भारत दुनिया की उभरती महाशक्ति है| विशेषज्ञ कहते हैं कि असीमित संभावनाओं से लैस भारत में सामर्थ्य भी है कि वह दुनिया का नेतृत्व कर सके| कुदरत नें भी हिंदुस्तान को प्राकृतिक संपदाओं से नवाजनें में कोई कोर कसर नहीं छोंडी है| करीब-करीब दुनिया का हर खनिज, हमारी जमीन में है| साल भर प्रवाहित रहनें वाली पुण्य सलिला नदियों ने देश की जमीन को उर्वरता से भरा है| तो दक्षिण में तीन तरफ से देश को आबद्ध किये महासागर,व उत्तर में हिमालय की विस्तृत पर्वतीय श्रंखला, भारत को कुदरती सुरक्षा छतरी प्रदान करती है|
कुदरत की इन मेहरबानियों की वजह से ही हमारा अतीत अत्यंत वैभवशाली रहा है| एक समय हमें दुनिया सोने की चिड़िया के ही नाम से जानती थी| लेकिन कालांतर में हम लोगों की कमियों ने हमारा बेडा गर्क कर दिया| आपसी जाति-पांति, हिन्दू-मुस्लिम, की नफ़रत ने विदेशी आक्रान्ताओं को सोने की चिड़िया के पर नोंचनें का सुनहरा अवसर उपलब्ध कराया| फलस्वरूप हम सैकड़ों सालों तक लुटते-पिटते रहे| अंततः १५ अगस्त १९४७ को हम अपनी कमियों पर विजय पा सके| जाति- पांति, हिन्दू-मुस्लिम के भेद मिटा हम अत्याचारी अंग्रेजों से लड़े और गुलामी की बेड़ियों को तोड़ एक स्वतंत्र देश के रूप में दुनिया के सामने आये| लेकिन अंग्रेजों के जाते-जाते हमनें हिन्दू-मुस्लिम के भेद-भाव की ऐसी काली पट्टी अपनें विवेक की आँखों पर बांधी जिसने हमारे पड़ोस में ही पाकिस्तान जैसे धूर्त देश को जन्म दिया| जो अपनी कारगुजारियों से आज भी हमें सुकून से नहीं रहने दे रहा है|
बेशक हम दुनिया की उभरती ताकत हैं, हमारी अर्थव्यवस्था, धर्म-निरपेक्षता और लोकतंत्र ने हमें सारी दुनिया के सामनें सम्मानित राष्ट्र होनें का गौरव दिलाया है| परन्तु हमें विकासशील देश से विकसित देश होनें तक का सफ़र तय करनें के लिए अपनी कमियों से पार पाना होगा|
कुदरत की इन मेहरबानियों की वजह से ही हमारा अतीत अत्यंत वैभवशाली रहा है| एक समय हमें दुनिया सोने की चिड़िया के ही नाम से जानती थी| लेकिन कालांतर में हम लोगों की कमियों ने हमारा बेडा गर्क कर दिया| आपसी जाति-पांति, हिन्दू-मुस्लिम, की नफ़रत ने विदेशी आक्रान्ताओं को सोने की चिड़िया के पर नोंचनें का सुनहरा अवसर उपलब्ध कराया| फलस्वरूप हम सैकड़ों सालों तक लुटते-पिटते रहे| अंततः १५ अगस्त १९४७ को हम अपनी कमियों पर विजय पा सके| जाति- पांति, हिन्दू-मुस्लिम के भेद मिटा हम अत्याचारी अंग्रेजों से लड़े और गुलामी की बेड़ियों को तोड़ एक स्वतंत्र देश के रूप में दुनिया के सामने आये| लेकिन अंग्रेजों के जाते-जाते हमनें हिन्दू-मुस्लिम के भेद-भाव की ऐसी काली पट्टी अपनें विवेक की आँखों पर बांधी जिसने हमारे पड़ोस में ही पाकिस्तान जैसे धूर्त देश को जन्म दिया| जो अपनी कारगुजारियों से आज भी हमें सुकून से नहीं रहने दे रहा है|
बेशक हम दुनिया की उभरती ताकत हैं, हमारी अर्थव्यवस्था, धर्म-निरपेक्षता और लोकतंत्र ने हमें सारी दुनिया के सामनें सम्मानित राष्ट्र होनें का गौरव दिलाया है| परन्तु हमें विकासशील देश से विकसित देश होनें तक का सफ़र तय करनें के लिए अपनी कमियों से पार पाना होगा|
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