चीन भारत पर 2014 तक हमला कर सकता है। भारतीय रक्षा विशेषज्ञों की यह आशंका सच भी साबित हो सकती है। चीन ने इसके संकेत दिए हैं। एक बड़ी ताकत बनते भारत और अमेरिका के साथ उसकी नजदीकियां चीन को परेशान कर रही हैं। यही वजह है कि चीन भारत पर आने वाले तीन सालों में सीधा हमला कर सकता है। भारतीय सेना और रक्षा से जुड़े विशेषज्ञ इस बात की आशंका जताते रहे हैं कि 2014 में चीन भारत पर हमला कर सकता है। भारतीय जानकारों की आशंका की पुष्टि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की पत्रिका ‘कीशी’ के ताज़ा संस्करण में छपे लेख ने कर दी है। लेख में भारत के साथ सीमा विवाद को निपटाने और शांति स्थापित करने के लिए जंग की वकालत की गई है।
भारतीय सेना और रक्षा पर आधारित पत्रिका ‘इंडियन मिलिट्री रिव्यू’ (आईएमआर) में छपे एक लेख में भारतीय सेना के मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी ने दावा किया है कि भारत की बढ़ती आर्थिक हैसियत और अमेरिका से नजदीकी इस जंग की वजह बनेगा। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के इस संभावित हमले में अमेरिका दखल नहीं देगा क्योंकि इराक में लड़ी गई जंग में अमेरिका को काफी नुकसान पहुंचा था और अफगानिस्तान में भी उसकी फौज को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में वह एक और जंग में कूदने की हिम्मत नहीं दिखाएगा। मतलब साफ है कि अब भारत और चीन के बीच सीधी जंग की आशंका बढ़ती जा रही है। जीडी बख्शी का कहना है कि चीन से संभावित युद्ध में ऑपरेशन का केंद्र जम्मू-कश्मीर होगा, जहां पूर्व और पश्चिमी छोर पर पाकिस्तान के साथ मिलकर हमला किया जा सकता है।
इंडियन मिलिट्री रिव्यू के संपादक मेजर जनरल (रिटायर्ड) आर.के. अरोड़ा का कहना है कि चीन की सेना पीएलए तिब्बत में अपना ढांचा विकसित कर रहा है, जो भारत के लिए चिंता की वजह है। अरोड़ा का कहना है, ‘लगातार बढ़ते रेल नेटवर्क, सड़कों का जाल, तेल पाइपलाइन और ब्रह्मपुत्र (चीन में सांगपो कहते हैं) नदी के दक्षिण में रणनीतिक तौर पर एक बड़े बेस की स्थापना करके चीन बहुत कम समय में ही आक्रामक अभियान छेड़ सकता है। ऐसी तैयारी का सामना करना हमारा लिए बहुत मुश्किल होगा।’ चीन के विशेषज्ञ आरके अरोड़ा का कहना है कि 1962 को दोहराना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि हमारी तैयारी पहले से बहुत बेहतर है। लेकिन अगर चीन और भारत के बीच हथियारों का फर्क बढ़ेगा तो हमारी सेना को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
सुशील अवस्थी "राजन"
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definitely theanalysts are either under USA influence or oblidged by warefare traders GPP lobby....overall it's a gud assumption.... for time pass.
जवाब देंहटाएंaapka kahna bilkul sahi hai sir lekin ye baat aur mahatvpoorna hai ki bharat ke karndharo ko bhi iska andaza hai? kya wo aur hum iske liye taiyyar hain? mujhe to nahi lagta ki unke kaan me iski bhank bhi padi hai ya shayad sab jaante hue bhi........
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