रविवार, 31 जुलाई 2011

तुझसा लहेरो में बह लेता,तो मै भी सत्ता गह लेता|


  सुशील अवस्थी "राजन" 
तुझसा लहेरो में बह लेता,   
तो मै भी सत्ता गह लेता|
ईमान बेंचता चलता तो,
मै भी मंहलों में रह लेता|
हम पंछी उन्मुक्त गगन के,
पिंजरबद्ध  न गा पाएंगे|
कनक तीलियों से टकराकर,
पुलकित पंख टूट जायेंगे,
हम बहता जल पीनें वाले,
मर जायेंगे भूंखे प्यासे,
कहीं भली है कटुक निबौरी,
कनक कटोरी की मैदा से,
नीड़ न दो चाहे टहनी का,
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,
लेकिन पंख दिए हैं तो,
आकुल उड़ान में बिघ्न न डालो,

शनिवार, 30 जुलाई 2011

"अपनें रंग दिखा रही है सत्ता"

अपनें रंग दिखा रही है सत्ता,                         (सुशील अवस्थी "राजन")
रामदेव को जिस डंडे से पीटा,
वही अन्ना को दिखाकर  डरा रही है सत्ता,
कम नशा नहीं है सत्ता की बोतल में,
मदांध सत्ताशीनों के आचरण से,
यही तो हमको-आपको समझा रही है सत्ता|
अनवरत जारी रहे लूट का खेल,
इसीलिये तो लोकपाल की जगह जोकपाल को,
अपनें कूचे में बैठा रही है सत्ता|
                   गाँधी के ही अनुयायी कांपते,
                   अहिंसक गांधीवादी अनशनों से,
                   अपनी गिरावट का स्तर,
                   सबको दिखा रही है सत्ता| 
बेरहमी होती है सत्ताधीशों का आभूषण,
इसीलिये तो निरीहों पर,
पूरी ताकत से,
महंगाई का चाबुक,
चला रही है सत्ता|
           इस अंजुमन में आपको आना है बार-बार,
           भूल गए, याददाश्त भी हो गयी कमजोर,
           फिर यही निरीह जनता देगी आपको
           सिंहासन चढ़ाई का जोर,
           तब कहोगे सुन लो ऐ मालिकों,
           देखो न आज आपके दरवाज़े,
           पांच वर्षीय रिचार्ज  के लिए,
           किस कदर से गिड़-गिड़ा रही है सत्ता|
         
         

शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

सबसे बेहतरीन मुख्यमंत्री कौन?

सुशील अवस्थी "राजन" )  देश के कई प्रदेशों में अलग-अलग दलों के मुख्यमंत्री सत्ताशीन हैं, उनमें कई मुख्यमंत्री अपनी सूझ-बूझ और कार्य कुशलता के लिए न सिर्फ सारे देश में, बल्कि दुनिया में जानें जाते हैं, जबकि कुछ की नीतियां-रीतियाँ बहुत ही पकाऊ हैं, हम जानना चाहते हैं कि देश की जनता अपनें इन रहनुमाओं के बारे में क्या सोंचती है?  
    भारत के प्रमुख सूबे उत्तर प्रदेश की कमान बसपा प्रमुख मायावती के हाँथ है, जो आजकल यूपी में कानून व्यवस्था की बदहाली के कारण चारों तरफ से घिरी नजर आ रही हैं| दलितों-ब्राह्मणों को एकता के सूत्र में पिरो, माया नें पूर्ण बहुमत हांसिल किया| दलितों में राजनैतिक चेतना जगाये रहना, और उन्हें सम्मान से जीनें की राह दिखाना मेरी नजर में माया के महत्वपूर्ण कार्य हैं| अपराधियों के खिलाफ सख्त मिजाज़ के कारण यूपी के लोगों ने माया को ताज सौपा था, लेकिन उनकी सख्त प्रशासक की छवि उनके इस कार्यकाल में ध्वस्त हो चुकी है| आप माया को कैसा मुख्यमंत्री मानते हैं?
     लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में बिहार जितना कुख्यात हुआ, उतना ही लोगों की धारणा प्रबल होती गयी कि बिहार तो ऐसे ही चलेगा, लेकिन नितीश कुमार की सूझ-बूझ नें देश के धरातल पर एकदम नए बिहार का प्रादुर्भाव किया| ये कार्य कतई आसान न था| आज बिहार अव्यवस्था को पीछे छोंड व्यवस्था के नए कीर्तिमान गढ़ रहा है| ये सब संभव हुआ है नितीश कुमार की दूरदर्शी सोंच से| सारा देश बिहार के इस लाल को सलाम करता है| यदा-कदा कुछ एक घटनाएँ पुरानें बिहार का चित्र ताज़ा कर देती हैं, जिसे सख्ती से रोंकना ही नितीश जी की छवि को साकार स्वरुप प्रदान करेगा| आप क्या सोंचते हैं,अपनें इस रहनुमा के बारे में?
     गोधरा कांड की राख़ से सनें गुजरात के मुख्यमंत्री  नरेन्द्र मोदी अब विकासवाद के प्रतीक बन चुके हैं| इनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि बीजेपी की केंद्र में सरकार बनने की स्थिति में श्री  मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है| भारत में सकारात्मक कार्यों के लिए जब भी कहीं किसी मुख्यमंत्री की चर्चा की जाती है, तो माननीय मोदी जी का नाम बड़े आदर सत्कार से लिया जाता है| फिलहाल कोई  ऐसी कमी नहीं दिखती जिस पर मैं कोई सलाह दे सकूँ| क्या आप आज भी मोदी जी को सांप्रदायिक नजरिये से देखते हैं? यदि हाँ तो नजरिया बदलिए|
    इसी क्रम में छत्तीस गढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, व मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान का भी नाम लिया जा सकता है| शीला दीक्षित दिल्ली, व ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के कार्यों को भी सारे देश से सराहना मिल रही है| लेकिन कौन है जो इन नामों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, यह तो आप ही बता सकते हैं| मेरे अनुसार नरेन्द्र मोदी और नितीश कुमार को सर्वाधिक योग्य मुख्यमंत्री कहा जा सकता है|  

भारत के उत्कृष्ट और निकृष्ट प्रदेश कौन?

