मुंबई. भ्रष्टाचार
के खिलाफ अन्ना हजारे की लड़ाई को सबसे बड़ा झटका लगता दिख रहा है। टीम
अन्ना के सदस्यों के बीच आपसी मतभेद के चलते कुछ सदस्यों के इस आंदोलन
से अलग करने के बाद अब कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष देखने को मिल रहा है।
अन्ना-रामदेव के जंतर-मंतर पर साझा मंच से अरविंद केजरीवाल के एकाएक चले
जाने के बीच इंडिया अगेंस्ट करप्शन की मुंबई यूनिट ने आरोप लगाया
है अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन (बीवीजेए) उसकी कोशिशों
को नीचा दिखाने और उसे दरकिनार करने में जुटा है। उन्होंने इस संगठन पर
आईएसी के सदस्यों के बीच दरार पैदा करने का भी आरोप लगाया।
मुंबई से प्रकाशित एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक आईएसी की कोर कमेटी को
लिखे एक पत्र में ये आरोप लगाए गए हैं। ये आरोप अन्ना हजारे के मुंबई
पहुंचने से ऐन पहले सामने आए जबकि गांधीवादी कार्यकर्ता लोकपाल और
लोकायुक्त कानून के लिए महाराष्ट्र का दौरा शुरू करने वाले हैं।
'मुंबई मिरर' के मुताबिक आईएसी की सिटी यूनिट के प्रमुख मयंक गांधी और
बीवीजेए के चीफ भावेश पटेल आमने-सामने हो गए हैं जब उन्हें अन्ना हजारे
के 5 से 7 जून तक महाराष्ट्र दौरे की योजना मिलकर तैयार करने को कहा गया।
हजारे के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने को लेकर दोनों संगठनों के बीच
शुरू हुआ विवाद भयंकर मोड़ ले लिया। बताया जा रहा है कि पटेल ने आईएसी के
सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। पत्र में लिखा गया
है, 'अब अन्ना मुंबई आ रहे हैं और हमसे बीवीजेए के साथ मिलकर काम करने की
उम्मीद की जाती है। लेकिन भावेश पटेल का ध्यान आंदोलन की योजना बनाने पर
नहीं बल्कि आईएसी में फूट पैदा करने पर है। पटेल ने आईएसी के वॉलिंटियर्स
से मिलकर उन्हें प्रमुख पद देने का वादा कर एक दूसरे के खिलाफ खड़ा किया
था।
पटेल ने हालांकि कुछ आईएसी सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार जरूर लगाए
हैं लेकिन पत्र में इसका जिक्र नहीं है कि ये भ्रष्टाचार किस तरह के हैं।
आईएसी के सदस्यों का दावा है कि बीवीजेए ने उन्हें लोकायुक्त के समर्थन
में चलाए गए राज्यव्यापी अभियान से भी दूर रखा। पत्र में कहा गया है कि
इससे आईएसी के सदस्य खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं।
आईएसी के सदस्यों ने साफ साफ कह दिया है कि दो गुट एक साथ काम नहीं कर सकते और कोर कमेटी को इनमें से किसी को चुनना होगा। करीब एक महीने पहले आईएसी मुंबई के कुछ वॉलिंटियर नांदेड़ में अन्ना हजारे से मिले भी थे और बीवीजेए के साथ बढ़ते तनाव पर चर्चा की थी। इस पूरी मीटिंग की रिकॉर्डिंग भ्रष्टाचार के खिलाफ इस अभियान में जुटे तीसरे संगठन के सदस्य किसन गोरडिया ने की थी। इस मीटिंग की रिकॉर्डिंग के अंश बाद में गोरडिया के दफ्तर से चोरी हो गए और नांदेड़ की स्थानीय मीडिया में लीक हो गए। इसके बाद गोरडिया ने अपने एक सहयोगी मनीष पाटिल के खिलाफ पुलिस में शिकायत की जो अब भावेश के खेमे में शामिल हो गया है।
पत्र में कहा गया है, 'हम साफ साफ जवाब चाहते हैं, हमें न्याय मिलना चाहिए नहीं तो हमारे पास आंदोलन से अलग होने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहेगा। यदि आईएसी मुंबई का अस्तित्व खत्म कर दिया जाता है तो हम ऑडिट किए खाते और बकाया राशि पीसीआरएफ को देने के लिए तैयार हैं।' पीसीआरएफ केजरीवाल द्वारा संचालित एनजीओ है।
इस मसले पर अन्ना के सहयोगी सुरेश पठारे ने कहा कि यहां अहम के टकराव के चलते समस्या आ रही है। इस मसले को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। इस पर सोमवार को कोर कमेटी की बैठक में भी चर्चा होगी। हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि ऐसे मसलों से भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे को इस पत्र की जानकारी है और इस बारे में वह कोर कमेटी में चर्चा करेंगे।
मयंक गांधी हालांकि इस मसले पर कमेंट के लिए मौजूद नहीं हो सके लेकिन आईएसी की प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन ने इस पत्र पर कमेंट करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'यह एक अंदरूनी मामला है और हम इस पर टिप्पणी नहीं करेंगे। आईएसी मुंबई भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करती रहेगी।'
पटेल ने 'मुंबई मिरर' से बातचीत में कहा, 'हम एक विजन के लिए काम करते हैं किसी शख्स के लिए नहीं। आईएसी के कुछ लोग हमारी बदनामी करने पर तुले हैं। जबकि बाकी इस आंदोलन को आगे ले जाने में जी-जान से जुटे हैं।
