सुशील अवस्थी "राजन" किसी विद्वान का कहना है कि अपराध से घृणा करो अपराधी से नहीं| इसी विद्वान के मंतव्य का सम्मान कर रहे हैं हमारे राजनीतिक दल| साढ़े चार साल तक मनी,माफिया और मीडिया से अपनें कार्यकर्ताओं को दूर रहनें की घुट्टी पिलाती रही यूपी की मुख्यमंत्री मायावती नें इन्ही त्रि "मा" का बेहतर उपभोग किया| और अब जब चुनाव सामनें दिख रहे हैं वह इन्ही से छुटकारा पाना चाह रही हैं| जबकि विरोधी पार्टियाँ माया की थाली से अलग हो रही इसी जूठन को सर माथे लगाकर माया की थाली छीननें का सपना संजो रही हैं|
जानिए कुछ नामों को जितेन्द्र सिंह बबलू, जिसनें रीता जोशी के घर को आग के हवाले कर खूब नाम और यश कमाया| उनके इस पुनीत कार्य को सरकार नें अपनी सहमति भी दी| लेकिन ये मान्यवर अब उत्तर प्रदेश की नवोदित पीस पार्टी को राजनीति में "अपराधवाद" के गुर सिखायेंगे| जौनपुर से सांसद धनञ्जय सिंह की भी करीब-करीब यही कथा है| जिस गुड्डू पंडित को कभी सपा प्रदेश का सर्वाधिक वांछित विधायक मान रही थी,उसी को अपनी पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर पाक-साफ कर रही है|
कोई लाख सफाई दे लेकिन यह एकदम सत्य है कि यूपी की राजनीति से कोई भी पार्टी अपराधियों को बेदखल नहीं कर सकती| यह पुनीत कार्य प्रदेश की जनता को ही करना होगा| वक्त आ गया है जब हम यूपी वासियों को "अपराधी हराओ, प्रदेश बचाओ" का नारा बुलंद करना चाहिए| चाहे वह किसी दल का हो| जब तक अपराधी जीतेगा तब तक राजनीतिक दल उसे टिकट देंगे| लेकिन जैसे ही अपराधी हारेगा पार्टियाँ उससे तोबा कर लेंगी| यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि अपराधी किसी का नहीं होता है|
जानिए कुछ नामों को जितेन्द्र सिंह बबलू, जिसनें रीता जोशी के घर को आग के हवाले कर खूब नाम और यश कमाया| उनके इस पुनीत कार्य को सरकार नें अपनी सहमति भी दी| लेकिन ये मान्यवर अब उत्तर प्रदेश की नवोदित पीस पार्टी को राजनीति में "अपराधवाद" के गुर सिखायेंगे| जौनपुर से सांसद धनञ्जय सिंह की भी करीब-करीब यही कथा है| जिस गुड्डू पंडित को कभी सपा प्रदेश का सर्वाधिक वांछित विधायक मान रही थी,उसी को अपनी पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर पाक-साफ कर रही है|
कोई लाख सफाई दे लेकिन यह एकदम सत्य है कि यूपी की राजनीति से कोई भी पार्टी अपराधियों को बेदखल नहीं कर सकती| यह पुनीत कार्य प्रदेश की जनता को ही करना होगा| वक्त आ गया है जब हम यूपी वासियों को "अपराधी हराओ, प्रदेश बचाओ" का नारा बुलंद करना चाहिए| चाहे वह किसी दल का हो| जब तक अपराधी जीतेगा तब तक राजनीतिक दल उसे टिकट देंगे| लेकिन जैसे ही अपराधी हारेगा पार्टियाँ उससे तोबा कर लेंगी| यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि अपराधी किसी का नहीं होता है|
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