(धारावाहिक कहानी)
ग्रीन रेड ( सुशील अवस्थी "राजन")
कैलास पुर के प्राथमिक विद्यालय में आज सुबह से ही सारा गाँव इकट्ठा था| वह ग्राम प्रधान ननकू जिसकी अपने जिले विलासगंज के डी.एम. साहब के सामने हमेशा घिग्घी बंध जाती थी, वह आज खुद ननकू के पीछे-पीछे हाँथ बांधे चल रहे थे| जनपद के सभी बड़े अधिकारी आज कैलास पुर में नजर आ रहे थे|
ऐसा हो भी क्यों न... क्योंकि आज सूबे के कैबिनेट मंत्री जो इस गाँव में पधार रहे हैं| इसी गाँव के दलित पुत्र हरी लाल ने यह कारनामा कर दिखाया है| माधव गंज सुरक्षित सीट से विजयी हरी लाल को अभी एक हफ्ता पहले ही तो गाँव के लोगों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करते हुए टी.वी पर देखा व अख़बारों में पढ़ा था|
रामदेई काकी और फूलदुलार काका आज सबसे सम्मान और आदर पा रहे हैं| उन्ही के लड़के की ही वजह से तो आखिर आज छोटे से कैलास पुर को सारा देश जान गया है| इससे पहले इस गाँव के लोगों ने इतनी भीड़ अपने गाँव में कभी नहीं देखी थी| आज शंकरी सिंह एकदम अकेला है| उसकी हाँ हुजूरी में लगे रहने वाले सारे लोग आज उससे मुंह चुरा रहे हैं| बल्लियों की बैरिकेटिंग के पास भीड़ में भी अकेला खड़ा दिख रहा शंकरी भी शायद आज हरी लाल के ही इंतजार में है|
हूँ ....हूँ ... करती आ रही लाल बत्ती गाड़ियों के काफिले की धूल सबके चेहरों को ढक लेती है, लेकिन कोई अपनी पलक नहीं बंद करना चाह रहा है| सबकी आँखे अपने हरी लाल को सबसे पहले जो देखना चाहती हैं| हरी लाल जिसको उसके दोस्त ननकू ने कई साल पहले तफरी में ग्रीन रेड कहा था| हरी मतलब ग्रीन, लाल मतलब रेड अर्थात ग्रीन रेड = हरी लाल ...वह ग्रीन रेड आज कैलास पुर के लोगों की आँख का तारा बन चुका है| शेष फिर....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें