गुरुवार, 16 जून 2011

अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाये

           भारत जैसे विशाल देश में शिक्षा का उजियारा जन-जन तक पहुँचाना बड़ा ही दुष्कर कार्य है| इसकी दुष्करता के ही कारन यह विषय राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारों का कार्य माना गया| अर्थात ये समवर्ती सूची का विषय है| समवर्ती सूची वह सूची है जिस पर दोनों सरकारों को कार्य करने का अधिकार हमारा संविधान उन्हें प्रदान करता है| फिर भी शिक्षा के लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है| समय-समय पर हमारे समाज में तमाम ऐसे महापुरुष आये जिन्होंने शिक्षा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया| महामना मदन मोहन मालवीय का नाम उन महापुरुषों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है| परन्तु तमाम ऐसे लोग भी होते हैं, जो स्थानीय स्तर  पर घर-घर तक शिक्षा का उजियारा पहुँचाने की अपनी जद्दोजहद में लगे हुए हैं, लेकिन उनका जिक्र कहीं नहीं हो पाता है| 
         ऐसे ही एक  सज्जन श्री करूणा शंकर मिश्र जी की चर्चा मै आपसे करना चाहता हूँ| श्री मिश्र जी बालिकाओं की शिक्षा जैसे अति दुष्कर कार्य  पर अनवरत कर्मशील हैं| यूपी की राजधानी लखनऊ में इंदिरा नगर के निकट हरिहर नगर में आपने वासुदेव मेमोरियल गर्ल्स डिग्री कॉलेज स्थापित कर बालिकाओं को शिक्षित करने के अपनें संकल्प को साकार किया  हैं| ये करूणा जी की तल्लीनता और संकल्प का ही परिणाम है कि 2005 से लेकर अब तक न जानें कितनी बालिकाएं यहाँ से शिक्षा के साथ नैतिकता और आदर्श का पाठ पढ़कर  समाज को दिशा दे रहीं हैं|  राजधानी में कार्यरत ऐसे शिक्षा मनीषियों के बारे में मै आप लोगों से समय समय पर चर्चा करता रहूँगा| खासकर जिन्हें हम और आप नहीं जान पायें हैं| फ़िलहाल अगले एक दो दिन करूणा शंकर जी  से ही अवगत कराऊंगा| हाँ अगर आप करूणा शंकर जी से संपर्क करना चाहें तो उनके मोबाइल नंबर 9450452289 पर संपर्क कर सकते हैं|  आपका - सुशील अवस्थी "राजन" 

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