भारत अपनी रक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए स्वदेशी तकनीक से
अवाक्स प्रणाली [एयरबोर्न वार्निग एंड कंट्रोल सिस्टम] का निर्माण करने का
फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक भारत के रक्षा अनुसंधान केंद्र इस बाबत
काम शुरू कर चुके हैं। फिलहाल ऐसी दो प्रणालियों पर काम चल रहा है, जिन्हें
बाद में बढ़ाया भी जा सकता है। स्वदेशी तकनीक से तैयार की गई अवाक्स
प्रणाली को आईएल-76, एयरबस या बोइंग विमानों में स्थापित किया जाएगा।
भारत का अवाक्स विमान प्रणालियों के अलावा पूरे भारतीय उपमहाद्वीप एक
स्वचालित अवाक्स व्यवस्था की स्थापना करने का इरादा है। यह व्यवस्था सभी
सैन्य और नागरिक हवाई रडारों को एक एकीकृत प्रणाली में शामिल कर देगी।
मौजूदा दौर में वायुसेना को इस तकनीक की बेहद जरूरत है। अवाक्स की मदद
से लगभग 350-400 किलोमीटर की दूरी से ही शत्रु के लड़ाकू विमानों और
मिसाइलों का पता लगाकर इनसे बचा जा सकता है। इसके अलावा जिस विमान में यह
प्रणाली होती है वह विमान एक साथ कई लक्ष्यों पर अपनी निगाह रखने में सक्षम
होता है। इस प्रणाली को विमान की आसमानी आंख भी कहा जाता है।
फिलहाल भारतीय वायु सेना के पास आईएल-76 किस्म के केवल 3 विमान हैं।
इनमें इजरायली फाल्कन अवाक्स प्रणाली स्थापित है। पाकिस्तानी वायु सेना के
पास ऐसे चार विमान हैं। वहीं पाक को चार अन्य विमान चीन से मिलने की भी
उम्मीद है। वहीं चीन के पास इस प्रणाली से युक्त 20 अवाक्स विमान हैं।
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