नई दिल्ली।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के कामकाज से बेहद नाखुश हैं और वह जल्द से जल्द उनसे पिंड छूटने का इंतजार कर रहे हैं। अंग्रेजी अखबार डीएनए के मुताबिक, प्रणव की आर्थिक संकट से निपटने में नाकामी के बाद मनमोहन वित्त मंत्रालय की कमान अपने हाथ में लेना चाहते हैं। वह बस इस इंतजार में हैं कि सोनिया गांधी प्रेजिडेंट पद के लिए प्रणव के नाम को हरी झंडी दें और वह वित्त मंत्रालय का कामकाज खुद देखें।
अखबार के मुताबिक, प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (पीएमओ) के अंदर यह चर्चा जोरों पर है कि मुखर्जी के इस्तीफे के बाद मनमोहन वित्त मंत्रालय का कामकाज अपने हाथ में लेना चाहते हैं। मनमोहन चाहते हैं कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और अब इकनॉमिक अडवाइजरी काउंसिल के अध्यक्ष सी रंगराजन वित्त मंत्रालय में सक्रिय भूमिका निभाएं। मनमोहन की इच्छा तो रंगराजन को वित्त मंत्री की कुर्सी पर बैठे देखने की भी बताई जाती है, लेकिन यह फिलहाल कहीं से भी मुमकिन होता नहीं दिखता। कांग्रेस के कई सीनियर लीडर इसे हजम नहीं कर पाएंगे।
गौरतलब है कि यूपीए-1 के कार्यकाल में भी मनमोहन सिंह अपने खासमखास योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को वित्त मंत्री बनाना चाहते थे। उन्होंने कई बार इसके लिए पूरा जोर भी लगाया, लेकिन पार्टी को वह इसके लिए रजामंद नहीं कर पाए।
गौरतलब है कि पीएमओ और वित्त मंत्रालय के बीच पिछले कुछ अरसे से दूरियां बढ़ी हैं। पीएम, प्रणव की परफॉर्मेंस से खुश नहीं हैं और उनके कुछ कदम उन्हें बदलते दौर के हिसाब से मुफीद नहीं लगते हैं। हालांकि आर्थिक संकट से निपटने में नाकामी के बाद भी प्रणव के बड़े कद को देखते हुए मनमोहन ने कभी भी सार्वजनिक मंच पर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की।
आर्थिक मंदी के खिलाफ जंग में मनमोहन खासमखास रंगराजन को अपना जनरल बनना चाहते हैं। सिंह को पता है कि 2014 में अगर यूपीए सत्ता में वापस भी आती है तो वह पीएम नहीं बन पाएंगे। ऐसे में वह इन आखिरी 24 महीनों में अपने करियर से आर्थिक खस्ताहाली का यह दाग धो देना चाहते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें