नई दिल्ली।ममता बनर्जी और मुलायम
सिंह यादव ने कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अब तक का सबसे
तगड़ा झटका दिया है। दोनों नेताओं ने न सिर्फ राष्ट्रपति पद पर कांग्रेस और
सोनिया की पसंद प्रणब मुखर्जी को खारिज कर दिया है बल्कि इस पद के लिए खुद
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम आगे कर राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला
दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मुलायम और ममता ने एकजुट होकर कैसे ऐसा
कदम उठा लिया जिसने न सिर्फ आम जनता बल्कि बड़े-बड़े सियासी पंडितों को सिर
धुनने पर मजबूर कर दिया है।
महत्वपूर्ण
बात ये है कि जिन ममता बनर्जी ने आज सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद
पत्रकारों को राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष की पसंद बता दी, एक ही
घंटे बाद उस पसंद को खारिज भी कर दिया। इस सोनिया का अब तक का सबसे बड़ा
सियासी अपमान माना जा रहा है। यही नहीं ममता और मुलायम सिंह ने जिस तरह
राष्ट्रपति पद पर प्रणब मुखर्जी की दावेदारी खारिज कर दी उसने भी सबको
हैरान कर दिया है। कांग्रेस पर इसपर कुछ बोलते नहीं बन रहा। पार्टी
प्रवक्ता राशिद अल्वी का कहना है कि वो इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलेंगे और
बातचीत जारी है।
राजनीतिक पंडित जानते
हैं कि ममता प्रणब मुखर्जी को बहुत ज्यादा पसंद नहीं करतीं लेकिन ममता इसके
लिए इस हद तक जाएंगी कि उनकी दावेदारी के बीच दीवार बनकर खड़ी हो जाएंगी
ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता था। हैरानी इससे भी है कि अगर ममता को प्रणब वाकई
पसंद नहीं थे तो उन्होंने प्रणब को सार्वजनिक रूप से सोनिया की पसंद कैसे
बता दिया। क्या वो सोनिया को नीचा दिखाना चाहती थीं? अगर हां तो क्यों?
हैरानी भरी बात ये भी है कि मुलायम सिंह इस मुद्दे पर ममता बनर्जी के साथ
कैसे आ गए? क्या कुछ दिन पूर्व यूपीए सरकार के तीन साल पूरे होने पर आयोजित
डिनर में मुलायम की यूपीए से करीबी महज दिखावा थी।
माना
जा रहा है कि मुलायम सिंह कांग्रेस से खासे आहत हैं। वो इस बात को अब तक
नहीं भूले हैं जब उन्होंने अपने दम पर परमाणु करार के वक्त मनमोहन की सरकार
बचाई थी लेकिन सरकार बचते ही यूपीए और कांग्रेस ने उन्हें हाशिये पर धकेल
दिया था। मुलायम आज यूपी में सबसे बड़ी ताकत हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में
ऐतिहासिक जीत मिलने से पहले जब वे विपक्ष में थे तो कांग्रेस ने उन्हें खुद
से दूर ही रखा। मुलायम यूपीए पार्ट-2 में सरकार का हिस्सा बनना चाहते थे
लेकिन तब भी कांग्रेस उनसे दूर ही रही और मुलायम मनमोहन सरकार को बाहर से
समर्थन देते रहे। आज जब यूपीए सरकार को जिंदा रहने के लिए मुलायम के समर्थन
की जरूरत है तो कांग्रेस उनसे पींगे बढ़ा रही है। संभव है कि मुलायम सिंह
कांग्रेस के इसी बर्ताव को याद रख उसे सबक सिखाने में ये मौका हाथ से नहीं
जाने देना चाहते हों।
mulayam badla nahi lega kyo ki kai case CBI/SC me pending hai
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