आतंकवाद के अंतर्राष्ट्रीय आपूर्तिकर्ता पाकिस्तान की ताकत आमने-सामने के ही युद्ध में कमजोर है, बाकी कलाबाजियों में वह भारत से कोसों आगे है| आतंक से लडाई के नाम पर उसने अमेरिका जैसे देशों को जैसे घुटने के बल बैठा कर अपनी झूंठी कहानियों को सच मनवाया है, वह भी तो एक कला है| लादेन जैसे आतंकी को घर बैठा कर सालों उसे मिलकर खोजने का नाटक आसान है क्या?
हम भारत के लोग अपनी सारी ताकत लगाने के बाद दुनिया के देशों को एक छोटा सा सच नहीं समझा सके कि "आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति है" जबकि वह आतंकवाद के खिलाफ चल रही लडाई का प्रमुख योद्धा होने का झूठ सबको समझा ले गया है|
परन्तु बदले हालातों ने पाकिस्तान को फिर एक नयी गुलाटी लगाने के लिए विवश किया है| लादेन के मारे जाने के बाद अमेरिका-पाक संबंधों की मिठास में खासा असर आया है| अब अमेरिका का स्वाभाविक झुकाव भारत की ओर होगा| इसका आभास ही पाकिस्तान की चिंता की मूल वजह है| अमेरिका के लिए जब लादेन मुख्य मुद्दा था, तब पाकिस्तान उसके लिए "जरुरी/मज़बूरी" था, लेकिन लादेन को ख़त्म करने के बाद अपनी आर्थिक ताकत को बनाये और बचाए रखना ही उसका प्रमुख लक्ष्य है| उसके इस लक्ष्य की पूर्ति में दुनिया की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाला देश भारत मददगार हो सकता है, न कि कटोरा लिए सारी दुनिया में भीख मांगता फिर रहा पाकिस्तान|
ये सब बातें पाकिस्तान के गुलाटी बाज़ नेता,राजनयिक,और सेनापति जान चुके हैं| तभी तो लादेन के मारे जाने के कुछ ही दिन बाद पाकिस्तान हमारे एक दुश्मन जैसे पडोसी देश चीन की चौखट से सारी दुनिया को चाटुकारी अंदाज़ में चिल्ला-चिल्ला कर बता रहा था, कि अमेरिका नहीं चीन ही उसका असली मित्र है|
सैन्य ताकत में भले ही पाकिस्तान हमसे कमजोर हो, लेकिन चीन के साथ उसका गठजोड़ उसे भारत के लिए अत्यधिक घातक बना देता है| हमें भी दुनिया के ताकतवर देशों से मिलकर अपनी सुरक्षा को चाक-चौबंद रखना होगा| तेजी से बढती हमारी अर्थव्यवस्था हमारी सबसे बड़ी ताकत है,अपनी इसी ताकत का इस्तेमाल हमें अपनी विदेश व कूटनीति में करना होगा|
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