइनैस्टी” लिखते
समय गांधी और नेहरू के रिश्ते के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। इसके
बाद लेखक की तमन्ना थी कि वह गांधी के जीवन को अन्य लोगों के नजरिए से
किताब के जरिए उकेरे। यह किताब उसी कोशिश का नतीजा है। जैड दावा करते हैं
कि उन्होंने ख़ुद गांधी और उन्हें बेहद क़रीब से जानने वालों की महात्मा के
बारे में लिखे गए किताबों और अन्य दस्तावेजों का गहन अध्ययन और शोध किया
है। उनके विचारों का जानने के लिए कई साल तक शोध किया। उसके बाद इस
निष्कर्ष पर पहुंचे। इस बारे में ऐडम्स ने स्वीकार किया है कि यह किताब
विवाद से घिरेगी। उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं इस एक किताब को पढ़कर भारत
के लोग मुझसे नाराज़ हो सकते हैं लेकिन जब मेरी किताब का लंदन
विश्वविद्यालय में विमोचन हुआ तो तमाम भारतीय छात्रों ने मेरे प्रयास की
सराहना की, मुझे बधाई दी।” 288 पेज की करीब आठ सौ रुपए मूल्य की यह किताब
जल्द ही भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होगी। \'गांधीः नैक्ड ऐंबिशन\' का लंदन
यूनिवर्सिटी में विमोचन हो चुका है। किताब में गांधी की जीवन की तक़रीबन हर
अहम घटना को समाहित करने की कोशिश की गई है। जैड ऐडम्स ने गांधी के
महाव्यक्तित्व को महिमामंडित करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि उनके
सेक्स-जीवन की इस तरह व्याख्या की है कि गांधीवादियों और कांग्रेसियों को
इस पर सख़्त ऐतराज़ हो सकता है। —
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कोरी बकवास.....!! किसी दूसरे के कंधे पर हथियार रखकर किया जाने वाला शर्मनाक एवं वीभत्स कारनामा ( हमला) है यह. कोई कह दे कि गाँधी डाकू थे , मेने २१ साल शोध किया.. हो गए वह अपराधी. बात को आगे बढ़ने वाले को भी २४/४८ घंटे की जाँच कर लेनी चाहिए थी, नेट पर ही इसी विषय पर कुछ पढ़ लेना था.... जो नहीं किया गया ... दुखद...!! शायद सस्ती लोकप्रियता आसान लगने लगी है.....
जवाब देंहटाएंManoj Tewari, क्या आप बडे दांभिक है?
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