गुरुवार, 19 मई 2011

रावण रथी विरथ रघुवीरा

रावण रथी विरथ रघुवीरा
राम चरित मानस  के राम-रावण युद्ध प्रसंग में तुलसीदास जी ने उक्त पंक्ति लिखी है|  न्याय और धर्म के प्रतीक भगवान् राम की  पैदल अर्थात साधन विहीनता और अन्यायी रावण की सम्पन्नता का चित्रण करती है यह पंक्ति-रावण रथी विरथ रघुवीरा, देखि विभीषण भयहूँ अधीरा |
       आज रावण को मरे हुए लाखों वर्ष हो चुकें हैं| पर हालात में क्या बदला? राम भक्तों के देश भारत में रावण आज भी सुविधा संपन्न हैं| राम का बनवास आज भी जारी है| जब तक रावणों के दुर्दिन नहीं आएंगे तब तक रामराज्य की स्थापना सिर्फ छलावा ही कही जायेगी| क्या करोड़ों रामभक्त मिलकर कोई ऐसा आन्दोलन नहीं खड़ा कर सकते जिससे राम का बनवास ख़त्म हो सके?       आपका - सुशील अवस्थी "राजन"

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