दुनिया के किसी कोने में कोई आतंकी घटना हो और उसमे पाकिस्तान का नाम न आये क्या कभी ऐसा हुआ है? यहाँ तक कि दुनिया का सबसे कुख्यात आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन जिसे अमरीका के नेतृत्व में कई देश ढूँढ़ रहे थे, वह भी आख़िरकार पाकिस्तान में ही मिला| तो फिर दुनिया उसे आतंकी देश क्यों नहीं घोषित करती? क्योंकि दुनिया के दो ताकतवर देश अमरीका और चीन उसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहते हैं| दुनिया उसे आतंकी देश घोषित करे या न करे भारत को तो स्पस्ट रूप से घोषित कर देना चाहिए| फिर दुनिया के देशों से कहना चाहिए कि यदि आप भारत से मधुर सम्बन्ध बनाना चाहते हो तो पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करो| ठीक वैसे ही जैसे हम हर देश से सुरक्षा परिषद् में स्थाई सीट के लिए समर्थन जुटा रहें हैं, पाकिस्तान के कुकर्मों के खिलाफ भी दुनिया से समर्थन मांगना चाहिए| कोई भी देश दुनिया का कितना भी बड़ा दरोगा क्यों न हो भारत के विशाल बाज़ार को दरकिनार कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं बनाये रह सकता| फिर देखिये पाक घुटनों पर आता है या नहीं| यदि हम ऐसा नहीं कर रहें हैं तो समझो कि हम मुम्बई आतंकी हमले को भुलाने का ही जतन कर रहें हैं| आप ही बताइए न कि मै क्या कोई अतार्किक बात कह रहा हूँ क्या?
पर हमारे भारत भाग्य विधाताओं की दुर्बुद्धि तो देखिये दुश्मन देश को बिजली उपलब्ध कराने के प्रस्ताव भेजे जा रहें हैं| जिस लातों के भूत पाकिस्तान पर चरण प्रहार करने चाहिए उससे वार्ता की भारतीय सरकार की अकुलाहट आम भारतीय की समझ से परे है| जानकार कहतें है कि सब अमरीका के दबाव में हो रहा है| अमरीका की गुलामी स्वीकारने वाले हमारे आकाओं को अमरीका से ही सीखना चाहिए कि देश के दुश्मन को कैसे ढूँढ़ कर उसे नेस्तनाबूद किया जाता है| आपकी लडाई दुनिया का कोई देश लड़ने से रहा, वह तो हमें खुद ही लडनी होगी| पहले तो हमें अपनी डबल माइंड वाली स्थिति से उबरकर यह तय करना होगा कि पाकिस्तान दोस्त देश है या दुश्मन| आम भारतीय जानता है कि अपने निर्माण से लेकर आज तक पाक ने कोई भी दोस्ती का काम नहीं किया, फिर तो दुश्मन ही हुआ न| दुश्मन से जैसा बर्ताव किया जाता वह भारत के राजनयिक व सरकार नहीं जानते क्या? बाढ़ और सूखे पर पाकिस्तान को करोड़ों रुपये की मदद देने को बेचैन भारत किस मुंह से अमरीका से कहता है कि आपकी मदद का पाक भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा|
आम भारतीय को अपनी सरकार पर दबाव बनाकर भारत सरकार को दोगली नीतियों से अलग होने के लिए बाध्य करना चाहिए| हमारे गाँव में एक कहावत है "आपन दाम खोट पारखी का कौन दोष" मतलब जब अपने में ही दोष है तो किसी दूसरे को दोष देने का क्या फायदा| यही तो हो रहा है| अमरीका और चीन कम दोषी हैं,हमारी अपनी सरकारें और हमारे अपने भारत भाग्य विधाता ज्यादा दोषी हैं| देश के असली मालिक जनता को अपने नौकरों के कान ऐठने का समय आ गया है| क्या आप तैयार हैं? अरे कान ऐठने के लिए और क्या..|
आपका अपना-
सुशील अवस्थी "राजन"
आपका अपना-
सुशील अवस्थी "राजन"
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