शनिवार, 4 जून 2011

कांग्रेस और बाबा की नूराकुश्ती

    नूराकुश्ती का मतलब जो न जानते हों उन्हें बताना चाहूँगा वह कुश्ती जिसका परिणाम पहले से तय हो| अब लोगों के दिलो दिमाग में यह बात कौंधने लगी है कि कहीं बाबा रामदेव की कांग्रेस  से कोई सांठ-गाँठ तो नहीं? दोनों मिलकर देश के सामने नूरा कुश्ती का प्रदर्शन कर रहें हैं इसके कई स्पस्ट संकेत हैं| जैसे धरना धरने से ठीक पहले सरकार का बाबा को अतिरिक्त महत्त्व देना| मंत्रियों की फौज के बाबा के पीछे दौड़ने से उन्हें धरने से पहले ही देश के मीडिया ने अपनी निगाहों में धर लिया, जिससे प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के मंथन से निकलने वाले संभावित प्रभावी सुर बेसुरे होकर धरे के धरे रह गए| जब बात ही करनी थी तो बाबा धरना धरने क्यों आ गए?  जब कई केन्द्रीय मंत्री रामदेव महराज के इतने करीबी थे तो सरकार ने वार्ता के सारे चरण पहले ही क्यों नहीं निपटा लिए? अब उनके चरण पकड़ कर चरण चापन क्यों? उनको धरने में सुकून से धरने उठाने दो|
       वास्तव में वर्तमान यूपीए-2 सरकार श्री हीन व तेज़ विहीन सरकार साबित हो चुकी है| इस सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी की आम भारतीय की निगाह में छवि तार-तार हो चुकी है| किसी नयी ड्रामे बाज़ी में जनता और मीडिया को उलझाना बेहद जरुरी था, अब दोनों को होम वर्क मिल गया है|
        बाबा के राजनीती में आने से किसको नुकसान होगा? सिर्फ भाजपा का और किसी का नहीं| लेकिन भाजपा की मजबूरी तो देखिये कि वह रामदेव धुन पर थिरकने को मजबूर है| कांग्रेस की इस राजनीतिक गोट से प्रमुख विपक्षी दल कमजोर हो जायेगा| राजनीती में ताकत बढाने के दो ही तरीके हैं या तो अपनी ताकत बढ़ा लो या फिर विरोधी की ताकत घटा दो| कांग्रेस की ताकत अब बढ़ने से रही सो अब विरोधी की ताकत घटाने के लिए बाबा का इस्तेमाल किया जा रहा है|
         अगर बाबा राजनीती में आये तो कौन इनका वोटर होगा? संपन्न सवर्ण| जो कि फ़िलहाल भाजपा का वोटर है| मुस्लिम और दलित कभी बाबा की धुन पर नहीं नाचेगा| कांग्रेस के कमजोर होने का अभी तक का सारा फायदा भाजपा के ही खाते में जा रहा था, सिर्फ प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते,   भाजपा के किसी काम से नहीं, वह प्रक्रिया भी रुक जाएगी|
         बाबा को लपर-सपर की स्थिति से बाहर निकल कर जनता के मन में उठ रही शंकाओं का अपने स्पस्ट रुख से समाधान प्रदान करना होगा| अन्यथा वह राजनीती में सिर्फ इस्तेमाल होकर रह जायेंगे| उनका पाला देश की सबसे षड्यंत्रकारी पार्टी से पड़ा है,जिससे सुभाष चन्द्र बोस जैसा तेज तर्रार देशभक्त नहीं निपट पाया, इस पार्टी ने अंततः उन्हें ही निपटा दिया|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...