गुरुवार, 30 जून 2011

"राम-राम कहु राम"

        राम समस्त प्राणियों के भगवान् हैं| उनकी सांवली सलोनी मूरत से ज्यादा आकर्षक हैं उनके आदर्श और कार्य| यही कारण है कि उनके अवतार के लाखों वर्ष बाद भी सारी दुनिया उन्हें श्रद्धा,विश्वास के साथ याद करती है| प्रभु राम का जीवन उच्च आदर्शों की स्थापना और उनके अनुपालन का उच्च उदाहरण है|
        चाहे घर में छिड़ी सत्ता हांसिल करने की लडाई हो या जंगल में निवास कर रहे भील,निषाद,शबरी  जैसे वंचित तबको को सम्मान देनें की बात, प्रभु राम ने जीवन के हर पल में उच्च आदर्श स्थापित किये| जब राजा बनने का अवसर मिला तो अपने उच्च आदर्शों को साकार रूप देते हुए जिस तरह सत्ता का सञ्चालन किया, उसका दूसरा उदाहरण आज तक धरती वासियों को नहीं देखने को मिला| लेकिन उच्च राजनीतिक आदर्श स्थापित करने के लिए श्री राम को अपनी प्राण-प्रिय पत्नी सीता का भी परित्याग करना पड़ा|
      आज के गिरते राजनीतिक स्तर को देखते हुए ये आदर्श हजारों हिमालयों की ऊँचाई से भी ऊँचे दिखते हैं| अपने को भगवान् राम का अनुयायी कहना बहुत आसान है, परन्तु राम के आदर्शों को अपने जीवन में धारण करना बहुत कठिन है| फिर भी एक राजनीतिक दल के लोग दिन भर जय श्री राम का उद्घोष कर अपनें आपको राम का असली उत्तराधिकारी घोषित करते रहते हैं| इनको देखकर मुझे लगता है कि राम के बारे में अगर किसी की धारणा सबसे गलत है तो इन्ही लोगों की| राम ऐसे लोगों को सद्बुद्धि दें|


 
           सुशील अवस्थी "राजन"
                         09454699011

बुधवार, 29 जून 2011

"पाक-चीन गठजोड़ है भारत के लिए घातक"

      सैन्य ताकत में पाकिस्तान भारत से बहुत पीछे है, इसको  भारत ने नहीं बल्कि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री चौधरी अहमद मुख़्तार ने स्वीकार किया है| उन्होंने यह भी कहा है कि पाकिस्तान चाहकर भी हिंदुस्तान का मुकाबला नहीं कर सकता, कारण भारत और पाक की अर्थव्यवस्थाओं में जमीन  आसमान  का अंतर  है|
          आतंकवाद के अंतर्राष्ट्रीय आपूर्तिकर्ता पाकिस्तान की ताकत आमने-सामने के ही युद्ध में कमजोर है, बाकी कलाबाजियों में वह भारत से कोसों आगे है| आतंक से लडाई के नाम पर उसने अमेरिका जैसे देशों को जैसे घुटने के बल बैठा कर अपनी झूंठी कहानियों को सच मनवाया है, वह भी तो एक कला है| लादेन जैसे आतंकी को घर बैठा कर सालों उसे मिलकर खोजने का नाटक आसान है क्या?
      हम भारत के लोग अपनी सारी ताकत लगाने के बाद दुनिया के देशों को एक छोटा सा सच नहीं समझा सके कि "आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति है" जबकि वह आतंकवाद के खिलाफ चल रही लडाई का प्रमुख योद्धा होने का झूठ सबको समझा ले गया है|
      परन्तु बदले हालातों ने पाकिस्तान को फिर एक नयी गुलाटी लगाने के लिए विवश किया है| लादेन के मारे जाने के बाद  अमेरिका-पाक संबंधों की मिठास में खासा असर आया है| अब अमेरिका का स्वाभाविक झुकाव भारत की ओर होगा| इसका आभास ही पाकिस्तान की चिंता की मूल वजह है| अमेरिका के लिए जब लादेन मुख्य मुद्दा था, तब पाकिस्तान उसके लिए "जरुरी/मज़बूरी" था, लेकिन लादेन को ख़त्म करने के बाद अपनी आर्थिक ताकत को बनाये और बचाए रखना ही उसका प्रमुख लक्ष्य है| उसके इस लक्ष्य की पूर्ति में दुनिया की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाला देश भारत मददगार हो सकता है, न कि कटोरा लिए सारी दुनिया में भीख मांगता फिर रहा पाकिस्तान|
         ये सब बातें पाकिस्तान के गुलाटी बाज़ नेता,राजनयिक,और सेनापति जान चुके हैं| तभी तो लादेन के मारे जाने के कुछ ही दिन बाद पाकिस्तान हमारे एक दुश्मन जैसे पडोसी देश चीन की चौखट से सारी दुनिया को चाटुकारी अंदाज़ में चिल्ला-चिल्ला कर बता रहा था, कि अमेरिका नहीं चीन ही उसका असली मित्र है|
       सैन्य ताकत में भले ही पाकिस्तान हमसे कमजोर हो, लेकिन चीन के साथ उसका गठजोड़ उसे भारत के लिए अत्यधिक घातक बना देता है| हमें भी दुनिया के ताकतवर देशों से मिलकर अपनी सुरक्षा को चाक-चौबंद रखना होगा| तेजी से बढती हमारी अर्थव्यवस्था हमारी  सबसे बड़ी ताकत है,अपनी इसी ताकत का इस्तेमाल हमें अपनी विदेश व कूटनीति में करना होगा|
आपका -
              सुशील अवस्थी "राजन"
                          मोबाइल -      09454699011 

मंगलवार, 28 जून 2011

" बारिश का बहाना है"

      झमाझम बारिश की ख़बरें| लोगों के भीगते फोटो, बारिश का मजा लेते युवा लडकें,लड़कियों के फोटो, लेकिन इन सब के बीच भारतीय किसान का फोटो ही वास्तविक फोटो है, परन्तु ये फोटो किसी अख़बार में छपा है क्या? वह किसान जो सारे देश का पेट भरता है,उसकी झोली सिर्फ बारिश की बूंदें ही भर सकती हैं| हमारे देश में खेती को मानसून का जुआं अंग्रेजों के शासन काल में कहा जाता था, लेकिन हमारे अपने लोगों के शासन में भी खेती किसानी मानसून का जुआं ही बनी हुई है| इसलिए किसान का फोटो कहीं छपे न छपे बारिश की ख़ुशी सिर्फ उसके चेहरे पर पढ़ी जा सकती है, लेकिन ये ख़ुशी पढने के लिए हमको-आपको वह द्रष्टि पैदा करनी होगी|
       वास्तविकता यह है कि हिंदुस्तान में कृषि के सामने एक या दो समस्याएँ नहीं हैं, बल्कि समस्याओं का अम्बार है| उस पर दुर्भाग्य कि हमारे अपने भारत-भाग्य-विधाताओं ने कभी किसानों के लिए कुछ करने की सोंची भी नहीं, सिर्फ कहा है| किसानों में फैली अशिक्षा,और गरीबी की महामारी को ख़त्म किये बगैर उनका भला किया भी नहीं जा सकता| कौन करेगा किसानों का भला?

आपका -

                                                   सुशील अवस्थी "राजन"
                                               मोबाइल -    09454699011   

शनिवार, 25 जून 2011

"सत्ता बेरहम होती है"

       सत्ता बेरहम होती है, इसकी बानगी यूपी और देश के लोगों ने डॉ. सचान  मौत  प्रकरण में देखा है| शरीर में आठ जगह धारदार हथियार से किये गए घावों के बाद भी सरकारी अमला बड़ी बेशर्मी से चिल्लाता रहा कि प्रथम दृष्टया ये आत्म हत्या का मामला लगता है| जबकि आम आदमी प्रथम दृष्टया ही इसे हत्या का मामला समझ चुका है| करोड़ों रुपयों के घपले के खेल में नीचे से ऊपर तक कई ताकतवर लोग शामिल हैं, यह भी जनता समझ रही है/ इसी कारन दो cmo और अब एक डिप्टी cmo सचान को अपनी जान से हाँथ धोना पड़ा है/ सरकार अपने आपको पाक-साफ सिर्फ सीबीआई जाँच की संस्तुति कर ही कर सकती है/ लेकिन दुर्भाग्य कि सरकार अपने आपको पाक साफ दिखाने की कोई जरुरत ही नहीं महसूस कर रही है/ वोट तो जातिवाद से आता है पाक साफ दिखने से नहीं, सरकार संचालकों के मन में यही दुर्विचार उनके अति आत्म विश्वास व हठ धर्मिता का प्रमुख कारण है/
     अन्ना जैसे ईमानदार देशभक्त को अपमानित करनेवाली केंद्र सरकार भी यही सन्देश दे रही है कि सत्ता बेरहम होती है/ पेट्रोल,डीजल,रसोई गैस के बढ़ते दाम भी कह रहे हैं कि सत्ता बेरहम होती है/ बाबा रामदेव के सोते भक्तों पर चटकी लाठियों ने भी यही कहा था/ भगवान् राम जिस अपनी प्राण-प्रिय पत्नी के लिए रावण जैसे महापराक्रमी से भिड गए थे, उसी सीता को अयोध्या की सत्ता पर सत्ता नसीन होते ही खुद ही वनवास का मार्ग प्रशस्त करते हैं, रामायण की यह घटना भी लाखों साल से यही सन्देश दे रही है कि सत्ता बेरहम होती है/

शुक्रवार, 24 जून 2011

"चारों तरफ अंधेर मची है.......

