गुरुवार, 2 जून 2011

यदि मिल गए रामदेव और अन्ना

यदि मिल गए रामदेव और अन्ना  
          सोंचिये अगर रामदेव और अन्ना मिलकर देश को यदि नया राजनीतिक विकल्प दें तो क्या होगा? सभी पार्टियों का खेल ख़त्म हो जायेगा या नहीं? यही होता भी दिख रहा है| अन्ना ने बाबा को कांग्रेस नीत यूपीए सरकार की कार्य प्रणाली का जो अपना अनुभव सार्वजानिक किया है उसमे उन्होंने यही बताया है कि जनाक्रोश से बचने के लिए यह सरकार आपकी जमकर तेल मालिश करेगी और उसके बाद फिर आपको ही ज्ञान देगी| इसलिए बाबा जी इन लोगों के झांसे में न आइये मै आ चूका हूँ| उन्होंने यह भी कहा कि रविवार को वो खुद धरने में सरकार को उठाने-धरने के लिए आयेंगे|
        आडवाणी जी ने एक बहुत ही बेवकूफी भरी बात कही थी कि नेताओं को बेवजह गरियाने से लोकतंत्र के सामने खतरा खड़ा हो जायेगा| जब नए बेदाग नेता मिल रहें हैं तो लोकतंत्र के सामने कैसा खतरा आडवाणी जी? लापरवाह नेताओं का विकल्प जनता के सामने आ रहा है| सभी पार्टियों के मनमौजी नेता खैर मनाएं कि अन्ना-बाबा एक न हों| और यदि एक हो भी जाएँ तो कोंई राजनीतिक विकल्प न सुझाएँ| 

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