ईरान से तेल आयात कम करने के कारण अमरीका भारत पर अब आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाएगा.
अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के अनुसार
भारत, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, ताइवान और तुर्की
को यह छूट देने का फैसला किया गया है.
भारत ने अमरीका के दबाव में इस वित्त वर्ष में ईरान से आयात होने वाले तेल में 11 फीसदी की कटौती करने की घोषणा की थी.
हालांकि अमरीका अभी ईरान से तेल के सबसे बड़े आयातक चीन को मनाने में लगा है.
अमरीका ने ईरान से तेल का आयात करने वाले देशों को 29 जून तक आयात घटाने या पूरी तरह से बंद करने को कहा था.
इस अमरीकी कार्रवाई का मकसद ईरान पर उसके यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को रोकने का दबाव बनाना था.
अमरीका और उसके सहयोगी देशों का कहना है कि ईरान
परमाणु हथियार बना रहा है. हालांकि ईरान लगातार इन दावों को सिरे से खारिज
करता रहा है.
दबाव का नतीजा
हिलेरी ने कहा, “ताजा छूट से साफ है कि ईरान पर लगाई गई बंदिशों का असर पड़ रहा है.”
उन्होंने कहा, “तेल की बिक्री पर लगाम लगाकर हम
ईरान के नेताओं को साफ संदेश देना चाहते हैं कि जब तक वो अंतराष्ट्रीय
समुदाय को संतुष्ट नहीं करते, तब तक उन्हें अलग-थलग पड़ने के अलावा दबाव का
सामना करना पड़ेगा.”
मार्च में अमरीका ने ईरान से तेल आयात घटाने के कारण 10 यूरोपीय देशों के अलावा जापान को भी ऐसी छूट दी थी.
निगाहें चीन पर
सात देशों को छूट के बाद चीन पर आयात घटाने का दबाव बनने की उम्मीद की जा रही है.
समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार अमरीका इस मसले पर चीन के साथ बातचीत जारी रखेगा.
अमरीका के अनुसार पिछले साल ईरान 25 लाख बैरल प्रतिदिन निर्यात करता था. यह गिरकर 12 से 18 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है.
दुनिया भर में परमाणु कार्यक्रमों पर निगाह रखने
वाली संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था आईएईए ने पिछले हफ्ते कहा था कि ईरान
के परमाणु ठिकानों तक पहुंचने के लिए विएना में हुई बातचीत का कोई नतीजा
नहीं निकला है.
ईरान की अब अगले हफ्ते मास्को में इंग्लैंड,
अमरीका,चीन, रूस, फ्रांस और जर्मनी के साथ बात होनी है. ईरान लगातार जोर दे
रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यों के लिए है.
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