       उत्तर प्रदेश में ये क्या हो रहा है? डॉ. सचान की लखनऊ जेल में जिस जघन्यता से हत्या की गयी है उससे सारा प्रदेश शर्मसार हुआ है| पर प्रदेश सरकार की बेशर्मी की इंतहा तो देखिये कि वह प्रथम द्रष्टया ही हत्या लग रहे केस को आत्म हत्या साबित करने  पर तुली है| प्रदेश के हालात बयां करता एक गाना मुझे याद आ रहा है "चारों तरफ अंधेर मची है, पानी महंगा सस्ता खून| कोई बताये है ये कैसा माया का कानून" थानों में सिपाही बलात्कार और हत्याएं कर रहे हैं| प्रदेश की जेलों को सरकारी अपराधियों के हवाले कर दिया गया है| किसानों की जमीनों को जबरदस्ती उनसे छीन कर पूजीपतियों के हवाले किया जा रहा है| आवाज़ उठानेवालों को लाठी गोली से डराया जा रहा है| जिस अख़बार में डॉ.सचान की निर्मम सुनियोजित हत्या के सरकारी कारनामे की दास्ताँ  जनता  पढ़ रही है, उसी अख़बार के अगले पृष्ठ पर सरकारी विज्ञापन में कानून व्यवस्था की स्थापना के अभूतपूर्व दावे  प्रदेश की जनता के जले पर नमक छिड़कने जैसे ही लगते हैं| अहंकारी तानाशाही बसपा सरकार के पाप का घड़ा अब भर चुका है| 2012 के विधान सभा चुनाओं में प्रदेश की जनता अपने वोट की ठोकर से इस घड़े को फोड़ने का मन बना चुकी  है|
       अब प्रदेश वासी भाजपा सरकार के कार्यकाल को याद कर रहा है| कांग्रेस की भ्रष्टता, बसपा की धृष्टता , और सपा की उद्दंडता, से जनता पक चुकी है| आज प्रदेश की जनता भाजपा की तरफ आशा भरी  निगाहों से देख रही है| उसका मजबूत कारन हैं कि भाजपा पूरी तरह से लोकतान्त्रिक पार्टी है, न कि किसी ख़ानदान की बपौती|





प्रमोद बाजपेई
सदस्य प्रदेश कार्य समिति,
भारतीय जनता पार्टी,
उत्तर प्रदेश,
मोबाइल- 9415021945  

सोमवार, 20 जून 2011

खतरनाक पैदल छाप ब्रांड हैं अन्ना हजारे

     अनाचारी और अत्याचारी हुकूमतों का विनाश हमेशा पैदल छाप लोगों ने ही किया है| पैदल छाप से  मेरा मतलब साधन विहीन लेकिन चारित्रिक रूप से ईमानदार है| रावण के अत्याचारी शासन का विनाश राम ने किया जो पैदल थे| तुलसीदास जी ने  अपने नायक राम के पैदल होने का प्रमाण अपने महाकाव्य रामचरित मानस में देते हुए लिखा है कि "रावण रथी विरथ रघुवीरा, देखि विभीषण भयहु अधीरा" कंस जैसे आततायी का साम्राज्य ध्वस्त करने के लिए गोकुल गाँव से एक पैदल छाप ग्वाला कृष्ण ही गया था| कंस का आतताई शासन जड़-मूल से उखड गया था| अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला देने वाले आजाद,भगत,सुखदेव,विस्मिल और राजगुरु कोई साधन संपन्न नहीं,बल्कि पैदल छाप ही थे| चाणक्य का उदहारण तो सबको ज्ञात है| भारतीय इतिहास में एक नहीं अनेंक ऐसे उदहारण दिए जा सकते हैं,जहाँ पैदल छाप लोगों ने हुकूमतों को चापा है| सवाल ये है कि क्या जो मुझे और आपको पता है वह केंद्र सरकार चला रहे लोगों को नहीं पता है? यदि पता होता तो अन्ना जैसे पैदल व्यक्ति से सरकार चला रहे लोग सही बर्ताव करते न कि पंगा लेते|
      आज  जन कल्याण से विरत सत्ता प्रतिष्ठान से बाबा रामदेव और अन्ना हजारे नाम के दो व्यक्ति लड़ते दिख रहे हैं| जिसमे एक बाबा रामदेव साधन संपन्न तो दूसरे अन्ना हजारे एकदम पैदल छाप  हैं| अन्ना से सरकार को सतर्क रहने की ज्यादा जरुरत है| क्योंकि पैदल छाप बड़ा खतरनाक ब्रांड है| अन्ना की सादगी,ईमानदारी और देशभक्ति को भारत का जन मानस स्वीकार रहा है| रावण जैसी अहंकारी केंद्र सरकार को अन्ना के चरण पकड़ कर शरणागत हो जाना चाहिए, अन्यथा वह विनाश को प्राप्त हो जाएगी| आप क्या सोंचते हैं? मुझे अवगत कराइए न| आपके विचार जानने को आतुर आपका - सुशील अवस्थी "राजन"
              मोबाइल - 9454699011

कौन प्रदेश यूपी की तर्ज़ पर चलनेवाली सरकार चाहेगा?

   उत्तर प्रदेश अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है| एक नहीं अनेंक घटनाएँ इसका प्रमाण हैं| निघासन थानें में घटी घटना से यूपी अति असुरक्षित प्रदेश बन गया है| क्योंकि यहाँ रक्षक ही भक्षक बन गया है| जिस पुलिस पर महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है,जब वह खुद थानों में बलात्कार और हत्या करने पर उतारू हो जाये,तो इससे कानून व्यवस्था की स्थिति की पैरोकारी करनेवालों को कुछ भी कहने की जरुरत नहीं रह जाती| ये पब्लिक है सब जानती है| अगर अपराधी अपराध करें तो उसे रोंका जा सकता है, लेकिन जब अपराध नियंत्रित करनेवाले हाँथ ही अपराध करने पर उतारू हो जांए तो फिर स्थिति अनियंत्रित ही होती है| हमारे प्रदेश में कमोवेश यही स्थिति है| यहाँ मंत्री और विधायक ही कानून व्यवस्था से बलात्कार करने पर उतारू हैं| और हमारा दुर्भाग्य यह है कि यह सब एक महिला मुख्य मंत्री के नेतृत्व में चल रही सरकार में हो रहा है|
      जबकि हमारी मायावती जी कानून का राज  स्थापित करने में ही माहिर थी| इसीलिये यूपी के लोगों ने उन्हें चुना भी था| पर ऐसा क्या हो गया कि वे अपने मुख्य कार्य को ही अंजाम नहीं दे पा रही हैं| आजकल हमारी मुख्य मंत्री साहिबा दूसरे प्रदेशों में जाकर उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर वहां भी सरकार चलानें की नजीरें दे रही हैं, कौन प्रदेश यूपी की तर्ज़ पर चलनेवाली सरकार चाहेगा?

रविवार, 19 जून 2011

क्या दोबारा अन्ना का अनशन झेल पायेगी केंद्र सरकार?

