मंगलवार, 5 जुलाई 2011

राजनीतिक दल या नौटंकी कम्पनियाँ?

         कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी ने आज सुबह भट्टा परसौल से अलीगढ तक की पदयात्रा की शुरुआत की| यूपी की सत्तारूढ़ पार्टी बसपा ने इसे नौटंकी कहा है,तो भाजपा ने इसे कांग्रेस-बसपा सांठगांठ कहा| भाजपा का कस्ट यह है कि जब हमारे नेता इसी मुद्दे पर प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें यूपी सरकार गिरफ्तार कर लेती है,लेकिन  राहुल घूम रहे हैं| हालाँकि बहुजन समाज पार्टी ने अपना रटा-फटा  बेसुरा राग गाया है कि कानून व्यवस्था से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जायेगा| दिल्ली से अपना गला साफ करते हुए राशिद अल्वी जी ने फ़रमाया कि कांग्रेस भी यही चाहती है, कि यूपी सरकार कानून व्यवस्था से खिलवाड़ कर रहे लोगों से  शख्ती से पेश आये| उनका इशारा यूपी की कानून व्यवस्था की स्थिति की तरफ था| क्या समझा जाये समझ में नहीं आ रहा है|
      लेकिन जनता क्या समझ रही है यह इन लोगों को कौन समझाए? राशिद जी का बसपा के प्रति अभी भी लगाव है| बोलते बोलते उनके चेहरे के भाव उनका स्वाभाव उजागर कर देते हैं| रही बात नौटंकी की, तो जनता इन सभी  राजनीतिक पार्टियों के कार्य व्यव्हार को नौटंकी के रूप में ही लेकर इंज्वाय करती है| बसपा का कानून व्यवस्था स्थापना का महा म्रत्युन्जयी उद्घोष  कोई छोटी-मोटी नौटंकी का आइटम है क्या? भाजपा द्वारा सांप्रदायिक उन्माद भड़काकर एक उपासना स्थल को तुडवा देना फिर उसी से पिंड छुडाने वाली छटपटाहट, क्या नौटंकी की श्रेणी में नहीं आता? जब सब नौटंकी कम्पनियाँ अपना अपना खेला दिखाकर यूपी की जनता का मनोरंजन कर रही हैं, तो भैया राहुल की कंपनी के खेले पे धेला क्यों चलाया जा रहा है?  बाकी तो जनता बताएगी कि उसे किस नौटंकी कंपनी का खेला पसंद आया|      

                                                           सुशील अवस्थी "राजन"
                                                       मोबाईल          09454699011

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