    देश के किस प्रदेश को आप उन्नत प्रदेश मानते हैं? पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात या फिर.....किसी अन्य प्रदेश को| उत्तर प्रदेश,बिहार के बारे में आप सबकी क्या राय है? किस प्रदेश को देश के बेहतरीन प्रदेश की संज्ञा दी जा सकती है? और हाँ देश के किस प्रदेश को आप सर्वाधिक निकृष्ट प्रदेश मानते हैं, इस पर भी अपनें विचारों को जरुर रखें| मुझे तो डर है कि कहीं देश के सर्वाधिक निकृष्ट प्रदेश का ख़िताब हमारे अपनें उत्तर प्रदेश को न मिल जाय|

गुरुवार, 28 जुलाई 2011

दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन ...

( सुशील अवस्थी "राजन" )  "दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए ...   हम सबनें कर्मा फिल्म यह गाना कई-कई बार सुना है| हाँ एक समय ऐसा था, जब देश के लिए मरनें को तैयार रहना ही देशभक्ति कहलाता था, उस दौर में आज़ाद,भगत,सुखदेव,राजगुरु,असफाक उल्ला, जैसे लोगों ने अपनें प्राणों की बाज़ी लगा, अपनें आपको देशभक्तों की ज़मात में शामिल करवाया, परन्तु आज़ादी के बाद के परिद्रश्य में देश के लिए मरना नहीं, बल्कि देश के लिए जीना ज्यादा बड़ी देशभक्ति है| आज आततायी सरकारों से मुक्ति के लिए गोली,बारूद की नहीं, बल्कि वोट की जरुरत होती है| मुझे तो लगता है कि "निष्पक्षता,निडरता और निःस्वार्थ भाव से किया गया मतदान ही वास्तविक देश सेवा है" 
      कितनें लोग करते हैं यह देश सेवा? मतदान के दिन सबसे ज्यादा आराम तलबी का भूत पढ़े लिखे और संपन्न तबके को ही सवार होता है| गाँव-गरीब और अनपढ़-अनगढ़ लोगों की सक्रियता से ही भारतीय लोकतंत्र जीवित है, अनिवार्य मतदान की व्यवस्था अपनाकर  हम सबको अपनी देशभक्ति को साबित करना होगा| मतदान के मतलब को आम आदमी तक पहुँचाना होगा| मतदान का मतलब एक या दो बोतल दारू नहीं हो सकता| मतदान का मतलब नाली,खडंजा,सौ दो सौ रुपया नहीं हो सकता| मतदान का मतलब जिसको आपनें वोट दिया उस पर एहसान लादना भी नहीं हो सकता| दुर्भाग्य से हम आम भारतीयों को मतदान के ये ही मतलब पता हैं| आज मतदान के वास्तविक मतलब को आम भारतीय तक पहुँचाना ही देश भक्ति है, कोई करना चाहेगा यह देश भक्ति? ऐसे आन्दोलन के साथ जी रहे व्यक्ति के जीनें को ही देश के लिए जीना कहा जायेगा|  क्या जियोगे अपनें हिंदुस्तान के लिए?

"पद छोंडों" कहनें का साहस जुटा ले गयी बीजेपी

( सुशील अवस्थी "राजन" )    अंततः भाजपा कर्नाटक के दागी मुख्यमंत्री येदियुरप्पा से "पद छोंडों" कहनें का साहस जुटा ही ले गयी| भ्रष्टाचार के कीचड से नहाई केंद्र सरकार के कीचड पर उंगली उठाते समय कांग्रेसी भाजपा के मस्तक पर येदियुरप्पा नाम के कीचड के तिलक का जिक्र करके बीजेपी को शर्मशार कर देते थे| अब भाजपा की आक्रामकता में वृद्धि हो सकेगी| पर कर्नाटक के संकट को समाप्त नहीं मान लेना चाहिए| शायद अनंत कुमार को नया मुख्यमंत्री  बनाया जाय| फ़िलहाल हठी यदियुरप्पा को नाराज  न करना ही बीजेपी का एजेंडा होगा| यदियुरप्पा ने दक्षिण भारत में कमल तो खिलाया, लेकिन उसका उसका बेतरतीब  फायदा भी उठाया| खनन घोटाले में बीजेपी के मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों ने बीजेपी को सिर्फ कर्नाटक में ही नहीं सारे देश में शर्मशार कर रखा था| भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आंदोलित हिंदुस्तान में आज किसी पार्टी के लिए संभव नहीं है कि वह किसी भ्रष्ट को बनाये या बचाए रख सके| यही भारतीय लोकतंत्र के लिए लाभदायक स्थिति है| जागरूकता के इसी स्तर को और ऊँचा उठानें की जरुरत है| 