     एक सवाल कि क्या वर्तमान केंद्र सरकार अन्ना हजारे का एक और अनशन झेल पायेगी? मुझे तो नहीं लगता,आप अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं| अन्ना की ताकत ग्यारह हजार करोड़ रुपयों की ताकत से बहुत बड़ी है| उनकी ताकत उनकी सादगी और इमानदारी है, जिसका सामना कोई सरकार नहीं कर सकती| पता नहीं हमारी सरकार को क्या हो गया है? गांधीवादी तरीकों से अपनी बात रखनेवालों को वह अपना दुश्मन क्यों समझ रही है? लगता है कांग्रेस को गाँधी के विचार अब बोझ लग रहे हैं? 
       वास्तव इस सरकार को यह समझने की जरुरत है कि जनता जागरूक हो रही है| जिसका प्रतिफल ये अन्ना और बाबा रामदेव के रूप में सामने आ रहा है| पहले की तरह जनता अब पांच साल तक किसी की मनमानी देखने के मूड में नहीं लगती है| गलती होगी तो जनता टोंकेगी| ऐसी स्थिति में तो अपनी गलती सुधारने के सिवा दूसरा कोई बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता| पर हमारी सरकार इतनी कमजोर नीव पर खड़ी है की जरा सी जुम्मिस से वह हिल जाती है|
        सरकार और सिविल सोसायटी के बीच चल रहे इस संघर्ष से लोकतान्त्रिक व्यवस्था को कतई कोई खतरा नहीं है बल्कि इससे हमारे लोकतंत्र की चमक में और इजाफा होगा| संचार के आधुनिक साधनों ने सरकार के काम काज पर जनता की निगाह को स्पष्टता दी है,इस बात को कांग्रेस आला कमान जितनी जल्दी समझ ले वही उसके लिए फायदेमंद है| राज्य सरकारों को ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं है,ये पैटर्न नीचे तक आनेवाला है| होशियार.....
        लगता है सिविल सोसायटी की मुखरता के आलोक में ही यूपी विधान सभा चुनाव संपन्न होंगे| घोर जातिवादी, धर्मवादी और अपराधवादी  राजनीती के आदी हो चुके हमारे उत्तर प्रदेश के नेताओं को अपना ट्रेंड बदलना होगा, नहीं तो जनता वह परिणाम देगी जिसकी कल्पना भी कठिन कार्य होगी|

माया-मुलायम या कमल,पंजा..?

     उत्तर प्रदेश की 2012 की भावी राज्य सरकार के स्वरुप का अंदाज़ा लगाना बड़ा ही मुश्किल काम है| फिर भी जब अंदाज़ा ही लगाना है तो आइये हम और आप सब मिल कर अंदाज़ें| ज्ञानी-अज्ञानी सबको मै आमंत्रित करता हूँ कि बताइए यूपी की भावी सरकार किसकी होनी चाहिए और क्यों? क्या हमें मायावती की सरकार को एक और बार सेवा का अवसर देना चाहिए? या मुलायम के सत्ता इंतजार को ख़त्म कर देना चाहिए? या फिर भाजपा को भी सरकार बनाने के लिए दिया गया एक अवसर ठीक रहेगा? कांग्रेस की राहुल ब्रिगेड के बारे में आपकी क्या राय है? और भी कई पार्टियाँ यूपी की राजनीती में सबल बनकर उभर रहीं हैं| हमारी आपकी सबकी सोंच मायने रखती है| क्योंकि सरकार हम और आप ही बनाते हैं|

व्यापारी कब होगा भयमुक्त ?

संदीप कान्त "राजन"
(व्यापारी नेता )  
      सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्य की उसको चलाने के लिए सबसे ज्यादा पैसा व्यापारी समाज से ही आता है| सेवा कर,व्यापार कर,आय कर, और जितने भी कर हैं हैं सब व्यापारी चुकता है,जिसके दम पर सरकारें अपने अधिकारियों और कर्मचारियों का भरण पोषण करतीं हैं| लेकिन यही अधिकारी कर्मचारी सर्वाधिक शोषण भी व्यापारियों का ही करते हैं| सवाल उठता है आखिर क्यों? क्यों आये दिन व्यापारी खुले आम सड़क पर लूटे और मारे जाते हैं|
     मै जिक्र करना चाहूँगा यूपी की राजधानी लखनऊ के चारबाग में सरे राह  मारे गए एक चश्मा व्यापारी का| अपराध मुक्त सरकार सञ्चालन का दावा कर रही उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री सुश्री  मायावती जी को स्पष्ट करने की आवश्यकता है की आखिर कब तक व्यापारी भय युक्त जीवन जीने को अभिशप्त रहेगा?  न जाने ऐसी कितनी वारदातें इस शहर ने देखी हैं जहाँ सरकारी अधिकारी और  कर्मचारियों की व्यापारियों के प्रति संवेदन हीनता ने स्थिति जटिल ही की है| आखिर कौन देगा व्यापरियों की सुरक्षा अवं समस्याओं का समाधान?

शनिवार, 18 जून 2011

  (धारावाहिक कहानी)
                              ग्रीन रेड                   ( सुशील अवस्थी "राजन")     
     कैलास पुर के प्राथमिक विद्यालय में आज सुबह से ही सारा गाँव इकट्ठा था| वह ग्राम प्रधान ननकू जिसकी अपने जिले विलासगंज के डी.एम. साहब के सामने हमेशा घिग्घी बंध जाती थी, वह आज खुद ननकू के पीछे-पीछे हाँथ बांधे चल रहे थे| जनपद के सभी बड़े अधिकारी आज कैलास पुर में नजर आ रहे थे|
      ऐसा हो भी क्यों न... क्योंकि आज सूबे  के कैबिनेट मंत्री जो इस गाँव में पधार रहे हैं| इसी गाँव के दलित पुत्र हरी लाल ने यह कारनामा कर दिखाया है| माधव गंज सुरक्षित सीट से विजयी हरी लाल को अभी एक हफ्ता पहले ही तो गाँव के लोगों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करते हुए टी.वी पर देखा व अख़बारों में पढ़ा था|
     रामदेई काकी और फूलदुलार काका आज सबसे सम्मान और आदर पा रहे हैं| उन्ही के लड़के की  ही  वजह से तो आखिर आज छोटे से कैलास पुर को सारा देश जान गया है| इससे पहले इस  गाँव के लोगों ने इतनी भीड़ अपने गाँव में कभी नहीं देखी थी| आज शंकरी सिंह एकदम अकेला है| उसकी हाँ हुजूरी  में लगे रहने वाले सारे लोग आज उससे मुंह चुरा रहे हैं| बल्लियों की बैरिकेटिंग के पास भीड़ में भी अकेला खड़ा दिख रहा शंकरी  भी शायद आज हरी लाल के ही इंतजार में है|
       हूँ ....हूँ ... करती आ रही लाल बत्ती गाड़ियों के काफिले की धूल सबके चेहरों को ढक लेती है, लेकिन कोई अपनी पलक नहीं बंद करना चाह रहा  है| सबकी  आँखे अपने हरी लाल को सबसे पहले जो देखना चाहती हैं| हरी लाल जिसको उसके दोस्त  ननकू  ने कई साल पहले तफरी में ग्रीन रेड कहा था| हरी मतलब ग्रीन, लाल मतलब रेड अर्थात ग्रीन रेड = हरी लाल ...वह ग्रीन रेड आज कैलास पुर के लोगों की आँख का तारा बन चुका है|     शेष फिर....