अन्ना के खिलाफ उनकी ही टीम में यह आवाज ऐसे वक्त उठी है जब लोकपाल के खिलाफ आंदोलन एक बार फिर से खड़ा होने की कोशिश कर रहा है। दिसंबर 2011 में मुंबई के बीकेसी ग्रांउड में अनशन पर बैठे अन्ना की सभा में भीड़ नहीं जुटने के बाद अनशन को बीच में ही खत्म करना पड़ा था।
टीम अन्ना के बिखराव की यह पहली घटना नहीं है। पिछले साल स्वामी अग्निवेश को टीम अन्ना छोड़नी पड़ी थी। अग्निवेश को ऐसा इसलिए करना पड़ा था क्योंकि उनकी एक वीडियो क्लिप बाहर आ गई थी जिसमे वो अन्ना हजारे के खिलाफ बात कर रहे थे। इसके बाद टीम अन्ना कोर कमेटी के सदस्य रहे मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह और गांधीवादी पीवी राजगोपाल ने कोर कमेटी से इस्तीफ़ा दे दिया था। फिर, कोर कमेटी की बैठक की कार्रवाईयों को रिकार्ड करने पर मुफ्ती शमीन काजमी को बैठक से बाहर किया गया। इसके बाद से सदस्यों के बीच दरार सार्वजनिक हो गयी। टीम अन्ना में एक बार फिर मतभेद सामने आए जब इसके सदस्य न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े ने अपने अन्य सहयोगियों द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा अन्य मंत्रियों के खिलाफ लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से खुद को अलग कर लिया।
आईएसी के सदस्यों ने साफ साफ कह दिया है कि दो गुट एक साथ काम नहीं कर सकते और कोर कमेटी को इनमें से किसी को चुनना होगा। करीब एक महीने पहले आईएसी मुंबई के कुछ वॉलिंटियर नांदेड़ में अन्ना हजारे से मिले भी थे और बीवीजेए के साथ बढ़ते तनाव पर चर्चा की थी। इस पूरी मीटिंग की रिकॉर्डिंग भ्रष्टाचार के खिलाफ इस अभियान में जुटे तीसरे संगठन के सदस्य किसन गोरडिया ने की थी। इस मीटिंग की रिकॉर्डिंग के अंश बाद में गोरडिया के दफ्तर से चोरी हो गए और नांदेड़ की स्थानीय मीडिया में लीक हो गए। इसके बाद गोरडिया ने अपने एक सहयोगी मनीष पाटिल के खिलाफ पुलिस में शिकायत की जो अब भावेश के खेमे में शामिल हो गया है।
पत्र में कहा गया है, 'हम साफ साफ जवाब चाहते हैं, हमें न्याय मिलना चाहिए नहीं तो हमारे पास आंदोलन से अलग होने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहेगा। यदि आईएसी मुंबई का अस्तित्व खत्म कर दिया जाता है तो हम ऑडिट किए खाते और बकाया राशि पीसीआरएफ को देने के लिए तैयार हैं।' पीसीआरएफ केजरीवाल द्वारा संचालित एनजीओ है।
इस मसले पर अन्ना के सहयोगी सुरेश पठारे ने कहा कि यहां अहम के टकराव के चलते समस्या आ रही है। इस मसले को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। इस पर सोमवार को कोर कमेटी की बैठक में भी चर्चा होगी। हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि ऐसे मसलों से भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे को इस पत्र की जानकारी है और इस बारे में वह कोर कमेटी में चर्चा करेंगे।
मयंक गांधी हालांकि इस मसले पर कमेंट के लिए मौजूद नहीं हो सके लेकिन आईएसी की प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन ने इस पत्र पर कमेंट करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'यह एक अंदरूनी मामला है और हम इस पर टिप्पणी नहीं करेंगे। आईएसी मुंबई भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करती रहेगी।'
पटेल ने 'मुंबई मिरर' से बातचीत में कहा, 'हम एक विजन के लिए काम करते हैं किसी शख्स के लिए नहीं। आईएसी के कुछ लोग हमारी बदनामी करने पर तुले हैं। जबकि बाकी इस आंदोलन को आगे ले जाने में जी-जान से जुटे हैं।
अन्ना के खिलाफ उनकी ही टीम में यह आवाज ऐसे वक्त उठी है जब लोकपाल के खिलाफ आंदोलन एक बार फिर से खड़ा होने की कोशिश कर रहा है। दिसंबर 2011 में मुंबई के बीकेसी ग्रांउड में अनशन पर बैठे अन्ना की सभा में भीड़ नहीं जुटने के बाद अनशन को बीच में ही खत्म करना पड़ा था।
टीम अन्ना के बिखराव की यह पहली घटना नहीं है। पिछले साल स्वामी अग्निवेश को टीम अन्ना छोड़नी पड़ी थी। अग्निवेश को ऐसा इसलिए करना पड़ा था क्योंकि उनकी एक वीडियो क्लिप बाहर आ गई थी जिसमे वो अन्ना हजारे के खिलाफ बात कर रहे थे। इसके बाद टीम अन्ना कोर कमेटी के सदस्य रहे मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह और गांधीवादी पीवी राजगोपाल ने कोर कमेटी से इस्तीफ़ा दे दिया था। फिर, कोर कमेटी की बैठक की कार्रवाईयों को रिकार्ड करने पर मुफ्ती शमीन काजमी को बैठक से बाहर किया गया। इसके बाद से सदस्यों के बीच दरार सार्वजनिक हो गयी। टीम अन्ना में एक बार फिर मतभेद सामने आए जब इसके सदस्य न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े ने अपने अन्य सहयोगियों द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा अन्य मंत्रियों के खिलाफ लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से खुद को अलग कर लिया।
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