सोमवार, 25 जुलाई 2011

उत्तर प्रदेश; 2012 सबका मिशन

  (सुशील अवस्थी "राजन" )   2012 में उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव होनें हैं| "सत्ता-रत्न" प्राप्ति हेतु करीब-करीब सभी पार्टियाँ सक्रिय हो उठी हैं| राहुल गाँधी की पदयात्राओं से माहौल चुनावी हो ही रहा था कि चुनाव आयोग नें राजधानी में दस्तक दे स्पस्ट कर दिया, हो जाओ तैयार ....| अजित सिंह नें सबसे पहले चुनावी गठजोड़ों का प्रयोग आरम्भ किया, जो अब असफलता के गर्त की तरफ बढ़ता दिख रहा है| पीस,इंडियन जस्टिस आदि छोटी पार्टियाँ ज्यादा सीटों पर लडनें की जिद पाल बैठी हैं, तो राष्ट्रीय लोकदल  कांग्रेस या सपा से गलबहियां करना चाहता है|
     छोटी पार्टियों में पीस पार्टी एक नयी ताकत बन चुकी है, जो जीत नहीं, बल्कि किसे हराना है, यह तय करेगी| बसपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना ही पड़ेगा| ब्राह्मण वोट को फिर से आकर्षित कर पाना ही बसपा की सत्ता वापसी का मार्ग प्रशस्त करेगा, जो फ़िलहाल दुष्कर लगता है| दलित वोट जो हांथी का साथी रहा है, पहली दफा मायावती का ५ साल का कार्यकाल देखकर क्या सोंच रहा है, बड़ा महत्वपूर्ण है| 
       सपा के प्रति यूपी वासियों की नाराज़गी नें ही 2007 में माया के हांथी का मार्ग प्रशस्त किया था, फिर जनता सपा को हांथों-हाँथ लेगी, मुश्किल ही है| राहुल से आम आदमी खुश हो  सकता है, पर उनके वादे पर यकीन करनें को नहीं तैयार होगा कि "कांग्रेस का हाँथ, आम आदमी के साथ"|   
       ऐसे में भाजपा उत्तर प्रदेश में अपना उखड़ा खूंटा फिर से गाडनें  की स्थिति में होगी, बशर्ते आपसी सर फुटव्वल पर लगाम लगाई जा सके| पार्टी के बड़े नेता गुटबाजी को संरक्षण न दें, जैसा कि लखनऊ की पश्चिमी विधान सभा के चुनाव में हुआ| यहाँ लालजी टंडन ने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार अमित पुरी का सिर्फ इसलिए दिल खोलकर समर्थन नहीं किया, क्योंकि श्री टंडन के सांसद बन जानें से रिक्त हुई सीट को वे अपनी जागीर समझ अपनें सुपुत्र के लिए टिकट मांग रहे थे और पार्टी ने श्री पुरी को उम्मीदवारी दे दी| यहाँ पार्टी के वरिष्ठ नेता नें गुटबाजी को संरक्षण ही नहीं दिया. बल्कि खुद गुटबाजी का नेतृत्व भी किया| ऐसे उदहारण स्पस्ट करते हैं कि भाजपा को खुद पर विजय पानें की जरुरत है| एक और मुद्दा कुछ सिटिंग विधायकों की अलोकप्रियता को जानते हुए भी उनके टिकट काटनें का साहस न जुटा पाना है| राजधानी लखनऊ के इन अलोकप्रिय विधायकों के नाम हैं, श्री सुरेश चन्द्र तिवारी-कैंट, श्री सुरेश श्रीवास्तव-मध्य, श्री विद्या सागर गुप्ता-पूर्वी, आम कार्यकर्ता का मन   है कि सबके सब बदल डालो| सिर्फ जीते लोग ही नकारा नहीं होते,हारे हुए नकारों में एक नाम है वीरेन्द्र तिवारी का जो हर बार जोड़=तोड़ कर सरोजनी नगर से पार्टी को हरवानें के लिए टिकट जरुर ले आते हैं| इस बार भी वे अपनें मिशन में लगे हुए हैं|

शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

पार्टियों में कितना लोकतंत्र ?

     हिंदुस्तान में राजनीतिक पार्टियाँ दिन-रात लोकतंत्र की दुहाई देते नहीं थकती, लेकिन खुद इन पार्टियों के अन्दर कितना लोकतंत्र विराजमान है, इस पर बात करते ही तमाम पार्टियाँ अतुकांत तर्कों का सहारा लेनें लगती हैं| कांग्रेस माता सोनिया और सुपुत्र राहुल की जागीर है, तो सपा मुलायम एंड फेमिली की चिट-फंड कंपनी है| कमोबेश यही हालत उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी बसपा की है| मुख्यमंत्री मायावती के सिवा इस पार्टी में सब कम्पनी के एम्प्लाई ही हैं|
     भाजपा, और वामपंथी पार्टियों को ही पार्टी कहा जा सकता है| क्योंकि राजनीती शास्त्र में जो पार्टी की परिभाषा दी गयी है,उसमें यही पार्टियाँ खरी उतरती हैं| आप की निगाह में और किस पार्टी में लोकतान्त्रिक व्यवस्था स्थापित है, बताइए मित्रों, हो सकता है कि मै ही गलत होऊं|

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

"सकै को राखि,राम कर द्रोही"

(सुशील अवस्थी "राजन")     अयोध्या प्रभु राम की जन्मभूमि  होने के कारण सारी दुनिया में जानी जाती है| अपनें मन में अपनें  आराध्य की मूर्ति बसाकर यहाँ आनें वालों को यहाँ के कण-कण में प्रभू श्री राम के ही दर्शन होते हैं,परन्तु यहाँ नागरिक सुविधाओं का पूर्णतयः अभाव है| तथाकथित धर्मनिरपेक्ष केंद्र और राज्य सरकारों की उपेक्षापूर्ण द्रष्टि के कारण अयोध्या आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है| भाजपा के राम मंदिर आन्दोलन से पहले अयोध्या इतनी उपेक्षित कभी न थी| उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जनपद स्थित इस नगरी के भ्रमण के दौरान आपको मेरी बातों की सच्चाई का एहसास जगह-जगह टूटी-फूटी  गड्ढा युक्त सड़कें करा देंगी| जगह-जगह बजबजाती गन्दी नालियां और कूड़े-करकट के ढ़ेर आपको अपनी नाक पर हाँथ रखनें को विवश कर देंगे| यूपी की राजधानी लखनऊ से मात्र 130 किलोमीटर दूर स्थित इस परम पावनी नगरी के दर्शनार्थ सिर्फ भारत के कोनें-कोनें से ही लोग नहीं आतें हैं, बल्कि विदेशों में बसे हिन्दू मतावलंबी भी यहाँ अपनें आराध्य के दीदार हेतु आते हैं| 
      पर्यटन उद्योग को बढानें के नाम पर भी यहाँ कुछ नहीं किया गया| जबकि राजधानी लखनऊ में अरबों रुपया पानी की तरह बहाकर, कुछ अनाम नेताओं/महापुरुषों की भव्य मूर्तियों को खड़ा करनें के साथ ही तमाम सुविधाएँ उपलब्ध कराई गयी हैं| मुझे इन अनाम सख्सियतों से कोई ईर्ष्या नहीं है, परन्तु इन महापुरुषों को मेरे आराध्य प्रभू श्री राम से ज्यादा महत्त्व दिया जाना कोफ़्त पैदा करता है| हद तो तब होती  है,जब राजधानी लखनऊ में कई जगह जीवित महा-महिला  की मूर्ति खडी करनें में सरकारी अमला धन्यता महसूस कर रहा है, परन्तु श्री राम उसके लिए भी अछूत ही हैं| सारी अयोध्या घूमनें के बाद ये सरकारी भेद-भाव देख मेरे मन में तुलसी बाबा की इस चौपाई की सत्यता जाँचनें को आत्मा बेताब है कि "सकै को राखि,राम कर द्रोही", मेरा तो मन कहता है कि हम लोगों के रहते-रहते ऐसा दिन जरुर आएगा, जब गुरुर से तनें इन शासनाध्यक्षों का कोई नाम लेवा तक न होगा,लेकिन प्रभू श्री राम और उनकी अयोध्या का गुणगान करनें वालों का कभी अभाव न रहेगा| और अंत में आप सभी राम भक्तों को सुशील अवस्थी का जय श्री राम|

बुधवार, 20 जुलाई 2011

कौन लडेगा भ्रष्टाचार के शक्तिशाली दानव से?