गुरुवार, 16 जून 2011

अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाये

           भारत जैसे विशाल देश में शिक्षा का उजियारा जन-जन तक पहुँचाना बड़ा ही दुष्कर कार्य है| इसकी दुष्करता के ही कारन यह विषय राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारों का कार्य माना गया| अर्थात ये समवर्ती सूची का विषय है| समवर्ती सूची वह सूची है जिस पर दोनों सरकारों को कार्य करने का अधिकार हमारा संविधान उन्हें प्रदान करता है| फिर भी शिक्षा के लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है| समय-समय पर हमारे समाज में तमाम ऐसे महापुरुष आये जिन्होंने शिक्षा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया| महामना मदन मोहन मालवीय का नाम उन महापुरुषों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है| परन्तु तमाम ऐसे लोग भी होते हैं, जो स्थानीय स्तर  पर घर-घर तक शिक्षा का उजियारा पहुँचाने की अपनी जद्दोजहद में लगे हुए हैं, लेकिन उनका जिक्र कहीं नहीं हो पाता है| 
         ऐसे ही एक  सज्जन श्री करूणा शंकर मिश्र जी की चर्चा मै आपसे करना चाहता हूँ| श्री मिश्र जी बालिकाओं की शिक्षा जैसे अति दुष्कर कार्य  पर अनवरत कर्मशील हैं| यूपी की राजधानी लखनऊ में इंदिरा नगर के निकट हरिहर नगर में आपने वासुदेव मेमोरियल गर्ल्स डिग्री कॉलेज स्थापित कर बालिकाओं को शिक्षित करने के अपनें संकल्प को साकार किया  हैं| ये करूणा जी की तल्लीनता और संकल्प का ही परिणाम है कि 2005 से लेकर अब तक न जानें कितनी बालिकाएं यहाँ से शिक्षा के साथ नैतिकता और आदर्श का पाठ पढ़कर  समाज को दिशा दे रहीं हैं|  राजधानी में कार्यरत ऐसे शिक्षा मनीषियों के बारे में मै आप लोगों से समय समय पर चर्चा करता रहूँगा| खासकर जिन्हें हम और आप नहीं जान पायें हैं| फ़िलहाल अगले एक दो दिन करूणा शंकर जी  से ही अवगत कराऊंगा| हाँ अगर आप करूणा शंकर जी से संपर्क करना चाहें तो उनके मोबाइल नंबर 9450452289 पर संपर्क कर सकते हैं|  आपका - सुशील अवस्थी "राजन" 

मंगलवार, 14 जून 2011

"राम नाम ही सत्य है"

        "राम नाम ही सत्य है" एक बार फिर साबित हुआ है, कि प्रभु चर्चा या आस्था ही किसी मरीज़ को दवा से ज्यादा फायदा दे सकती है| डब्लिन अमेरिका में प्रमुख स्वस्थ्य व चिकित्सा  विज्ञानियों   की बैठक में यह तथ्य सामने आये हैं| डॉ.लिंडा रास ने इसी बैठक में कहा कि "हम चाहे जितनी ही दलीलें तर्क और प्रमाण दें, इसे नाकारा नहीं जा सकता कि मनुष्य का विश्वास और प्रभु आस्था ही उसे रोग मुक्त करती है,दवाएं, इलाज़ और परहेज़ तो उस विश्वास को सिर्फ सहारा देतें हैं" दूसरे प्रमुख वक्ता व जाने माने मनोचिकित्सक प्रो कुक ने कहा कि "मनोरोगियों को दवा दारू से ज्यादा अध्यात्मिक चर्चाएँ सहायक होती हैं" मनोचिकित्सक हेराल्ड कोइंग भारत के प्राचीन वैद्यों का हवाला दिया कि "लोग उन्हें आध्यात्मिक गुरु मानते थे, वे कुछ पत्तियां,पौधों की जड़ें,तनें, फूल और यहाँ तक कि बीज भी दे देते तो उनकी बीमारियाँ ठीक हो जाती थी"
       तो ठीक है स्पस्ट तो हो गया... नहीं तो यह सब करने वालों को हम तथाकथित बुद्धिजीवी पोंगा पंथी ही कहते थे| अब जब अमरीकी ज्ञानी ऐसा कह रहे हैं तब तो बात में दम है ऐसा हमारा विश्वास है| इसलिए दुविधा में न पड़िये कि राम हैं भी या नहीं? सिर्फ अंतिम संस्कार के ही वक्त न दुहराइये  कि राम नाम सत्य है बल्कि दिल से मानिये कि राम नाम ही सत्य है|
आपका -
                   सुशील अवस्थी "राजन"

सोमवार, 13 जून 2011

"न जाने किस भेष में...."

      "वसूली का खेल दरोगा,सिपाही पहुंचे जेल" यह खबर है सहारनपुर की शाहजहांपुर पुलिस चौकी की| जहाँ एस.एस.पी. दीपक रतन ने  किसान का रूप बनाकर अपने मातहतों की लूट लीला का साक्षात् स्वरुप देखा, और अपने सिपाही, होमगार्ड, व दरोगा साहब को सीधे जेल की राह दिखा दी| अगर कप्तान साहब ने बगैर पूर्वाग्रह से ग्रसित हो यह काम किया है, तो उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए| रतन साहब आप वास्तव में यूपी पुलिस के रतन हो, मै आपकी इस कार्य पद्धति को दिल से "स्यलूट" करता हूँ| वास्तव में आपके इसी तरीके से लुटेरे पुलिस जनों में भय पैदा किया जा सकता है| तीन-तीन, चार-चार रुपयों के लिए भिखारियों की तरह हाँथ बढाने वाले आपके सिपाही डरेंगे और सोंचेंगे "न जाने किस भेष में एस.एस.पी. मिल जांय" 
        दीपक रतन जी काश आप अपनी इसी परिपाटी के साथ यूपी की राजधानी लखनऊ पधार जांय, फिर आपको दिखाऊँ कि यहाँ का कोई चौराहा, कोई थाना, कोई चौकी ऐसी नहीं है, जहाँ लूट का खेल दिनों-रात धड़ल्ले से न चल रहा हो| कभी कभी तो ऐसी ख़बरें भी आयीं कि पुलिस की अवैध वसूली से बचने के लिए राहगीरों ने अपनी जान तक दांव पर लगा दी| मेरे घर के एकदम पास बाराबिरवा चौराहे पर दिन में ट्रेफिक पोलिस तो रात में थानों की पुलिस अवैध वसूली का मोर्चा संभालती है| काश आप यहाँ होते..| यहीं एक स्थान है आलमनगर क्रासिंग जहाँ का खेल आप देख लें तो खुद कहेंगे बर्खास्तगी और जेल आपके इन जवानों के लिए छोटी सजा है| जाम लगता रहता है, पर बड़ी निडरता और निर्लज्जता से लूट कार्य सम्पादित होता रहता है|  आपके इन वीर जवानों को किसी बात का डर नहीं| इतनी निडरता क्या बगैर किसी वरिष्ठ अधिकारी की कृपा के संभव है क्या? जनता भी आपके इन वीर जवानों से पंगा लेना उचित नहीं समझती, क्योंकि उसका भरोसा आपके बड़े अधिकारियों की नैतिकता पर नहीं है| सब जानते हैं कि ये लूट का माल नीचे से ऊपर तक जाता है| बड़े अधिकारी शिकायत कर्ता से सबूत मांगेंगे....फिर ...| अगर वरिष्ठ अधिकारी लूट ख़त्म करना चाहें तो बनाये आपकी तरह ट्रक चालक का वेश| फिर देखिये यदि उन्ही का मातहत  उनको पैसा न देने की वजह से तीन चार हाँथ न रसीद कर दे तो कहना|
        पर अफ़सोस यह सब सोंचने में ही आसान है| आप ने जो साहस कर दिखाया  वह आसान नहीं है रतन साहब| हमारे इतिहास में कई ऐसे राजा रहे हैं जो जनता का सुख दुःख जानने के लिए वेश बदलकर आम आदमी के हाल-चाल जानते थे| इससे राजा के अधिकारी राजा को मनचाही तस्वीर नहीं दिखा सकते थे| पर आज के हमारे जन-प्रतिनिधि हमारा वोट हासिल कर जैसे ही सत्ता में आते हैं उनकी जान को खतरा हो जाता है| इसी बहाने से वे आम आदमी से दूरी बना लेते हैं| जब ये निकलते हैं तो आम आदमी को रोंक दिया जाता है| भाषणों में दिन भर देश पर जान कुर्बान करने की कसमे चला करती हैं, पर दिन भर आम आदमी से जान बचाने की जुगत में रहते हैं| क्यों आते हैं ऐसे डरपोंक लोग राजनीती में? अगर हमारा प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री,गृहसचिव,मुख्य सचिव सब वेश बदल कर साल में एक बार भी निकल जांय तो स्थिति काफी सुधर सकती है| पर हाँ जान पर जो खतरा है उसका क्या? मेरी तो एक ही सलाह है कि इतना डर है तो घर बैठो किसी जां निसार को आने दो|  
आपका अपना -
                             सुशील अवस्थी "राजन"

