मंगलवार, 19 जून 2012

राजग में फूट, शिवसेना व मेनका प्रणब के साथ

   नई दिल्ली। राष्ट्रपति पद के लिए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को समर्थन के मुद्दे पर राजग में फूट अब खुलकर सामने आ गई है। रविवार को राजग का महत्वपूर्ण घटक शिवसेना ने साफ कर दिया है कि वह राष्ट्रपति पद के लिए प्रणब मुखर्जी का समर्थन करेगी। वहीं भाजपा की नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी खुले तौर पर प्रणब मुखर्जी को अपने समर्थन का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में उनसे बेहतर उम्मीदवार कोई और नहीं हो सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी प्रणव को राष्ट्रपति पद का सबसे योग्य उम्मीदवार मानते हुए समर्थन किया है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी यह बात खुलकर सामने आ गई है कि वह प्रणब दा को अपना समर्थन देगी। वहीं रविवार को प्रणब मुखर्जी ने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। इस बातचीत में बाल ठाकरे ने प्रणब को पूर्ण समर्थन देने का वादा किया था। इस बीच मंगलवार को राजग की एक बार फिर राष्ट्रपति के मुद्दे पर बैठक होनी है। माना जा रहा है कि आज होने वाली इस बैठक में राजग किसी निर्णय पर पहुंच जाएगा।
शिवसेना और राजग में फूट का अंदेशा उसी वक्त हो गया था जब राजग की बैठक में शिवसेना ने आने से साफ इन्कार कर दिया था और मुंबई में राष्ट्रपति के मुद्दे पर अपनी अलग बैठक की थी। हालांकि इस मुद्दे पर दो तीन बार हुई बैठक के बाद भी राजग अभी तक इस बाबत कोई निर्णय नहीं कर पाया है। माना जा रहा है कि राजग के अन्य सहयोगी भी प्रणब मुखर्जी के नाम को ही समर्थन देने का मन बना चुके हैं। हालांकि इस मुद्दे पर राजग में एकराय नहीं है लिहाजा अभी तक किसी भी फैसले का ऐलान नहीं हो पाया है।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के रुख में काफी मान मनोवल के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। उनके इस गुस्से की वजह भी रविवार को तब सामने आ गई जब उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने बंगाल के लिए कुछ नहीं किया। इसका अर्थ साफ है कि कुछ दिन पहले तक बंगाल के लिए स्पेशल पैकेज और राष्ट्रपति चुनाव को अलग-अलग करने देखने का दावा करने वाली ममता बनर्जी वास्तव में क्या चाहती थीं। वह अब भी पीए संगमा के नाम की वकालत कर रही हैं। उनकी मंशा पूरी तरह से साफ है कि वह इस चुनाव में किसी भी सूरत से निर्विरोध निर्वाचन नहीं होने देना चाहती हैं। दरअसल वह अपने गुस्से से अब इतनी आगे निकल चुकी हैं कि उनके लिए वापस आ पाना नामुमकिन है। हालांकि जैसे जैसे प्रणब के नाम पर अन्य पार्टियों के समर्थन का ऐलान हो रहा है कि उससे उन्हें यह एहसास जरूर है कि प्रणब मुखर्जी के सामने कोई दूसरा उम्मीदवार अब टिक नहीं पाएगा। फिर भी वह उनके खिलाफ लड़ाई छेड़े हुए हैं। इस बीच राजग की मंगलवार को एक बार राष्ट्रपति के मुद्दे पर बैठक होगी जिसमें एक बार फिर किसी नाम पर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी।
भाजपा की नेता मेनका गाधी ने सोमवार को नार्थ ब्लाक के बाहर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि प्रणब मुखर्जी इस पद के लिए सबसे काबिल उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का चयन हमेशा ही सर्वसम्मति से होना चाहिए। हालांकि उन्होंने पार्टी किसको समर्थन देगी इस पर कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

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