सुशील अवस्थी "राजन" दुनिया तेज़ी से बदल रही है| पाकिस्तान जो अमेरिका का दुलारा था वह अब चीन की आँख का तारा हो चुका है| भारत जो चीन से डरा सहमा रहता था वह चीन की आँख में आँख डालकर बात कर रहा है| चीनियों को लगता है कि भारत,जापान,अमेरिका उसकी घेराबंदी कर रहे हैं| इन परिवर्तनों की नीव उसी दिन पड़ गयी थी, जिस दिन अमेरिका नें ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में खोजकर उसका वध कर दिया था| पाकिस्तान और अमेरिका दोनों जान गए थे कि अब अपनें-अपनें देश के लोगों को और बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता| पाकिस्तान को अनाथ होनें से पहले नया मालदार आका चीन मिल गया| जो भविष्य की विश्व महाशक्ति है| लेकिन पाक को एक बात समझ लेनी चाहिए कि अमेरिका वर्तमान की महाशक्ति है| भविष्य के चक्कर में जो वर्तमान की उपेक्षा करता है उसका भविष्य हमेशा अंधकारमय ही होता है|
पाकिस्तान को चीन की मिली सरपरस्ती ही भारत को चीन की आँख में आँख डालकर बात करनें के लिए जिम्मेवार है| चीन को सबक सिखानें के लिए भारत उसके दुश्मनों से यदि अपनें सम्बन्ध मजबूत कर रहा है, तो पाकिस्तान को अपनी झोली में बैठाकर चीन कैसे भारत से पूछ सकता है कि ये क्या माज़रा है? चीन एक बात बहुत ठीक से समझ रहा है,वह यह कि भारत १९६२ से काफी आगे बढ़ चुका है, जब उसनें हिंदुस्तान की पीठ में विश्वासघात का खंजर आसानी से घोंप दिया था| हालाँकि भारत-चीन संबंधो को पाकिस्तान जैसे खटमल देश से कोई खतरा पैदा होते हुए हमारे कूटनीतिक व राजनयिक नहीं देख रहे हैं फिर भी दूध से जला छांछ फूंक कर पीनें वाली सतर्कता तो जरुरी है| अब दुनिया भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं को आपस में लड़ते हुए नहीं बल्कि सहयोग करते हुए देखना चाहती है| क्योंकि मंदी से जूझती दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाएं ही सहारा दे सकती हैं| भारत चीन को लड़ा कर सिर्फ पाकिस्तान को ही आत्मसुख मिलेगा और किसी को नहीं| पाकिस्तान के आत्मसुख के लिए न तो चीन लड़ना चाहेगा और न ही भारत| अंततः परजीवी खटमल ही मारा जायेगा|
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