शुक्र ग्रह सूर्य के सामने से गुजरते हुए एक ख़ूबसूरत
नजारा पेश कर रहा है. पृथ्वी से देखने से सूरज पर एक छोटे काले धब्बे जैसा
दिख रहा है. सूर्य के सामने से शुक्र का ये परागमन एक दुर्लभ खगोलीय घटना
है जो अगली बार 105 वर्ष बाद देखने के मिलेगी.
उत्तरी और मध्य अमरीका और दक्षिणी अमरीकी में ये
परागमन सूर्योदय के साथ ही शुरु हो गया था. अब ये नज़ारा एशिया के अधिकतर
इलाकों में देखा जा रहा है.
यूरोप, मध्य-पूर्व और पूर्वी अफ्रीका में ये
दुर्लभ खगोलीय घटना स्थानीय सूर्योदय के साथ ही शुरू होगी लेकिन तब तक ये
परागमन अपने अंतिम चरण में होगा.
शुक्र एक छोटे काले गोल धब्बे जैसा दिख रहा है जो धीरे-धीरे सूर्य के सामने से परागमन कर रहा है.
नासा की तस्वीरें
इस घटना के कुछ बेहतरीन तस्वीरें अमरीकी अंतरिक्ष
संस्था नासा ने जारी की हैं. नासा की सोलर डायनामिक्स ऑब्जरवेटरी यानि
एसडीओ पृथ्वी से 36 हज़ार किलोमीटर की दूरी से सूर्य का अध्ययन करती है.
खगोल शास्त्री डॉक्टर लिका गुहाथाकुर्ता ने कहा,
“एसडीओ की सहायता से हमें शुक्र के परागमन के बहुत ही विस्तार वाली
तस्वीरें मिल रही हैं. यहां से मिली तस्वीरें एचडी टीवी पर दिखने वाली
तस्वीरें से 10 गुना बेहतर होती हैं. ऐसा हम अपने जीवन में दोबारा नहीं
देखेंगे.”
वैज्ञानिक परागमन के इस अवसर का प्रयोग शुक्र ग्रह
के जटिल वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए कर रहे हैं. शोधकर्ताओं के पास
विशेष उपकरण हैं जिनके सहारे वे सूर्य के डिस्क पर सीधे नज़र रख रहे हैं.
हालांकि वैज्ञानिक आम जनता से बहुत ही ध्यानपूर्वक
इस नजारे को देखने की सलाह दे रहे हैं. सूर्य पर सीधे देखने से आंखों की
रोशनी प्रभावित हो सकती है और कई बार लोग अंधे भी हो सकते हैं.
क्यों है दुर्लभ ये नजारा?
शुक्र परागमन 243 वर्षों में करीब चार बार होता
है. इस लंबे अंतराल की वजह ये है कि पृथ्वी और शुक्र का कक्ष यानि परिक्रमा
करने रास्ता अलग-अलग है ये एक लंबे अरसे के बाद ही एक दुर्लभ खगोलीय संयोग
के बाद एक सीध में आते हैं.
टेलीस्कोप के अविष्कार के बाद ये नजारा अब तक सात बार ही दर्ज किया गया है.
इससे पहले आए शुक्र परागमन को 1631, 1639, 1761, 1769, 1874, 1882 और 2004 में देखा गया है.
ये परागमन जोड़े के रूप आठ वर्ष के अंतराल पर
दिखता है जैसे कि पिछली बार ये 2004 में दिखा था और अब 2012 में दिख रहा
है. अगली बार 2117 में दिखेगा और फिर ठीक उसके आठ वर्ष बाद यानि 2125 में.
उसके बाद फिर लंबा इंतजार.
लेकिन तब तक को इस समय जीवित सभी व्यक्ति शायद मर चुके होंगे.
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