पत्थर के इन्सान बनाम हाड़ मांस इन्सान

बिजली पर बिजली गिर रही है| अब तो लखनऊ में भी बिजली की समस्या होने लगी है| पूरे उत्तर प्रदेश में तो पहले ही यह संकट अपने विकराल रूप में था, लेकिन अब राजधानी वासी भी बिजली माता के इंतजार में रातें काटते हैं| गाँव से बत्तर हालत है भाई ....बड़ा कष्ट  है....| अम्बेडकर पार्क, रमाबाई रैली स्थल, कांसीराम स्मारक, बौद्ध विहार शांति उपवन जगमगा रहे हैं| जहाँ पत्थर के इन्सान निवास करते हैं वहां की बिजली गयी तो समझो किसी न किसी अधिकारी की नौकरी गयी, पर जहाँ हाड़ मांस वाले इन्सान निवास करते हैं वहां की व्यवस्था कौन देखता है? आपको पता चले तो कृपया  मेरे मोबाइल 9454699011  पर बताना| आपका आजीवन एहसानमंद  रहूँगा|

रविवार, 12 जून 2011

"राहुल गाँधी को खुला पत्र"

भाई राहुल गाँधी जी सादर नमस्कार ,

       इधर कुछ दिनों से मेरा मन आपसे बात करना चाह रहा था| शायद मेरा सार्वजानिक रूप से लिखा गया यह पत्र आप तक पहुँच सके| इधर कुछ दिनों में घटी घटनाओं से आप वाकिफ तो जरुर होंगे| जैसे बाबा रामदेव के आन्दोलन को कुचलने के लिए आपकी केंद्र सरकार द्वारा अपनाया गया तरीका, जिस पर देश की जनता आपके विचार सुनने को बेताब है| आपके विचार इसलिए क्योंकि आप कांग्रेस के कमाऊ पूत हैं| कमाऊ मतलब वोट कमाने में, आपसे आगे इस पार्टी में कोई नहीं है| पूरी पार्टी, बडबोले व भोले  नेता सब आपकी ही कमाई खा रहे हैं| भट्टा पारसोल में आपने यूपी सरकार के दमन चक्र का मुखरता से विरोध किया था, जबकि जिनका आपने समर्थन किया था, उन लोगों ने प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों पर गोली तक चलाई थी| पर बाबा के अनुयायी तो सो रहे थे, और किसी तरह की हिंसा की सम्भावना किसी को नहीं दिख रही थी| फिर कैसे सरकारी आतंकवाद को जायज़ ठहराया जा सकता है?
          आपसे वार्ता की मेरी प्रबल इक्षा का अहम कारन मेरा रायबरेली वासी होना भी है| गाँधी परिवार से जुड़ा मेरे स्वर्गीय बाबा लक्ष्मी प्रसाद अवस्थी व मेरे पिता श्री हनोमन प्रसाद अवस्थी द्वारा मिला वंशानुगत अनुराग मेरे भी खून में  है| मेरा बचपन आपकी दादी इंदिरा जी के किस्से कहानियां सुनते हुए बीता है| किशोरावस्था आपके पिता स्वर्गीय राजीव गाँधी जी को नैतिक समर्थन देते हुए बीता| जवानी आपको प्रधान मंत्री बनते हुए देखना चाहती है| परन्तु मेरा यह वंशानुगत अनुराग देश विरोधी व लोकतंत्र विरोधी कभी नहीं हो सकता| इसलिए भी आपको अपनी चुप्पी तोडनी होगी|
      एक बात और नहीं समझ पा रहा हूँ भैया राहुल जी,  क्या आपको भी दिग्विजय जैसे पागल आदमी की जरुरत है? यह व्यक्ति कैसे पार्टी के वोट बढ़ा रहा है, मेरी समझ से परे है, आप समझ रहे हों तो बताना जरुर| इसकी बे सर पैर की बातों से आम आदमी कुपित है| इसे तो बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होना चाहिए, क्योंकि इसकी बातों से सिर्फ बीजेपी मजबूत हो रही है| बीजेपी अपने किसी आन्दोलन से यूपी में ताकतवर नहीं बन रही है, बल्कि इस सनकी की बातें उसे बढ़ा रही हैं| भगाओ न इस गंदे को| मुझे तो कभी कभी लगता है कि कांग्रेस में ही कुछ लोग हैं, जो आपको प्रधान मंत्री बनते हुए नहीं देखना चाहते? उसी ग्रुप का  आदमी है ये सनकी दिग्विजय| जो मुझे यहाँ कसरावाँ, बछरावाँ, रायबरेली, यूपी में महसूस हो रहा है वह लिख रहा हूँ| आप दिल्ली में बैठकर क्या महसूस कर रहें हैं, बताइए न भैया....|
           आपका वंशानुगत समर्थक - 

                                                         सुशील अवस्थी "राजन"
                                                                  9454699011

Bidhna Tere Lekh kisi ko

शनिवार, 11 जून 2011

क्या हम सुधरेंगे?

       अमरीका की शिकागो अदालत ने मुंबई हमलों के आरोपी डेविड कोलमैन हेडली व तहववुर हुसैन राणा को 26 /11 के आरोपों से मुक्त कर दिया| जय हो भारत की अमरीका परस्त यूपीए-2 सरकार की| अमरीका भारत का कितना बड़ा शुभचिंतक है, भारतीयों को समझने की जरुरत है| भारत आकर पाकिस्तान की जय जयकार करने वाले बराक ओबामा सिर्फ भारत से अपने नागरिकों के लिए नौकरियां बटोरने आये थे, लेकिन हमारी सरकार उनकी इसी कृपा पर गदगद थी| उनके देश के 60 हजार नागरिकों को नौकरियां भारत दे, और भारत को अमरीका क्या देगा या दिया ये पूंछने का साहस हमारे भारत भाग्य विधाताओं में नहीं था| 
      वास्तव में गलती हमारी अपनी है| दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी, लेकिन हम हैं कि आगे बढ़ने को ही तैयार नहीं| हमारी विदेश नीति अभी भी दशकों पुराने पावों पर खडी है| जो कि सड़ गल चुके हैं| आज भारत को नजरंदाज़ कर कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था कायम  नहीं रख सकता, लेकिन हम अपनी पुरानी भिखारी छवि से बाहर ही नहीं आना चाहते| अब हम दुनिया की महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं, लेकिन हमारी विदेश नीति आज भी भिखारीकाल की दासता का अनुसरण त्यागने को तैयार नहीं है| 
       हमारा कौन है? चीन....है क्या?  नहीं न, वह बंगलादेश जिसके निर्माण में हमारी भूमिका रही वह हमारा है क्या? नेपाल जहाँ से पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी हमारे देश में नकली नोटों की खेप पहुंचाती रहती है, वह अपना है क्या? श्री लंका जो आये दिन हमरे नाविकों को गिरफ्तार करता रहता है, और भारत सरकार गिड गिडाती  रहती है,वह अपना है क्या? चीन को पांव पसारने में मदद कर रहा श्री लंका  हमारी एक सुनने को तैयार नहीं है,क्यों? कमोबेश यही हाल म्यांमार व भूटान का है| हमारे सारे पडोसी हमारे नहीं हैं| क्यों? इसका उत्तर भारत सरकार को अपने नागरिकों को देना चाहिए| दुनिया के मुल्क सिर्फ चिकनी चुपड़ी बातें कर अपना उल्लू सीधा कर निकल लेतें हैं, क्योंकि हम उदासीन हैं अपने हितों को लेकर|
      हमारे बगल के देश पाकिस्तान में आतंकवाद की अंतर्राष्ट्रीय फैक्ट्री लगी हुई है, जिसकी सप्लाई भी अंतर्राष्ट्रीय है, पर आज तक दुनिया के मुल्कों को हम अपना दर्दे दिल  समझा पाए क्या? क्यों......? इसका जवाब भारतीयों को कौन देगा? अमरीकन राष्ट्रपति जवाब देगा क्या? अमरीका पर एक हमला करने के बाद फिर दुनिया के किसी आतंकी गुट में दूसरा हमला करने का साहस रह गया है क्या? बल्कि जिन्होंने किया, उन्होंने अपनी बाकी जिन्दगी चूहों की तरह बिलों में ही छुपे-छुपे बिता दी, और जब दिखे कुत्ते की मौत मारे गए| भारत के राजनीतिज्ञों में इतना साहस है क्या? यह बात मै इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि भारतीय राजनयिक कह रहें हैं कि "भारत ने अमरीका से अब बराबरी के रिश्ते कायम कर लियें हैं" आतंकवाद के कोढ़ को ख़त्म करने में भी अमरीका से बराबरी के रिश्ते कायम किये जाय.....क्यों भाई क्या दिक्कत है?
      मुझे तो नहीं लगता कि दुनिया के किसी देश ने आतंकवाद से लड़ते हुए अपने इतने नागरिकों का बलिदान दिया होगा, जितने अपने नागरिकों को भारत ने खोया है| फिर आतंकवाद के खिलाफ सबसे आक्रामक भारत को होना चाहिए या अमरीका को? हमारी आबादी ज्यादा है,तो क्या हमारे नागरिकों की जान की कोई कीमत नहीं क्या? सारा कबाड़ा हमारे राजनीतिज्ञों का पसारा है| गंदी राजनीती ने भारत में भी आतंकियों के राजनीतिक शुभ चिन्तक पैदा कर दिए, नहीं तो रंगे हाँथ गिरफ्तार किये गए अफज़ल गुरु और अजमल आमिर कसाब को फांशी देने में भारत सरकार  के हाँथ कांपने का क्या मतलब..?
      अगर हम दुनिया की दूसरी तेजी से बढती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश हैं, तो फिर हमें दुनिया के अनुरूप हर क्षेत्र में तेजी से ही बदलना होगा, नहीं तो पाकिस्तान और चीन जैसे दुष्ट पडोसी हमारा जीना हराम कर देंगे| भूमंडलीकरण के इस युग में कूप-मंडूक बने रहने से काम चलनेवाला नहीं है| "अपने दुश्मनों को चैन से जीनें नहीं देंगे, और दोस्तों को कोई छेंड नहीं सकता" मुझे तो लगता है भारत सरकार को अपनी विदेश नीति का आदर्श वाक्य इसी उपर्युक्त पंक्ति को बनाना चाहिए| आपका अभिमत क्या है जानना चाहता हूँ|       
      आपका अपना -

