उत्तर प्रदेश की अधिकांश पार्टियाँ अपराधियों के प्रभाव में हैं| जब तक अपराधी दूसरे दल में रहता अछूत रहता है,लेकिन जैसे ही वह खुद के दल में आ जाता है, गरीबों का मसीहा तक हो जाता है| सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी तो बाकायदा अपराधियों और बदमाशों को पार्टी से जोड़कर सुधार कोर्स तक संचालित कराती है| अपराधी सुधार पाठशाला में शिक्षा पा रहे बदमाशों की परीक्षा लेनें के बाद पार्टी मुखिया घोषित करती हैं कि कौन पास कौन फेल| आजकल जौनपुर से सांसद एक बाहुबली माया मैडम की पाठशाला में अनुत्तीर्ण हो गया है|
यूपी की मुख्यमंत्री जब किसी अपराधी प्रवत्ति के व्यक्ति को पार्टी की सदस्यता देती हैं, तो कहती हैं कि अमुक बदमाश वृत्ति के व्यक्ति नें उनसे वादा किया है कि वह सुधरना चाहता है, इसलिए वे उसे पार्टी से जोड़ रही हैं| और वे उसे समय देती हैं, उस तय समय में यदि वह नहीं सुधरता है तो बहिन जी उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा देती हैं| सवाल यह है कि क्या हमारी राजनैतिक व्यवस्था में राजनीतिक पार्टियों का यही कार्य निर्धारित किया गया है कि वे अपराधी बदमाश सुधार संस्थाओं की तरह कार्य करेंगी| यदि नहीं... तो फिर तो यह जनता के साथ धोखा हुआ न| सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यों के अनुरूप यदि इस पार्टी को बहुजन समाज पार्टी की जगह बदमाश सुधार पार्टी कहा जाय तो क्या गलत होगा?
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