(सुशील अवस्थी राजन") मुझे लगता है उत्तर प्रदेश को "परिवर्तन" की जरुरत है| मेरे परिवर्तन का मतलब मायावती की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाना नहीं है| हाँ विकासवादी सोंच का कोई व्यक्ति यदि यूपी का सीएम होगा तो मेरी परिवर्तनवादी सोंच को और बल मिल सकेगा|
अन्ना हजारे के आन्दोलन ने स्पष्ट किया है, कि देश का आम आदमी सुशासन ही चाहता है, लेकिन इस सुशासन को उत्तर प्रदेश के लोग किस शिद्दत से महसूस कर रहे हैं, यह तो आनेवाला २०१२ का विधान सभा चुनाव ही स्पष्ट करेगा|
लूटवाद,अपराधवाद,जातिवाद, और धर्मवाद की प्रयोगशाला बन चुका उत्तर प्रदेश का पिछड़ापन जगजाहिर है| हमारी विडम्बना तो देखिये, आज हमारे पास विकासवादी सोंच का कोई एक सर्वमान्य नेता तक नहीं है| वैसा नेता जैसा गुजरात के पास नरेन्द्र मोदी के रूप में है| कभी उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा दुर्भाग्यशाली रहे बिहार को भी नितीश कुमार के रूप में एक विकासपुरुष मिल चुका है| लेकिन यूपी के दिन फ़िलहाल बहुरते नहीं दिख रहे हैं|
समाजवादी पार्टी के कुशासन से तंग होकर हमने माया को बुलाया, लेकिन वह तो मुलायम से भी कई हाँथ आगे निकली| उन्ही के विधायक मंत्री शोषण आन्दोलन का नेतृत्व करनें लगे| जेल में हत्याएं होनें लगी| नाबालिग कन्याओं से बलात्कार होनें लगा| खुद मुख्यमंत्री जनसभाओं में फूलों की जगह नोटों की माला पहननें लगी| विरोध करनें वालों के घरों को प्रशासन की देखरेख में आग के हवाले किया जानें लगा| पत्रकारों को पुलिस अधिकारी दिनदहाड़े अपमानित करनें लगे| यदि यह सब कुशासन नहीं है तो फिर कुशासन की क्या परिभाषा होगी?
भाजपा और कांग्रेस का यूपी की सियासत में कोई ज्यादा महत्त्व नहीं रहा| प्रदेश वासी कांग्रेस को महंगाई की जननी के रूप में देख रहे हैं, तो भाजपा को २०१४ के लोकसभा चुनाओं में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार की अकर्मण्यता के फलस्वरूप दिल्ली की सत्ता देनें की फिराक में है| मुझे तो लगता है यूपी की जनता के पास इस बार राजनैतिक विकल्प हीनता की स्थिति होगी| जिसमें मिली-जुली खिचड़ी सरकार के मजबूत आसार हैं|
ऐसी स्थिति में अन्ना हजारे या उनकी टीम यदि कोई नया राजनैतिक विकल्प रख दे, तो हालात पूर्ण परिवर्तनीय हो जायेंगे, और यही परिवर्तन मुझे यूपी के लिए सर्वाधिक मुफीद परिवर्तन लगता है| इसी परिवर्तन से यूपी का भाग्योदय हो सकता है| बाकी परिवर्तन थोथा परिवर्तन होगा|
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