सोमवार, 4 जून 2012

बहुत कठिन है डगर .....बीजेपी की

   लखनऊ, निकाय चुनाओं में टिकट वितरण से असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को मनानें में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के पसीनें छूट रहे हैं। मेयर पद को लेकर राजधानी में दिनेश शर्मा, संयुक्ता भाटिया, और अमित पुरी तीन नामों में दौड़ थी, जिसमें निवर्तमान मेयर डॉ, दिनेश शर्मा को सफलता मिली, और पार्टी नें उन्हें राजधानी से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। टिकट न मिलनें से निराश संयुक्ता भाटिया नें बागी होनें की ठान ली, अब वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भाजपा को गर्त में ले जानें के लिए प्रचार कर रही हैं। अमित पूरी क्या सोंच रहे हैं कोई नहीं जान सकता। 
  अमित पूरी को राजधानी के पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय नाम माना जाता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन के लखनऊ से सांसद चुनें जानें के बाद रिक्त हुई उनकी पश्चिमी विधान सभा सीट से भाजपा का टिकट हासिल कर अमित पूरी नें सभी को चौंका दिया था, हालाँकि टंडन का दिल से आशीर्वाद न होनें की वजह से पूरी हार का चक्रव्यूह न भेद सके थे। इस बार फिर राजधानी का कार्यकर्ता कुछ ऐसे ही चमत्कार की उम्मीद कर रहा था, लेकिन दिनेश शर्मा की ना ना कर ....हाँ हाँ की मुद्रा उन्हें टिकट दिलानें में कामयाब हो गयी।
   कार्यकर्ता अभी भी खेमेबंदी का शिकार हो रहा है। ऐसे में राजधानी के महापौर पद पर भाजपा का फिर से काबिज़ हो पाना खटाई में पड़ता दिख रहा है। ऐसे में विधान सभा चुनाव में राजधानी में सपा को मिली अभूतपूर्व सफलता भाजपा का खूँटा उन्खाद सकती थी , लेकिन वह निकाय चुनाओं से खुद ही बाहर बैठ कर तमाशा देखनें की मुद्रा में है। 

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