            सुशील अवस्थी "राजन"
           मोबाइल-   9454699011

गुरुवार, 9 जून 2011

"जम के करो मतदान, होगी हर मुश्किल आसान"


     सशक्त और समर्थ भारत के निर्माण के लिए हमें अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को और मजबूती प्रदान करनी होगी| दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत के लोकतंत्र में तमाम कमियां हैं| इन तमाम कमियों के बावजूद हमारी गिनती दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में होती है| हिंसा की जगह शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण जम्हूरियत को खास ओहदा देता है| जबकि अपने पडोसी मुल्क पाकिस्तान में हम कमजोर लोकतंत्र की मजबूरियां देख रहें हैं| जिसके कारण सत्ता प्राप्ति के लिए अब भी सेना लोकतंत्र को बूटों तले रौदने को बेताब रहती है| भारत और पाकिस्तान में तमाम अंतर हैं, लेकिन एक ऐसा अंतर है जिसका अंतर पाक कभी नहीं पाट सकता,वह है मजबूत लोकतान्त्रिक व्यवस्था का अंतर| कमोबेश यही हालत पाक के मतलबी दोस्त, और हमारे एक और पडोसी चीन की है| हालाँकि चीन एक मजबूत देश है, परन्तु लोकतान्त्रिक व्यवस्था की अनुपस्थिति से दुनिया उसे आये दिन कोसती ही रहती है|
        लोकतंत्र में लाख बुराइयाँ हो, पर एक बात एकदम सही है, कि इससे बेहतरीन शासन प्रणाली फिलहाल इस धरती पर दूसरी कोई नहीं है| ये हम पर निर्भर करता है कि हम अपने लोकतंत्र को किस बुलंदी तक ले जा पाते हैं? हमारा लोकतान्त्रिक सफ़र निरंतर गतिशील रहा है, जिसकी सारी दुनिया ने प्रशंसा भी की है| हाँ इधर कुछ वर्षों में हमारी अपनी यूपीए 2 की केंद्र सरकार के पूर्वाग्रही क़दमों से हमारा लोकतंत्र दुनिया में शर्मसार हुआ है, परन्तु उसका भी इलाज़ लोकतान्त्रिक तरीके से ही होगा, न कि व्यक्तिगत सेनाएं बनाकर देश को तालिबानी करन की राह पर अग्रसर करके|
       हमें बगैर किसी पूर्वाग्रह के अपने लोकतंत्र को और परिपक्व बनाना होगा| मतदान के अधिकार का अधिसंख्य नागरिकों द्वारा इस्तेमाल करने से तमाम कमियां स्वतः समाप्त हो जाएँगी| आइये संकल्प लें कि हम जातिवाद,धर्मवाद,क्षेत्रवाद भाषावाद के मुद्दों से परे हटकर राष्ट्रवाद और विकासवाद के मुद्दों को तरजीह देंगें, तभी हमारा लोकतंत्र और शानदार हो सकेगा| अपराधी माफिया और लम्पटों को सत्ता की दहलीज़  से दूर रखकर ही हम अपने लोकतंत्र को और चमकदार बना सकेंगे| क्या हम ऐसा करने के लिए तैयार हैं? बताइए न.... सबसे कहिये और खुद भी पालन करिए, आम आदमी का बस एक ही नारा होना चाहिए  कि "जम के करो मतदान, होगी हर मुश्किल आसान"
                आपका अपना -   सुशील अवस्थी "राजन"
                                                           मोबाइल -    09454699011

बुधवार, 8 जून 2011

और ...नेतागीरी हो जाएगी कठिन

और ...नेतागीरी हो जाएगी कठिन
           भारत में नेता गिरी बड़ा मनमौजी कार्य है, पर अब यह कार्य मनमौजी नहीं रहने वाला| सिविल सोसायटी जिस तरह अब अपने नेताओं की कमियों पर मुखर होने लगी है उससे आनेवाले दिनों में नेताओं को मुश्किलों से दो चार होना पड़ेगा| निकम्मे नेताओं और सिविल सोसायटी  के बीच शुरू हुई जंग फ़िलहाल रुकनेवाली नहीं है| सच्चाई यह है कि जिस गति में देश की जनता  जागरूक हुई है, उससे भी ज्यादा तेज़ गति में नेताओं का आचरण रसातल की तरफ अधोगतित हुआ है| सैकड़ों की संख्या में शुरू है न्यूज़ टीवी चैनलों ने आम आदमी को अपने इन सेवकों की कार गुजारियों से वाकिफ कराया है| शिक्षा का बढ़ता स्तर, फेसबुक और इंटरनेट ने हमें विदेशों में चल रहे परिवर्तनों से भी समायोजित होने के लिए द्रष्टि दी है| देश को अपनी जागीर समझने वाले नेताओं को भी अपने में परिवर्तन लाना होगा अन्यथा रामदेव और अन्ना को पटा लेने के बाद भी सिविल सोसायटियों के आन्दोलन रोंक पाना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो जायेगा, क्योंकि अन्ना और रामदेव बनने का सिलसिला अब रुकनेवाला नहीं है|

क्या राम हर्ष ने ठीक किया ?

क्या राम हर्ष ने ठीक किया ?
      आज चलते-चलते हजरतगंज,लखनऊ में राम हर्ष यादव जी मिल गए| आप सोंच रहे होंगे कि कौन हैं ये राम हर्ष यादव जी? थोडा अपनी याददाश्त को फ्लश-बैक मोड में डालिए और याद करिए कि उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी को छोंड़कर दो सिपाहियों ने एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया था| उन्ही में से एक हैं श्री राम हर्ष यादव| पार्टी का नाम है मानवतावादी समाज पार्टी| आर.एस . मानव और रामहर्ष यादव ने जब नौकरी छोड़ राजनीती में शामिल  होने का मन बनाया  था, तब ये दोनों मीडिया के केंद्र बिंदु थे| १३ जनवरी २०१० को इनके नौकरी से त्यागपत्र दे मानवता वादी समाज पार्टी चलाने की उद्घोषणा को सभी अख़बारों ने प्रमुखता से छापा था| राष्ट्रीय महासचिव रामहर्ष यादव, व राष्ट्रीय अध्यक्ष मानव जी की पार्टी किस हाल में है अख़बारों ने बताना ही छोंड दिया है, सो रामहर्ष जी से उनकी पार्टी और उनके बारे में जानने की मेरी जिज्ञासा प्रबल हो उठी| 
       श्री यादव ने बताया कि पार्टी चलाना काफी कठिन काम है, खासकर संसाधनों के आभाव में| फिर भी हमने हार नहीं मानी है| उन्होंने अपना मोबाइल नंबर 9455709124 भी हमें दिया| आप चाहें तो श्री यादव के कार्य की सराहना कर सकते हैं, सुझाव दे सकते हैं, या फिर उनकी पार्टी को अपना समर्थन भी दे सकते हैं| जिस नौकरी को पाने के लिए आज का युवा घूस तक देनें को तैयार है, क्या उस नौकरी को छोंड़कर राम हर्ष जी ने उचित किया? आप क्या सोंचते हैं? बताइए न ? क्या आप मदद  करना चाहेंगे इन पूर्व पुलिस वालों की, क्योंकि वर्तमान पुलिस मैन की तो सभी सेवा करते हैं|

