बेंगलूर। विपक्षी पार्टिया और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी के बाद अब
साफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक अजीम प्रेमजी और विप्रो के
संस्थापक चेयरमैन एन. आर. नारायणमूर्ति ने सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप
लगाया है। प्रेमजी ने कहा कि भारत बिना लीडर के ही चल रहा है। भारतीय
साफ्टवेयर इंडस्ट्री की शानदार कामयाबी से करीबी रूप से जुड़े इन दोनों
लोगों ने कहा कि देश की आर्थिक संभावना को लेकर खतरा पैदा हो गया है।
देश की दूसरी सबसे बड़ी साफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक मूर्ति
ने केंद्र की सरकार खासकर मनमोहन सिंह की तीखी आलोचना की है। उन्होंने
मार्गन स्टैनली रिसर्च से कहा है कि 2004 से 2011 के दौरान भारत ने ज्यादा
सुधार नहीं किए हैं।
नारायण मूर्ति ने एक रिपोर्ट में कहा है वर्ष 1991 में जिस व्यक्ति ने
आर्थिक सुधारों की शुरुआत की वह आज प्रधानमंत्री हैं। बावजूद इसके आर्थिक
दृष्टि के लिहाज से पिछले 3-4 माह में भारत की इमेज को जबरदस्त धक्का लगा
है। उन्होंने कहा कि वह इसको लेकर काफी दुखी हैं।
गौरतलब है कि पिछले कुछ माह से यूपीए सरकार पर कड़े फैसले लेने से डरने
के आरोप लगते रहे हैं। इस दौरान ग्रोथ और इनवेस्टमेंट की रफ्तार सुस्त हुई
है, इनफ्लेशन और डेफिसिट बढ़ा है और रुपया कमजोर हुआ है। सरकार ने इसकी वजह
गठबंधन सरकार की मजबूरियां, क्रूड ऑयल की ऊंची कीमतों और यूरोपीय क्राइसिस
जैसे कारकों को बताते हुए तर्क दिया कि इन सब पर उसका कोई नियंत्रण नहीं
है।
उधर विप्रो के संस्थापक और चेयरमैन प्रेमजी ने सोमवार को मुंबई में
कंपनी के एनालिस्ट मीट में कहा कि बतौर देश हम लीडर के बगैर काम रहे हैं।
उन्होंने यह बात उस दिन कही, जिस दिन स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने कहा कि भारत
इनवेस्टमेंट ग्रेड गंवाने वाला पहला ब्रिक्स देश बन सकता है। प्रेमजी ने
कहा कि नीतिगत मामलों में सुस्ती किस तरह से इनवेस्टर सेंटीमेंट को खराब कर
रही है।
पिछले साल अजीम प्रेमजी और एचडीएफसी के दीपक पारेख जैसे 14 प्रमुख लोगों
के समूह ने दो बार सरकार को पत्र लिखकर राजकाज के स्तर में सुधार करने की
अपील की थी।
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