सोमवार, 4 जुलाई 2011

"हरि भी खुश होगा और जन भी

      अमीर भगवान् के गरीब सेवक ....| केरल के एक मंदिर में मिली अकूत सम्पदा की चर्चा आजकल सबकी जुबान पर है| १ लाख करोड़ रुपये के मिले जेवरात कैसे और कहाँ से आये बड़ा ही विस्मयकारी है| तिरुपति बाला जी, माता वैष्णव देवी,सिद्धिविनायक मंदिरों की अकूत सम्पदा का जिक्र तो आता रहता है,लेकिन केरल के पद्मनाभन मंदिर की सम्पदा के रहस्योद्घाटन ने तो सारी दुनिया की आँखें चुंधिया दी हैं| काले धन को वापस लाने के लिए आन्दोलन कर रहे बाबा रामदेव ने भी भगवा रंग के ही सहारे अपना विशाल साम्राज्य खड़ा किया किया है|
     सत्य सांई,बाबा जय गुरुदेव, आशाराम  ये कुछ और नाम हैं जिन पर भगवा लक्ष्मी मेहरबान हुई हैं| इस सब के बावजूद इस देश का अधिसंख्य ईश्वर-भक्त दो जून की रोटी के लिए ही संघर्ष कर रहा है| क्या अकूत सम्पदा अर्जित कर रहे इन लोगों और भगवान् को आम-आदमी का दुःख दर्द नहीं समझ आता क्या? मंदिर जब धन-पिपासुओं की तिजोरियां बन गए हों तो कोई गोरी और गजनी जैसा आक्रान्ता ही इनका लाभ उठाएगा| इससे बेहतर है की  इस धन का उपयोग राष्ट्र निर्माण में किया जाय| बिजली,सड़क,पानी और शिक्षा  जैसे आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए भगवा धन का उपयोग किया जाना चाहिए| निश्चय ही इससे हरि भी खुश होगा और जन भी|

1 टिप्पणी:

  1. सुशील जी भगवान के इस धन को यहीं पर ही सुरक्षित रहने दे ये धन संपदा जो आज आप को दिखाई दे रही है दरसल वो भगवान के रिटायरमेंट का संचित धन है जो अत्यधिक जरुरत के वक्त उनके घर (इसी देश ) में काम आयेगा पर इस बात क्या गारंटी है कि भ्रष्टाचार से पोषित इस देश में भगवान का ये संचित धन भ्रष्टाचारिओं कि भेटं नहीं चडेगा इसलिए पहले इस देश से भ्रष्टाचार को पूर्णतया नष्ट करने का कड़ा कानून बने उसके बाद इस धन का उपयोग राष्ट्र निर्माण में किया जाय| (अनुराग सक्सेना)

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