भ्रष्टाचार....भ्रष्टाचार.... भ्रष्टाचार.... हर तरफ यही सुनने में आ रहा है| सब इसी से आजिज लगते हैं| लेकिन मुझे तो नहीं लगता कि कोई ऐसा दिन भी आएगा जिस दिन हम इस भ्रष्टाचार के दानव के चंगुल से मुक्त हो पाएंगे| भ्रष्टाचार से निपटनें के दोहरे मानदंड कभी इस दानव का वध नहीं कर पाएंगे| ये ठीक वैसे ही हमारे समाज में जड़ें जमा चुका है, जैसे दहेज़ प्रथा .... मिले तो अच्छा, देना पड़े तो बुरा| सत्ताधारी दल को दिन रात पानी पी-पी कर गरियानें वाली विरोधी पार्टी भी सिर्फ इसलिए गरिया रही है, ताकि वह खुद सत्ताधारी बनकर लूट का लाइसेंस ले सके| कौन लडेगा भ्रष्टाचार के शक्तिशाली दानव से? जनता...... जो दिन रात नमक रोटी के लिए ही संघर्ष कर रही है| सरकार को चाहिए कि भ्रष्टाचार को शिष्टाचार का आवरण पहना दे| हर काम के लिए दलाली के रेट बोर्ड सरकारी कार्यालयों में लगा दिए जांय, जिससे चिक-चिक ख़त्म क़ी जा सके|

मंगलवार, 19 जुलाई 2011

सवाल मेरे,जवाब आपके

 लादेन के खात्मे के बाद क्या पाकिस्तान में अब अमेरिका की दिलचस्पी नहीं रही? अमरीकी सेना के अफगानिस्तान छोडनें और पाकिस्तान की सहायता राशि कम करनें से क्या होगा? ऐसी स्थिति में क्या पाकिस्तान के चीन की गोद में जा बैठनें की संभावना को ख़ारिज किया जा सकता है? पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ से भारत पर क्या असर पड़ेगा? अमेरिका-भारत संबंधों में अब कोई नई गर्मजोशी दिख रही है क्या? क्या अमेरिका चीन को दबाव में लानें के लिए भारत की जय बोल रहा है?

सोमवार, 18 जुलाई 2011

मजबूत दोस्ती किससे ?

बदली अंतर्राष्ट्रीय स्थिति  में भारत को किस देश से करनी चाहिए मजबूत दोस्ती? जो राष्ट्र हित के नजरिये से सबसे हितकारी हो|
१- अमेरिका से (जो भारत की आर्थिक  प्रगति से सशंकित रहता है)
२- रूस से (जो विश्वास पात्र तो है, लेकिन कमजोर हो चुका है )
३- चीन (जो दुनिया में हमारा सबसे मजबूत दुश्मन है, और पाकिस्तान का मजबूत दोस्त)
4- जापान, मलेशिया, इंडोनेशिया, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल, बंगलादेश, या फिर पाकिस्तान, किससे ? 

तुझको मिर्ची लगी तो.....

 दलाई लामा ने बराक हुसैन ओबामा से मुलाकात क्या की चीन ने आँखें तरेरनी शुरू कर दी| हिंदी फिल्म का एक गाना ओबामा का पक्ष ले रहा है, तुझको मिर्ची लगी तो मै क्या करूँ? दलाई लामा से चीन डरता है| क्योंकि लामा ही उसका चेहरा बेनकाब कर सकते हैं| बौद्ध गुरु लामा के अनुयायी सारी दुनिया में हैं| यहाँ तक की चीन के अन्दर उन्हें लोग पसंद करते हैं| तिब्बत की स्वतंत्रता का आन्दोलन श्री लामा हिमांचल के धर्मशाला से संचालित करते हैं| भारत में लामा बतौर शरणार्थी निवास कर रहे हैं| इसी कारण चीन भारत को नापसंद करता है| अरुणांचल को चीन का हिस्सा बताना, आये दिन सीमा पर घुसपैठ, भारत के दुश्मन पाकिस्तान से गलबहियां, चीन के मन में भारत के प्रति नफरत को दर्शाते हैं|
      शक्तिशाली होने के आभास से पगलाया चीन अमरीका से भी पंगा लेनें से नहीं डरता है| जबकि वह (चीन) होनेवाली विश्व शक्ति है, तो अमरीका वर्तमान| चीन का यह रुख भारत-अमरीका को और करीब लायेगा| फिर इस गठजोड़ से निपट पाना चीन के लिए भी आसान नहीं होगा| वैसे भी लादेन के खात्मे के बाद पाकिस्तान के प्रति अमरीका  के प्यार में कमी देखनें को मिल रही है| भारत अमरीकी संबंधों में पाकिस्तान के प्रति अमरीका का लाड-दुलार ही सबसे बड़ी बाधा था| अब समीकरण तेजी से बदल रहे हैं| चीनी दबंगई से आजिज देशों की संख्या कम नहीं है, लेकिन उसका नेतृत्व सिर्फ और सिर्फ अमरीका ही करनें में सक्षम है| हालाँकि अमरीका सिर्फ समीकरणों पर ही चलता है,वह भी भारत का आदर्श शुभचिंतक नहीं है| फिर भी आनें वाले दिनों में चीन को मिर्ची लगानें के लिए हमें उसका साथ स्वीकारना होगा|  हिंदी-चीनी भाई-भाई का मीठा यशगान फेल हो जानें के बाद मिर्ची प्रसाद ही सही  रणनीति होगी|    
 

रविवार, 17 जुलाई 2011

"हठधर्मिता करेगी कांग्रेस और बसपा का सफाया"

