गूंज रही है ये आवाज़|
ये आवाज़ हुई सशक्त तो ,
बसपा पर गिरनी तय गाज|
भूल सुरक्षा सुख की चिंता,
यू फिरना आसान नहीं|
जनता है सब जानती है,
यह मूरख नादान नहीं|
जो कहते इसको नौटंकी,
ऐसा करके दिखाएँ|
सही एक दिन,
भूल प्रतिष्ठा
मेरे बीच में आयें|
राहुल बाबा आपसे हमको,
एक शिकायत भारी|
बढ़ी हुई महंगाई ने,
तोड़ी कमर हमारी|
खाद,सिंचाई,बीज,
सभी हैं अपनी पकड़ से बाहर|
इन पर करो नियंत्रण,
तो फिर मानें तुमको नाहर|
रामदेव और अन्ना भी,
लगते हमें सही हैं|
ठीक नहीं "गवर्नमेंट" आपकी,
किया जो बात कही है|
good....
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