"राम नाम ही सत्य है" एक बार फिर साबित हुआ है, कि प्रभु चर्चा या आस्था ही किसी मरीज़ को दवा से ज्यादा फायदा दे सकती है| डब्लिन अमेरिका में प्रमुख स्वस्थ्य व चिकित्सा विज्ञानियों की बैठक में यह तथ्य सामने आये हैं| डॉ.लिंडा रास ने इसी बैठक में कहा कि "हम चाहे जितनी ही दलीलें तर्क और प्रमाण दें, इसे नाकारा नहीं जा सकता कि मनुष्य का विश्वास और प्रभु आस्था ही उसे रोग मुक्त करती है,दवाएं, इलाज़ और परहेज़ तो उस विश्वास को सिर्फ सहारा देतें हैं" दूसरे प्रमुख वक्ता व जाने माने मनोचिकित्सक प्रो कुक ने कहा कि "मनोरोगियों को दवा दारू से ज्यादा अध्यात्मिक चर्चाएँ सहायक होती हैं" मनोचिकित्सक हेराल्ड कोइंग भारत के प्राचीन वैद्यों का हवाला दिया कि "लोग उन्हें आध्यात्मिक गुरु मानते थे, वे कुछ पत्तियां,पौधों की जड़ें,तनें, फूल और यहाँ तक कि बीज भी दे देते तो उनकी बीमारियाँ ठीक हो जाती थी"
तो ठीक है स्पस्ट तो हो गया... नहीं तो यह सब करने वालों को हम तथाकथित बुद्धिजीवी पोंगा पंथी ही कहते थे| अब जब अमरीकी ज्ञानी ऐसा कह रहे हैं तब तो बात में दम है ऐसा हमारा विश्वास है| इसलिए दुविधा में न पड़िये कि राम हैं भी या नहीं? सिर्फ अंतिम संस्कार के ही वक्त न दुहराइये कि राम नाम सत्य है बल्कि दिल से मानिये कि राम नाम ही सत्य है|
आपका -
सुशील अवस्थी "राजन"
आपका -
सुशील अवस्थी "राजन"
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