अनाचारी और अत्याचारी हुकूमतों का विनाश हमेशा पैदल छाप लोगों ने ही किया है| पैदल छाप से मेरा मतलब साधन विहीन लेकिन चारित्रिक रूप से ईमानदार है| रावण के अत्याचारी शासन का विनाश राम ने किया जो पैदल थे| तुलसीदास जी ने अपने नायक राम के पैदल होने का प्रमाण अपने महाकाव्य रामचरित मानस में देते हुए लिखा है कि "रावण रथी विरथ रघुवीरा, देखि विभीषण भयहु अधीरा" कंस जैसे आततायी का साम्राज्य ध्वस्त करने के लिए गोकुल गाँव से एक पैदल छाप ग्वाला कृष्ण ही गया था| कंस का आतताई शासन जड़-मूल से उखड गया था| अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला देने वाले आजाद,भगत,सुखदेव,विस्मिल और राजगुरु कोई साधन संपन्न नहीं,बल्कि पैदल छाप ही थे| चाणक्य का उदहारण तो सबको ज्ञात है| भारतीय इतिहास में एक नहीं अनेंक ऐसे उदहारण दिए जा सकते हैं,जहाँ पैदल छाप लोगों ने हुकूमतों को चापा है| सवाल ये है कि क्या जो मुझे और आपको पता है वह केंद्र सरकार चला रहे लोगों को नहीं पता है? यदि पता होता तो अन्ना जैसे पैदल व्यक्ति से सरकार चला रहे लोग सही बर्ताव करते न कि पंगा लेते|
आज जन कल्याण से विरत सत्ता प्रतिष्ठान से बाबा रामदेव और अन्ना हजारे नाम के दो व्यक्ति लड़ते दिख रहे हैं| जिसमे एक बाबा रामदेव साधन संपन्न तो दूसरे अन्ना हजारे एकदम पैदल छाप हैं| अन्ना से सरकार को सतर्क रहने की ज्यादा जरुरत है| क्योंकि पैदल छाप बड़ा खतरनाक ब्रांड है| अन्ना की सादगी,ईमानदारी और देशभक्ति को भारत का जन मानस स्वीकार रहा है| रावण जैसी अहंकारी केंद्र सरकार को अन्ना के चरण पकड़ कर शरणागत हो जाना चाहिए, अन्यथा वह विनाश को प्राप्त हो जाएगी| आप क्या सोंचते हैं? मुझे अवगत कराइए न| आपके विचार जानने को आतुर आपका - सुशील अवस्थी "राजन"
मोबाइल - 9454699011
har yug mein bana rahega PAIDAL CHAAL waalo ka KAAL!!
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