सोमवार, 6 जून 2011

गांधीवादियों की नहीं आतंकवादियों की शुभचिंतक है कांग्रेस

गांधीवादियों की नहीं, आतंकवादियों की शुभचिंतक है  कांग्रेस    
     विश्व के दुर्दांत आतंकवादी को ओसमाजी मानने वाली कांग्रेस,गिलानी जैसे पाकिस्तान परस्त हुर्रियत नेता को दिल्ली आकर प्रेसवार्ता की मौन स्वीकृति देने वाली कांग्रेस,अफजल गुरु और कसाब की सेवा चाकरी करने वाली कांग्रेस,को क्या गांधीवादी कहा जा सकता है? शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर रहे बाबा रामदेव को क्या "ठग" माना जा सकता है? कांग्रेस के हतास नेता ये क्या कर रहें है? सत्याग्रह पर विश्वास करनेवाला कभी ठग नहीं हो सकता और आतंकवादियों की पैरवी करनेवाला कभी राष्ट्र भक्त नहीं हो सकता|
      जिस बेशर्मी से कांग्रेसी नेता बाबा रामदेव को संघ का आदमी बता रहें है वह मुस्लिम तुष्टिकरण  की पराकाष्ठा है| कांग्रेस को इस देश का आम मुसलमान वैसे  भी अपना शुभचिंतक नहीं मानता| मुसलमानों को ओसामा का शुभचिंतक कभी भाजपा ने नहीं माना,जबकि कांग्रेस के असली चेहरे दिग्विजय सिंह का मानना है कि ओसामा को ओसामा जी कहने से इस देश का आम मुसलमान कांग्रेस पर वोटों की वर्षा कर देगा| मुसलमानों का असली शुभचिंतक कौन है? यह बात भारत का आम मुसलमान बेहतर समझता है|
        हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय नितिन गडकरी जी ने लखनऊ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के लिए एक बात कही थी कि "विनाशकाले विपरीत बुद्धि" वह बात पूरी तरह से सही लग रही है| यदि ऐसा न होता है तो गांधीवाद की जो नयी परिभाषा कांग्रेस के मतिभ्रष्ट नेता लिख रहें है वह ना लिखी जा रही होती| सिर्फ नाम के अंत में गाँधी लिख लेने से देश की जनता किसी को गांधीवादी मान लेगी, कांग्रेसियों को इस भुलावे में नहीं रहना चाहिए| गांधीवादी बनने के लिए बाबा रामदेव जैसे आत्मबल की जरुरत होती है, ये बात  गाँधी नाम का पट्टा कराये लोगों को समझने की जरुरत है|
                                  प्रमोद बाजपेई
                                  सदस्य प्रदेश कार्य समिति,
                                  भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश,
                                  मोबाइल -   9415021945

रविवार, 5 जून 2011

दुनिया के क्रूर तानाशाह प्रेरणा लें भारत सरकार से

 दुनिया के क्रूर तानाशाह प्रेरणा लें भारत सरकार से
       बाबा रामदेव के सत्याग्रह आन्दोलन कारियों पर अत्याचार करके केंद्र  सरकार ने लोगों के मन में उसके लिए बची थोड़ी बहुत सहानुभूति भी गँवा दी है| पहले ही यह सरकार भ्रष्टाचार का बड़ा काला टीका लगाये घूम रही थी| अब तो इस सरकार के मन की सारी कालिख देश को दिख गयी है| राहुल गांधी अब आपका प्रधान मंत्री बनना नामुमकिन ही नहीं असंभव हो चुका है,तुम्हे और तुम्हारी माता श्री को आनेवाले दिनों में जनता के कोप का सामना करना ही पड़ेगा|
      गिलानी जैसा देश द्रोही दिल्ली में आकर प्रेस वार्ता कर सकता है लेकिन बाबा अनशन नहीं क्यों? अफजल गुरु और कसाब की सेवा चाकरी में लगी इस सरकार को आधे घंटे भी सत्ता में रहने का हक़ नहीं है| दिग्विजय सिंह इस सरकार का असली चेहरा है| जो बाबा जैसे देशभक्त को ठग बताता है लेकिन आतंकियों के कसीदे पढता है|
      दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत को इस निकम्मी केंद्र सरकार के रवैये से बार-बार शर्मसार होना पड़ रहा है| भारत की जनता को इस सरकार के कार्यकाल पूरा करने का इन्तजार नहीं करना चाहिए| इस सरकार के लोकतंत्र विरोधी रवैये से हिटलर,मुसोलिनी,होस्नी मुबारक और गद्दाफी भी प्रेरणा ले सकते हैं, और जनता को उत्पीडित करने के नए तरीके सीख सकते हैं|     अब देश जान चुका है कि विदेशों में जमा अरबों रुपये का काला धन इन्ही काले कांग्रेसियों का ही है| बाबा इन अत्याचारियों के अत्याचार सहकर मजबूत हो रहा है| बाबा के आसू की एक-एक बूंद का हिसाब केंद्र सरकार संचालकों को देना ही होगा| प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा की नपुंसकता भी इस सरकार को निरंकुश बनाने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है| शायद अब भाजपा की आँखें खुले? उसे बाबा का शुक्रगुजार भी होना चाहिए कि जो काम उसे प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते करना चाहिए था वह बाबा ने कर दिखाया है|   

शनिवार, 4 जून 2011

कांग्रेस और बाबा की नूराकुश्ती

    नूराकुश्ती का मतलब जो न जानते हों उन्हें बताना चाहूँगा वह कुश्ती जिसका परिणाम पहले से तय हो| अब लोगों के दिलो दिमाग में यह बात कौंधने लगी है कि कहीं बाबा रामदेव की कांग्रेस  से कोई सांठ-गाँठ तो नहीं? दोनों मिलकर देश के सामने नूरा कुश्ती का प्रदर्शन कर रहें हैं इसके कई स्पस्ट संकेत हैं| जैसे धरना धरने से ठीक पहले सरकार का बाबा को अतिरिक्त महत्त्व देना| मंत्रियों की फौज के बाबा के पीछे दौड़ने से उन्हें धरने से पहले ही देश के मीडिया ने अपनी निगाहों में धर लिया, जिससे प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के मंथन से निकलने वाले संभावित प्रभावी सुर बेसुरे होकर धरे के धरे रह गए| जब बात ही करनी थी तो बाबा धरना धरने क्यों आ गए?  जब कई केन्द्रीय मंत्री रामदेव महराज के इतने करीबी थे तो सरकार ने वार्ता के सारे चरण पहले ही क्यों नहीं निपटा लिए? अब उनके चरण पकड़ कर चरण चापन क्यों? उनको धरने में सुकून से धरने उठाने दो|
       वास्तव में वर्तमान यूपीए-2 सरकार श्री हीन व तेज़ विहीन सरकार साबित हो चुकी है| इस सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी की आम भारतीय की निगाह में छवि तार-तार हो चुकी है| किसी नयी ड्रामे बाज़ी में जनता और मीडिया को उलझाना बेहद जरुरी था, अब दोनों को होम वर्क मिल गया है|
        बाबा के राजनीती में आने से किसको नुकसान होगा? सिर्फ भाजपा का और किसी का नहीं| लेकिन भाजपा की मजबूरी तो देखिये कि वह रामदेव धुन पर थिरकने को मजबूर है| कांग्रेस की इस राजनीतिक गोट से प्रमुख विपक्षी दल कमजोर हो जायेगा| राजनीती में ताकत बढाने के दो ही तरीके हैं या तो अपनी ताकत बढ़ा लो या फिर विरोधी की ताकत घटा दो| कांग्रेस की ताकत अब बढ़ने से रही सो अब विरोधी की ताकत घटाने के लिए बाबा का इस्तेमाल किया जा रहा है|
         अगर बाबा राजनीती में आये तो कौन इनका वोटर होगा? संपन्न सवर्ण| जो कि फ़िलहाल भाजपा का वोटर है| मुस्लिम और दलित कभी बाबा की धुन पर नहीं नाचेगा| कांग्रेस के कमजोर होने का अभी तक का सारा फायदा भाजपा के ही खाते में जा रहा था, सिर्फ प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते,   भाजपा के किसी काम से नहीं, वह प्रक्रिया भी रुक जाएगी|
         बाबा को लपर-सपर की स्थिति से बाहर निकल कर जनता के मन में उठ रही शंकाओं का अपने स्पस्ट रुख से समाधान प्रदान करना होगा| अन्यथा वह राजनीती में सिर्फ इस्तेमाल होकर रह जायेंगे| उनका पाला देश की सबसे षड्यंत्रकारी पार्टी से पड़ा है,जिससे सुभाष चन्द्र बोस जैसा तेज तर्रार देशभक्त नहीं निपट पाया, इस पार्टी ने अंततः उन्हें ही निपटा दिया|

