(सुशील अवस्थी राजन") रामदेव की दूसरी स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत झाँसी की पावन भूमि से हो चुकी है| झाँसी की मिटटी को पावनता प्रदान की है रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान नें| जिनके बारे में लिखी गयी ये पंक्तियाँ सारे देश को ज्ञात हैं कि "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी"| अर्थात एक जनाना जिसनें देश हित के लिए मर्दाना काम किया| क्योंकि युद्ध पुरुषों का ही कार्य है|
लेकिन रामदेव जी की देशभक्ति झाँसी की रानी से कहीं नहीं मेल खाती है| एक ओर जहाँ रानी लक्ष्मीबाई की देश भक्ति जनाना को मर्दाना बनाती है, वही रामदेव महराज जी की देश भक्ति मर्दानों को जनाना बनाती है| दुनिया नें रामलीला मैदान में स्वामी रामदेव जी की जनाना देशभक्ति लीला भी देखी है, जब श्री स्वामी जी महराज नें अपनें प्राणों की रक्षा के लिए महिलाओं को कैसे अपनी ढाल बनाने का कार्य किया, और अंततः महिलाओं के वस्त्र धारण कर अपनें प्राणों की रक्षा की| जबकि रामदेव की जनाना देशभक्ति एपिसोड के ख़त्म होनें के बाद अन्ना हजारे की मर्दाना देशभक्ति नें उसी जुल्मी, आततायी और बेरहम केंद्र सरकार को लोक जन प्रभाव से अपनें श्री चरणों पर लेटनें के लिए मजबूर कर दिया, जिस सरकार से डरकर बाबा रामदेव की देशभक्ति जनाना हो गयी थी|
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