सोमवार, 11 जुलाई 2011

क्या..जो नहीं है,वही सही है?


कालका ट्रेन दुर्घटना में मारे गए  लोगों को सरकारों ने ३ व १ लाख रूपये देनें की घोषणा की है| ३ लाख बड़ी सरकार यानि केंद्र ने व १ लाख छोटी सरकार अर्थात यूपी सरकार ने घोषित किये हैं| ये रूपये सहानुभूति के नहीं बल्कि अपनी खामियों को छुपाने के लिए हैं, कि भाई हम तो सुधरने से रहे पैसा लो और मुझे माफ़ करो| पैसे को मानव जीवन की कीमत तय करने का अधिकार दिया जा रहा है... जो गलत है| जो जीवित हैं और ट्रेनों से सफ़र कर रहें हैं ...करते रहेंगे, उनके लिए सरकारों के पास कोई द्रष्टि नहीं है| यदि है तो बताइए न सरकार....|
     वास्तव में हमारे यहाँ इस प्रकार की कार्य संस्कृति विकसित हो चुकी है कि जो नहीं है वही सही है| जो हैं वो बड़ी समस्याएं खड़ी करते हैं,लेकिन जो नहीं हैं वो बड़े ही प्यारे हैं, क्योंकि जो नहीं है वो कुछ बोलता ही नहीं| जो नहीं हैं कितना प्यारा हो जाता है...जैसे डॉ. सचान जब थे... तो अभियुक्त थे .... नहीं हैं तो सभी के प्रिय हो गए| IP VIP सब उनके घर की तरफ दौड़े पर रहें हैं| अब देखिये न महापुरुष बनने के लिए किसी भी भ्रष्ट व मक्कार नेता का न रहना कितना लाभप्रद है| उसके मरते ही उसका धुर विरोधी भी कहता श्री फला ने अपना सारा जीवन दीन दुखियों की सेवा में समर्पित कर दिया| यदि कोई श्रद्धांजलि प्रस्तोता से पूछें कि जब श्री फला इतने अच्छे थे तो सारी जिंदगी आपनें इतनें अच्छे आदमी की आलोचना करते क्यों काट दी? उत्तर यही है कि जो नहीं है वही सही है|
       सोंचिये .....भगवान् हमारे आपके सामने नहीं है तो कितना सही है| कितना सम्मान देते हैं हम| हमारे महापुरुषों के नहीं होनें का ही तो फायदा हमारे राजनीतिक दल उठा रहे हैं| आप बताइए न ...क्या गाँधी जी पसंद करते कि उनके नाम पर चल रही सरकार अनशन कर रहे सोते लोगों पर लाठीचार्ज व आंसूगैस छोंड़े| क्या बाबा साहब भीम राव आंबेडकर जी... उनके ही नाम पर चल रही यूपी सरकार के कामों को सराहते? क्या भगवान् राम उन्ही के नाम का निरंतर जप कर रही भाजपा की रीति-नीति के प्रशंसक हो सकते हैं? समाजवाद का दंभ भरनेवाली पार्टी के संचालन की लगाम एक ही परिवार के हाँथ होने की बात, क्या लोहिया जी को अच्छी लगती क्या? ये सब महापुरुष नहीं हैं तो कितने सही हैं?
       वास्तव में उपर्युक्त महापुरुष जीवित लोगों की सेवा कर ही महापुरुषों की कतार में शामिल हुए हैं| ये भी अगर इसी फंडे पर कायम होते कि जो नहीं है वही सही है, तो महापुरुष निर्मित होने की प्रक्रिया वहीं रुक गयी होती| आज हमें और हमारे भाग्य-विधाताओं को यही समझनें की दरकार है| पर क्या ऐसा हो सकेगा कि जीवित लोगों की सेवा को ही हम नारायण सेवा मानें|
 
 
 
 
 
 
 
 
 
सुशील अवस्थी राजन"
09454699011

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