संदीप कान्त "राजन" (व्यापारी नेता ) |
सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्य की उसको चलाने के लिए सबसे ज्यादा पैसा व्यापारी समाज से ही आता है| सेवा कर,व्यापार कर,आय कर, और जितने भी कर हैं हैं सब व्यापारी चुकता है,जिसके दम पर सरकारें अपने अधिकारियों और कर्मचारियों का भरण पोषण करतीं हैं| लेकिन यही अधिकारी कर्मचारी सर्वाधिक शोषण भी व्यापारियों का ही करते हैं| सवाल उठता है आखिर क्यों? क्यों आये दिन व्यापारी खुले आम सड़क पर लूटे और मारे जाते हैं|
मै जिक्र करना चाहूँगा यूपी की राजधानी लखनऊ के चारबाग में सरे राह मारे गए एक चश्मा व्यापारी का| अपराध मुक्त सरकार सञ्चालन का दावा कर रही उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री सुश्री मायावती जी को स्पष्ट करने की आवश्यकता है की आखिर कब तक व्यापारी भय युक्त जीवन जीने को अभिशप्त रहेगा? न जाने ऐसी कितनी वारदातें इस शहर ने देखी हैं जहाँ सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की व्यापारियों के प्रति संवेदन हीनता ने स्थिति जटिल ही की है| आखिर कौन देगा व्यापरियों की सुरक्षा अवं समस्याओं का समाधान?
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