शुक्रवार, 6 मई 2011

"Band Baja-Barat..Aur Sirf Ek Raat"

बैंड बाजा बारात और सिर्फ एक रात
       शादियों के मौसम में बैंड बाजा और बारात से सभी का सबका पड़ता है| सिर्फ एक रात में महँगी शादियों में इतना रुपया बर्बाद हो जाता है जितने में एक जोड़ा अपना भविष्य सँवार सकता है| अमीर चाहे जितना धन बर्बाद करें,पर देखने में यह आता है कि दिखावे का यह भूत गरीबों पर भी मजबूती से सवार होता है| दुर्भाग्य यह कि कहीं कोई सकारात्मक आवाज़ उठती नहीं दिखती है इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ| काम तो बाद में किया जायेगा,कम से कम बात तो शुरू की जाय इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ| मैंने तो बात प्रारंभ की है और आप ?

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