      मुझे तो लगता है कि केंद्र और यू.पी. सरकारों की हठ धर्मिता उनके सर्वनाश का कारण बनेगी| यूपी  सरकार द्वारा डॉ. सचान हत्याकांड में अपनाई गयी हठधर्मिता, कि उनकी हत्या नहीं की गयी, बल्कि डॉ. साहब ने आत्म हत्या की है| जबकि रामदेव और अन्ना को लेकर केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गयी हठ धर्मिता उसका सफाया कर देगी| आप क्या मानते हैं? बता सकते हैं|

शनिवार, 16 जुलाई 2011

भारत दुनिया की उभरती महाशक्ति

  भारत दुनिया की उभरती महाशक्ति है| विशेषज्ञ कहते हैं कि असीमित संभावनाओं से लैस भारत में सामर्थ्य भी है कि वह दुनिया का नेतृत्व कर सके| कुदरत नें भी हिंदुस्तान को प्राकृतिक संपदाओं से नवाजनें में कोई कोर कसर नहीं छोंडी है| करीब-करीब दुनिया का हर खनिज, हमारी जमीन  में है| साल भर प्रवाहित रहनें वाली पुण्य सलिला नदियों ने देश की जमीन को उर्वरता से भरा है| तो  दक्षिण में तीन  तरफ से देश को आबद्ध किये  महासागर,व उत्तर में हिमालय की विस्तृत पर्वतीय श्रंखला, भारत को कुदरती सुरक्षा छतरी प्रदान करती है|
       कुदरत की इन मेहरबानियों की वजह से ही हमारा अतीत अत्यंत  वैभवशाली रहा है| एक समय हमें दुनिया सोने की चिड़िया के ही नाम से जानती थी| लेकिन कालांतर में हम लोगों की कमियों ने हमारा बेडा गर्क कर दिया| आपसी जाति-पांति, हिन्दू-मुस्लिम, की नफ़रत ने विदेशी आक्रान्ताओं को सोने की चिड़िया के पर नोंचनें का सुनहरा अवसर उपलब्ध कराया| फलस्वरूप हम सैकड़ों सालों तक लुटते-पिटते रहे|  अंततः १५ अगस्त १९४७ को हम अपनी कमियों पर विजय पा  सके| जाति- पांति, हिन्दू-मुस्लिम के भेद मिटा हम अत्याचारी अंग्रेजों से लड़े और गुलामी की बेड़ियों को तोड़ एक स्वतंत्र देश के रूप में दुनिया के सामने आये| लेकिन अंग्रेजों के जाते-जाते हमनें हिन्दू-मुस्लिम के भेद-भाव की ऐसी काली पट्टी अपनें विवेक की आँखों पर बांधी जिसने हमारे पड़ोस में ही पाकिस्तान जैसे धूर्त देश को जन्म दिया| जो अपनी कारगुजारियों से आज भी हमें सुकून से नहीं रहने दे रहा है|
    बेशक हम दुनिया की उभरती  ताकत हैं, हमारी अर्थव्यवस्था, धर्म-निरपेक्षता और लोकतंत्र ने हमें सारी दुनिया के सामनें सम्मानित राष्ट्र होनें का गौरव दिलाया है| परन्तु हमें विकासशील देश से विकसित देश होनें तक का सफ़र तय करनें के लिए अपनी कमियों से पार पाना होगा|

गुरुवार, 14 जुलाई 2011

"आतंकवाद से लड़ रहे हम,जानें कैसी लडाई"

आतंकवाद से लड़ रहे हम,
जानें कैसी लडाई|
अफजल गुरु,कसाब,
बन चुके हैं अब अपनें भाई|
पाकिस्तान अभिन्न पडोसी,
भिन्न हुआ कश्मीर|
रामदेव ठग, अन्ना चोर,
दोनों रखते पास में अपनें,
भारत माँ की तस्वीर|
पहले खेले खून की होली,
उनकी होती खातिर,
मुम्बई पहुँच कहे मनमोहन,
बचेंगे न अब शातिर|
कौन आतंकियों का शुभचिंतक,
हिंदुस्तान या पाक|
दोनों में ही होड़ लग रही,
है एकदम नापाक|
पाकिस्तान में नहीं सुरक्षित,
नेता न लादेन|
पर हिंदुस्तान में गुरु कसाब को,
हर प्रकार का चैन|
कहते सुनों अवस्थी "राजन"
सुन ओ  पाकिस्तान,
अब तू समझा, हिंसा नहीं,
अहिंसा मेरी शान|

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

उत्तर प्रदेश को मिला,बेनी नाम का मनमोहक प्रसाद|


                                                                                                                               उत्तर प्रदेश  को मिला,
बेनी नाम का मनमोहक प्रसाद|
पर क्या वोट की फसल उपजानें में,
 यह बन पायेगा खाद|
नहीं कोई शक बेनी,
यहाँ के उम्दा नेता हैं|
पड़ी जरुरत अभिनय की,
तो बेहतर अभिनेता हैं|
जातिवाद से मुक्ति चाहते यूपी के लिए,
कांग्रेस के पास  क्या ये ही है जायदाद|
उत्तर प्रदेश को मिला,
बेनी नाम का मनमोहक प्रसाद|
क्या भूल गए हम,
महंगाई ने तोड़ी कमर हमारी|
भ्रष्टाचार और घोटाले,
नियति बनें सरकारी|
रामदेव और अन्ना को,
दिया तुम्हीं ने लाद|
उत्तर प्रदेश को मिला,
बेनी नाम का मनमोहक प्रसाद|
पूँछें सुशील अवस्थी,
कितना हमको बाँटोगे|
जातिवाद की घुट्टी हमको,
खुद मलाई चाटोगे|
विकासवाद चलेगा २०१२ में,
जातिवाद और धर्मवाद हो जायेगा अपवाद|
उत्तर प्रदेश को मिला,
बेनी नाम का मनमोहक प्रसाद|

                                             









