गुरुवार, 7 जून 2012

अफगानिस्तान सबसे अहम सुरक्षा चुनौती: कृष्णा

    भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में अफगानिस्तान को सबसे महत्वपूर्ण समकालीन सुरक्षा चुनौती बताया है.
चीन की राजधानी बीजिंग में एससीओ की बैठक हो रही है. रूस और चीन के अलावा मध्य एशिया के देश कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकस्तान और उज्बेकिस्तान समेत छह देशों के इस संगठन में भारत को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है.
अपने भाषण में एसएम कृष्णा ने कहा, "अफगानिस्तान एशिया के बिल्कुल मध्य में है और ये सिर्फ मध्य और दक्षिण एशिया के बीच ही नहीं, बल्कि यूरेशिया और मध्य एशिया के बीच भी एक पुल की तरह है. हम अफगान लोगों की संपन्नता के प्रति कटिबद्ध हैं और इससे कभी पीछे नहीं हटेंगे."
भारतीय विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में एससीओ के आर्थिक विकास परियोजनाएं अतिरिक्त सार्थक कदमों के रूप में काम कर सकती हैं.
उन्होंने बताया कि भारत पहले ही अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास गतिविधियों के लिए दो अरब अमरीकी डॉलर की वचनबद्धता जता चुका है.
चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ ने भी अफगानिस्तान के शांतिपूर्ण पुनर्निर्माण में एससीओ की भूमिका पर जोर दिया.

चीन से रिश्ते प्राथमिकता

"अफगानिस्तान एशिया के बिल्कुल मध्य में है और ये सिर्फ मध्य और दक्षिण एशिया के बीच ही नहीं, बल्कि यूरेशिया और मध्य एशिया के बीच भी एक पुल की तरह है. हम अफगान लोगों की संपन्नता के प्रति कटिबद्ध हैं और इससे कभी पीछे नहीं हटेंगे."
एसएम कृष्णा, भारतीय विदेश मंत्री
इससे पहले भारत ने चीन के साथ दोतरफा रिश्ते सुधारने को अपनी विदेश नीति की प्राथमिकता बताया है और उसके साथ रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई.
विदेश मंत्री कृष्णा ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने की अमरीकी कोशिश के बीच भारत और चीन के रिश्तों के भविष्य को लेकर उठ रही आशंकाओं को विराम देने की कोशिश की.
कृष्णा ने चीनी उप प्रधानमंत्री ली खेछियांग से मुलाकात में कहा कि दोनों ही देशों के लिए भरोसा और आपसी समझ कायम करना बहुत जरूरी है.
कृष्णा ने कहा, “मैंने उनसे कहा कि चीन के साथ रिश्ते भारत की विदेश नीति के लिए प्राथमिकता हैं और हम मानते हैं कि भारत और चीन के रिश्ते 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण रिश्तों में से एक होंगे.”
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी में होने वाले नेतृत्व परिवर्तन के बाद ली को प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

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