शुक्रवार, 3 जून 2011

रामदेव खा गए भाजपा राष्ट्रीय कार्य समिति बैठक का आकर्षण

रामदेव खा गए भाजपा राष्ट्रीय कार्य समिति बैठक का आकर्षण
        लखनऊ में चल रही भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में तमाम राजनीतिक स्टार मौजूद हैं, लेकिन मीडिया खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया आज सुबह से बाबा रामदेव का जप कर रहा है| यह बात भाजपा के कुछ छपास रोगी नेताओं को नागवार गुजर रही है| राष्ट्रीय नेताओं की ताबड़-तोड़  तेल मालिश में लगे कुछ कभी न टीवी पर आ सकनें वाले प्रदेश नेताओं का गुपचुप कहना है कि सोंचा था कि राष्ट्रीय नेताओं के पीछे खड़े होकर प्रचार हासिल करूँगा लेकिन बाबा जी ने प्रथम दिवस का आकर्षण तो निपटा ही दिया| भगवान करे मान जाय बाबा और ख़त्म कर दें अपना धरना प्रदर्शन| कम से कम आगे के दो दिनों में तो संभावनाएं साकार रूप ले लें|
        पूरा लखनऊ भाजपाई रंग में रंगा है| झंडा बैनर पोस्टर के जरिये बड़े नेताओं  के करीबी होने का स्वांग स्थानीय छुटभैये नेता जमकर भर रहें हैं| सभासदी व विधायकी के संभावित उम्मीदवार सीना चीर कर अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने में लगे हैं| वो अलग बात है कि जो टिकट नहीं पायेगा वो टिकट पाने वाले का सर फोड़ने की मुद्रा भी अख्तियार करेगा|
       चलो अच्छा है बसपा के नीले रंग में तो यूपी की राजधानी आये दिन रंग जाती है शहर वासियों की आँखों को कम से कम नया रंग तो दिखा| आँखों ने देखा तो लोगों की ज़ुबानों ने दिन भर चर्चाएँ भी खूब कीं| उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही की पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के शाही ठाट-बाट की चर्चा में लोगों ने खूब दिलचश्पी दिखाई| ५ सितारा होटलों में रिहायस और भांति भांति के पकवानों पर लोगों ने एक ही जुमला खूब कसा "बीजेपी का इतना ही काम,बैठक भोजन और आराम"

गुरुवार, 2 जून 2011

यदि मिल गए रामदेव और अन्ना

यदि मिल गए रामदेव और अन्ना  
          सोंचिये अगर रामदेव और अन्ना मिलकर देश को यदि नया राजनीतिक विकल्प दें तो क्या होगा? सभी पार्टियों का खेल ख़त्म हो जायेगा या नहीं? यही होता भी दिख रहा है| अन्ना ने बाबा को कांग्रेस नीत यूपीए सरकार की कार्य प्रणाली का जो अपना अनुभव सार्वजानिक किया है उसमे उन्होंने यही बताया है कि जनाक्रोश से बचने के लिए यह सरकार आपकी जमकर तेल मालिश करेगी और उसके बाद फिर आपको ही ज्ञान देगी| इसलिए बाबा जी इन लोगों के झांसे में न आइये मै आ चूका हूँ| उन्होंने यह भी कहा कि रविवार को वो खुद धरने में सरकार को उठाने-धरने के लिए आयेंगे|
        आडवाणी जी ने एक बहुत ही बेवकूफी भरी बात कही थी कि नेताओं को बेवजह गरियाने से लोकतंत्र के सामने खतरा खड़ा हो जायेगा| जब नए बेदाग नेता मिल रहें हैं तो लोकतंत्र के सामने कैसा खतरा आडवाणी जी? लापरवाह नेताओं का विकल्प जनता के सामने आ रहा है| सभी पार्टियों के मनमौजी नेता खैर मनाएं कि अन्ना-बाबा एक न हों| और यदि एक हो भी जाएँ तो कोंई राजनीतिक विकल्प न सुझाएँ| 

भय,भूंख और भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए भाजपा को चुनें

भय,भूँख और भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए भाजपा को चुनें
      राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पधारे सभी वरिष्ठ भाजपा नेताओं का लखनऊ की सरजमी पर हार्दिक स्वागत है| ३,४,५ जून तक चलने वाली यह  बैठक कई मायनों में अहम् है, खासकर तब जब अगले ही वर्ष २०१२ के यूपी विधान सभा चुनावों को मद्देनज़र रखा जाय, तब इस बैठक की अहमियत और भी बढ़ जाती है| प्रदेश और राष्ट्रीय हालात शक्तिशाली भाजपा की मांग कर रहें हैं|
      अखिल भारतीय भ्रष्टाचारियों की पनाहगाह बन चुकी कांग्रेस और यूपी की दलित व जनविरोधी बसपा सरकार की कलई खुल चुकी है| एक ओर केंद्र की लापरवाह नीतियों से जनता जहाँ कमरतोड़ महंगाई का सामना कर रही है वहीं प्रदेश की बसपा सरकार के मंत्री,विधायक खुद कानून व्यवस्था को तार-तार करने में फक्र महसूस कर रहें है| स्थानीय निकायों को पंगु व बंधक बनाने में प्रदेश की नौकरशाही बसपा की अनुसांगिक इकाई बनकर कार्य कर रही है| आवाज़ उठाने पर उसे लाठी गोली के दम पर दबाने के इस जनविरोधी बसपा सरकार के कुत्सित प्रयास लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर उसकी अनास्था ही प्रकट करतें हैं|
       देश व उत्तर प्रदेश की जनता अपनी इन निकम्मी सरकारों से छुटकारा पाने के लिए छटपटा रही है| इन हालातों में लोग भाजपा की तरफ बड़ी आशा भरी निगाहों से देख रहें हैं| माननीय अटल बिहारी बाजपेई के नेतृत्व में चली केंद्र व भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को लोग याद कर रहें हैं| हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय नितिन गडकरी जी की एक बात को आम आदमी की जमकर सराहना मिल रही है कि "भाजपा आम कार्यकर्ता की पार्टी है,जिसमे मेरे जैसा छोटा सा कार्यकर्ता भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है,पर क्या कोई पार्टी कार्यकर्ता व बड़े से बड़ा नेता कांग्रेस,बसपा व सपा में ऐसा सपना भी देखने की जुर्रत कर सकता है" भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय गडकरी जी का यह बयान पार्टी के अन्दर परिपक्व लोकतान्त्रिक व्यवस्था की मौजूदगी प्रदर्शित करता है|
      मुझ जैसे लाखों  पार्टी कार्यकर्ताओं को इस बैठक के निष्कर्षों का बेसब्री से इंतजार है| उसके बाद एक बड़ी लडाई के लिए हम सबको अपने आप को तैयार करना होगा| हमारा सौभाग्य है कि प्रदेश स्तर पर व्यवस्था परिवर्तन की इस लडाई में हमें माननीय राजनाथ सिंह, माननीय कलराज मिश्र, माननीय नरेन्द्र तोमर, माननीय सूर्य प्रताप शाही, व माननीय लालजी टंडन, जैसे वरिष्ठ व बेदाग नेताओं का मार्गदर्शन मिलेगा| भय,भूँख व भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहनेवाले देश व प्रदेश वासियों  के अरमान सिर्फ भाजपा ही पूरे कर सकती है| और अंत में कहना चाहता हूँ कि- "हो गयी है पीर पर्वत सी अब पिघलनी चाहिए,इस हिमालय से नयी गंगा निकलनी  चाहिए"     (जय हिंद जय भारत )    
                     आपका अपना -                                           
                                                         प्रमोद बाजपेई 
                                                 प्रदेश कार्य समिति सदस्य 
                                    भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश 
                 मोबाईल -                                     9415021945  

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  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...