सुशील अवस्थी "राजन"
09454699011

काली दाल का सच

 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन  के अरबों रुपये के घोटाले में आज पूर्व मुख्य चिकित्साधिकारी ए.के शुक्ल को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया गया| शुक्ल जी को अपनी गिरफ़्तारी की सम्भावना का अहसास  पहले ही हो गया था, सो श्रीमान जी पहले से ही ट्रामा में भर्ती हो गए थे| पुलिस का निहायत मानवीय चेहरा बहुत दिन बाद लोगों को देखनें को मिला, अस्पताल के डाक्टरों की सलाह का इन्तजार....इन्तजार|
    श्री मन शुक्ल जी चौथे बड़े स्वास्थ्य अधिकारी हैं, जो अब सूली की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं| इससे पहले इसी लूट खसोट और बन्दर बाँट कांड में विनोद आर्य, बी. पी. सिंह,और डॉ.सचान अपनी जान गँवा चुके हैं| हालाँकि श्री शुक्ल जी इन सब में सर्वाधिक रसूखदार हैं|इसलिए उनके साथ किसी अनहोनी के बारे में सोंचना मूर्खता  है| यह घोटाला काण्ड कुछ अति प्रभावशाली लोगों की ही हरकत है, यह बात समझने के लिए प्रदेश और देश की जनता को किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता  नहीं रह गयी है| प्रदेश सरकार के अमले की हरकतें बता रही हैं, कि सिर्फ दाल में काला  नहीं, बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है|  देखो काली दाल का सच कब जनता के सामने आता है?

सोमवार, 11 जुलाई 2011

क्या..जो नहीं है,वही सही है?


कालका ट्रेन दुर्घटना में मारे गए  लोगों को सरकारों ने ३ व १ लाख रूपये देनें की घोषणा की है| ३ लाख बड़ी सरकार यानि केंद्र ने व १ लाख छोटी सरकार अर्थात यूपी सरकार ने घोषित किये हैं| ये रूपये सहानुभूति के नहीं बल्कि अपनी खामियों को छुपाने के लिए हैं, कि भाई हम तो सुधरने से रहे पैसा लो और मुझे माफ़ करो| पैसे को मानव जीवन की कीमत तय करने का अधिकार दिया जा रहा है... जो गलत है| जो जीवित हैं और ट्रेनों से सफ़र कर रहें हैं ...करते रहेंगे, उनके लिए सरकारों के पास कोई द्रष्टि नहीं है| यदि है तो बताइए न सरकार....|
     वास्तव में हमारे यहाँ इस प्रकार की कार्य संस्कृति विकसित हो चुकी है कि जो नहीं है वही सही है| जो हैं वो बड़ी समस्याएं खड़ी करते हैं,लेकिन जो नहीं हैं वो बड़े ही प्यारे हैं, क्योंकि जो नहीं है वो कुछ बोलता ही नहीं| जो नहीं हैं कितना प्यारा हो जाता है...जैसे डॉ. सचान जब थे... तो अभियुक्त थे .... नहीं हैं तो सभी के प्रिय हो गए| IP VIP सब उनके घर की तरफ दौड़े पर रहें हैं| अब देखिये न महापुरुष बनने के लिए किसी भी भ्रष्ट व मक्कार नेता का न रहना कितना लाभप्रद है| उसके मरते ही उसका धुर विरोधी भी कहता श्री फला ने अपना सारा जीवन दीन दुखियों की सेवा में समर्पित कर दिया| यदि कोई श्रद्धांजलि प्रस्तोता से पूछें कि जब श्री फला इतने अच्छे थे तो सारी जिंदगी आपनें इतनें अच्छे आदमी की आलोचना करते क्यों काट दी? उत्तर यही है कि जो नहीं है वही सही है|
       सोंचिये .....भगवान् हमारे आपके सामने नहीं है तो कितना सही है| कितना सम्मान देते हैं हम| हमारे महापुरुषों के नहीं होनें का ही तो फायदा हमारे राजनीतिक दल उठा रहे हैं| आप बताइए न ...क्या गाँधी जी पसंद करते कि उनके नाम पर चल रही सरकार अनशन कर रहे सोते लोगों पर लाठीचार्ज व आंसूगैस छोंड़े| क्या बाबा साहब भीम राव आंबेडकर जी... उनके ही नाम पर चल रही यूपी सरकार के कामों को सराहते? क्या भगवान् राम उन्ही के नाम का निरंतर जप कर रही भाजपा की रीति-नीति के प्रशंसक हो सकते हैं? समाजवाद का दंभ भरनेवाली पार्टी के संचालन की लगाम एक ही परिवार के हाँथ होने की बात, क्या लोहिया जी को अच्छी लगती क्या? ये सब महापुरुष नहीं हैं तो कितने सही हैं?
       वास्तव में उपर्युक्त महापुरुष जीवित लोगों की सेवा कर ही महापुरुषों की कतार में शामिल हुए हैं| ये भी अगर इसी फंडे पर कायम होते कि जो नहीं है वही सही है, तो महापुरुष निर्मित होने की प्रक्रिया वहीं रुक गयी होती| आज हमें और हमारे भाग्य-विधाताओं को यही समझनें की दरकार है| पर क्या ऐसा हो सकेगा कि जीवित लोगों की सेवा को ही हम नारायण सेवा मानें|
 
 
 
 
 
 
 
 
 
सुशील अवस्थी राजन"
09454699011

शनिवार, 9 जुलाई 2011

"राहुल गाँधी, राहुल गाँधी".......

राहुल गाँधी, राहुल गाँधी
गूंज रही है ये आवाज़|
ये आवाज़ हुई सशक्त तो ,
बसपा पर गिरनी तय गाज| 
भूल  सुरक्षा सुख की चिंता, 
यू  फिरना आसान नहीं| 
जनता है सब जानती है,
यह मूरख नादान  नहीं|

जो कहते इसको नौटंकी,
ऐसा करके दिखाएँ|
सही एक दिन,
भूल प्रतिष्ठा 
मेरे बीच में आयें| 
राहुल बाबा आपसे हमको,
एक शिकायत भारी|
बढ़ी हुई महंगाई ने,
तोड़ी कमर हमारी|
खाद,सिंचाई,बीज,
सभी हैं अपनी पकड़ से बाहर|
इन पर करो नियंत्रण,
तो फिर मानें तुमको नाहर| 
रामदेव और अन्ना भी,
लगते हमें सही हैं|
ठीक नहीं "गवर्नमेंट" आपकी,
किया जो बात कही है|

मंगलवार, 5 जुलाई 2011

यूपी वालों तुम भी बदलो,

 बंगाल बदला तमिलनाडु बदला,
बदला अपना बिहार  है|
यूपी वालों तुम भी बदलो,
यदि यूपी से प्यार है|
जातिवाद का अपना दानव
निकल गया हरजाई|
नहीं सुरक्षित अपने घर में,
मातु बहन भौजाई|
क्या थाने करें शिकायत जाकर,
जहाँ होता बलात्कार है|
यूपी वालों तुम भी बदलो,
यदि यूपी से प्यार है|
अंधकार हर तरफ,
नहीं कहीं दिखता हमें उजाला
त्रस्त है सर्वसमाज, 
हो क्षत्रिय दलित या लाला|
चुना था जिसको उम्मीदों से,
क्या ये वही सरकार है|
यूपी वालों तुम भी बदलो, 
यदि यूपी से प्यार है| 
बिजली सड़क स्वास्थ्य और शिक्षा,
सबकी हुई बदहाली|
व्यर्थ काम में लुटा खजाना
सामने है कंगाली| 
जाति- धर्म के वाद को छोड़ों,
विकासवाद दरकार है|
यूपी वालों तुम भी बदलो,
यदि यूपी से प्यार है|
माया रहें, मुलायम जाएँ,
इससे कुछ नहीं होगा|
जब तक कि हम उतार न फेंकें,
जातिवाद का चोंगा|
कहते सुनों अवस्थी "राजन"
अब क्रांति हमारे द्वार है|
यूपी वालों तुम भी बदलो,
यदि यूपी से प्यार है|
 
                                                         सुशील अवस्थी "राजन"
                                                                    09454699011  

राजनीतिक दल या नौटंकी कम्पनियाँ?

         कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी ने आज सुबह भट्टा परसौल से अलीगढ तक की पदयात्रा की शुरुआत की| यूपी की सत्तारूढ़ पार्टी बसपा ने इसे नौटंकी कहा है,तो भाजपा ने इसे कांग्रेस-बसपा सांठगांठ कहा| भाजपा का कस्ट यह है कि जब हमारे नेता इसी मुद्दे पर प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें यूपी सरकार गिरफ्तार कर लेती है,लेकिन  राहुल घूम रहे हैं| हालाँकि बहुजन समाज पार्टी ने अपना रटा-फटा  बेसुरा राग गाया है कि कानून व्यवस्था से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जायेगा| दिल्ली से अपना गला साफ करते हुए राशिद अल्वी जी ने फ़रमाया कि कांग्रेस भी यही चाहती है, कि यूपी सरकार कानून व्यवस्था से खिलवाड़ कर रहे लोगों से  शख्ती से पेश आये| उनका इशारा यूपी की कानून व्यवस्था की स्थिति की तरफ था| क्या समझा जाये समझ में नहीं आ रहा है|
      लेकिन जनता क्या समझ रही है यह इन लोगों को कौन समझाए? राशिद जी का बसपा के प्रति अभी भी लगाव है| बोलते बोलते उनके चेहरे के भाव उनका स्वाभाव उजागर कर देते हैं| रही बात नौटंकी की, तो जनता इन सभी  राजनीतिक पार्टियों के कार्य व्यव्हार को नौटंकी के रूप में ही लेकर इंज्वाय करती है| बसपा का कानून व्यवस्था स्थापना का महा म्रत्युन्जयी उद्घोष  कोई छोटी-मोटी नौटंकी का आइटम है क्या? भाजपा द्वारा सांप्रदायिक उन्माद भड़काकर एक उपासना स्थल को तुडवा देना फिर उसी से पिंड छुडाने वाली छटपटाहट, क्या नौटंकी की श्रेणी में नहीं आता? जब सब नौटंकी कम्पनियाँ अपना अपना खेला दिखाकर यूपी की जनता का मनोरंजन कर रही हैं, तो भैया राहुल की कंपनी के खेले पे धेला क्यों चलाया जा रहा है?  बाकी तो जनता बताएगी कि उसे किस नौटंकी कंपनी का खेला पसंद आया|      

                                                           सुशील अवस्थी "राजन"
                                                       मोबाईल          09454699011

सोमवार, 4 जुलाई 2011

"हरि भी खुश होगा और जन भी

      अमीर भगवान् के गरीब सेवक ....| केरल के एक मंदिर में मिली अकूत सम्पदा की चर्चा आजकल सबकी जुबान पर है| १ लाख करोड़ रुपये के मिले जेवरात कैसे और कहाँ से आये बड़ा ही विस्मयकारी है| तिरुपति बाला जी, माता वैष्णव देवी,सिद्धिविनायक मंदिरों की अकूत सम्पदा का जिक्र तो आता रहता है,लेकिन केरल के पद्मनाभन मंदिर की सम्पदा के रहस्योद्घाटन ने तो सारी दुनिया की आँखें चुंधिया दी हैं| काले धन को वापस लाने के लिए आन्दोलन कर रहे बाबा रामदेव ने भी भगवा रंग के ही सहारे अपना विशाल साम्राज्य खड़ा किया किया है|
     सत्य सांई,बाबा जय गुरुदेव, आशाराम  ये कुछ और नाम हैं जिन पर भगवा लक्ष्मी मेहरबान हुई हैं| इस सब के बावजूद इस देश का अधिसंख्य ईश्वर-भक्त दो जून की रोटी के लिए ही संघर्ष कर रहा है| क्या अकूत सम्पदा अर्जित कर रहे इन लोगों और भगवान् को आम-आदमी का दुःख दर्द नहीं समझ आता क्या? मंदिर जब धन-पिपासुओं की तिजोरियां बन गए हों तो कोई गोरी और गजनी जैसा आक्रान्ता ही इनका लाभ उठाएगा| इससे बेहतर है की  इस धन का उपयोग राष्ट्र निर्माण में किया जाय| बिजली,सड़क,पानी और शिक्षा  जैसे आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए भगवा धन का उपयोग किया जाना चाहिए| निश्चय ही इससे हरि भी खुश होगा और जन भी|

रविवार, 3 जुलाई 2011

मम्मी-पापा से भी ज्यादा प्यारा है यह बाबू|



ये है मेरी १७ महीने की प्यारी बिटिया रिशिका का प्यारा दोस्त बाबू| रिशिका आजकल इसी के साथ अपना ज्यादा वक्त बिताती है| उसको मम्मी-पापा से भी ज्यादा प्यारा है यह बाबू|




बाबू के साथ खाना, बाबू के साथ पीना| खेलना,कूदना बातें करना सब बाबू के साथ| वाह रे बाबू जी...



 देखिये न बाबू के साथ रिशिका की ख़ुशी के कुछ फोटो
                                  बाबू आगे बाकी सब पीछे
                                       बाबू से प्यारा कोई नहीं

सोचना भी तो बाबू के लिए

शनिवार, 2 जुलाई 2011

अन्ना फिर से करेंगे अनशन

अन्ना हजारे         
                                                                            (सुशील अवस्थी "राजन" )
अन्ना फिर से करेंगे अनशन,
उनके ही पीछे है जनमन,
नेता सब बेचैन हैं,
कुछ धक्-धक्,धक्-धक् बोलते,
लेकिन कुछ तो मौन हैं, 
अब कैसे होगी लूट,
लोकपाल यदि आ गया नहीं रहेगी छूट,
कैसे चलेगी पार्टी,
और कैसे घर-बार,
अन्ना तुने कर दिया हम सबका बंटाधार,
लोकतंत्र पर खतरा है,
देते दिन रात दुहाई,
लगता है स्विस बैंक की भी,
चली जाएगी कमाई,
मूरख जनता के तो देखो
हम ही भाग्य-विधात हैं,
लगता ये तो जाग गयी है,
और अन्ना के साथ है,
अन्ना जैसी सादगी,
राष्ट्र-भक्ति कहाँ से लाऊँ,
ले भी आऊँ,
तो फिर कैसे
सियासत में टिक पाऊँ,
राजनीति के नेताओं पर,
अन्ना नाम की सुनामी आई,
एक तरफ है कुआं दिख रहा,
एक तरफ है खाईं ,
अन्ना जी चुनाव में
कम पैसा नहीं लगता,
इसीलिये तो तू चुनाव न लड़ता,
राजनीती से भगता,
बात ठीक तब होती,
जब  इलेक्शन लड़ तू दिखाए
 देख तेरा फिर पाक साफ सा जीवन
खुद ही भ्रष्ट हो जाये,

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

चीन है भारत का सबसे बड़ा दुश्मन

       चीन भारत पर 2014 तक हमला कर सकता है। भारतीय रक्षा विशेषज्ञों की यह आशंका सच भी साबित हो सकती है। चीन ने इसके संकेत दिए हैं।  एक बड़ी ताकत बनते भारत और अमेरिका के साथ उसकी नजदीकियां चीन को परेशान कर रही हैं। यही वजह है कि चीन भारत पर आने वाले तीन सालों में सीधा हमला कर सकता है।  भारतीय सेना और रक्षा से जुड़े विशेषज्ञ इस बात की आशंका जताते रहे हैं कि 2014 में चीन भारत पर हमला कर सकता है। भारतीय जानकारों की आशंका की पुष्टि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की पत्रिका ‘कीशी’ के ताज़ा संस्करण में छपे लेख ने कर दी है। लेख में भारत के साथ सीमा विवाद को निपटाने और शांति स्थापित करने के लिए जंग की वकालत की गई है।
         भारतीय सेना और रक्षा पर आधारित पत्रिका ‘इंडियन मिलिट्री रिव्यू’ (आईएमआर) में छपे एक लेख में भारतीय सेना के मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी ने दावा किया है कि भारत की बढ़ती आर्थिक हैसियत और अमेरिका से नजदीकी इस जंग की वजह बनेगा। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के इस संभावित हमले में अमेरिका दखल नहीं देगा क्योंकि इराक में लड़ी गई जंग में अमेरिका को काफी नुकसान पहुंचा था और अफगानिस्तान में भी उसकी फौज को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में वह एक और जंग में कूदने की हिम्मत नहीं दिखाएगा। मतलब साफ है कि अब भारत और चीन के बीच सीधी जंग की आशंका बढ़ती जा रही है। जीडी बख्शी का कहना है कि चीन से संभावित युद्ध में ऑपरेशन का केंद्र जम्मू-कश्मीर होगा, जहां पूर्व और पश्चिमी छोर पर पाकिस्तान के साथ मिलकर हमला किया जा सकता है।
      इंडियन मिलिट्री रिव्यू के संपादक मेजर जनरल (रिटायर्ड) आर.के. अरोड़ा का कहना है कि चीन की सेना पीएलए तिब्बत में अपना ढांचा विकसित कर रहा है, जो भारत के लिए चिंता की वजह है। अरोड़ा का कहना है, ‘लगातार बढ़ते रेल नेटवर्क, सड़कों का जाल, तेल पाइपलाइन और ब्रह्मपुत्र (चीन में सांगपो कहते हैं) नदी के दक्षिण में रणनीतिक तौर पर एक बड़े बेस की स्थापना करके चीन बहुत कम समय में ही आक्रामक अभियान छेड़ सकता है। ऐसी तैयारी का सामना करना हमारा लिए बहुत मुश्किल होगा।’ चीन के विशेषज्ञ आरके अरोड़ा का कहना है कि 1962 को दोहराना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि हमारी तैयारी पहले से बहुत बेहतर है। लेकिन अगर चीन और भारत के बीच हथियारों का फर्क बढ़ेगा तो हमारी सेना को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।








 सुशील अवस्थी "राजन"
09454699011

भारत भाग्य विधाता कौन?

भ्रष्टाचार में डूबे नेता,
या फिर बालीवुड अभिनेता,
क्रिकेट के चमके भव्य खिलाडी,
या भूंखे नंगे निपट अनारी,
जो सब झेले होकर मौन|
भारत भाग्य विधाता कौन?
                   नौकर बन बैठे हैं मालिक,
                   महंगाई स्थाई सर्वकालिक, 
                   आतंकियों की कड़ी सुरक्षा, 
                   संत के संग पिटे अबोध बच्चा, 
                   लाठी-डंडा खाए जौन,
                   भारत भाग्य विधाता कौन?
थानों में लुटती बहन हमारी, 
जब सूबे की मुखिया बहना प्यारी, 
हैं जेलों के मालिक अपराधी, 
राजनीती से हीक है आती, 
हम जातिवाद में डूबे तौन, 
भारत भाग्य विधाता कौन? 

                                                         सुशील अवस्थी "राजन"
                                                         09454699011
नोट - ये मेरी अपनी मौलिक रचना है, बगैर मेरी मर्ज़ी के कोइ भी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता है|

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...