बुधवार, 6 जून 2012

क्षमा करें..इस शहर में कोई 'जहांगीर' नहीं है!

   इसी देश में, ताजनगरी में एक दौर था जब कोई भी जहांगीरी घंटा बजा देता था और उसे न्याय मिल जाता था। एक दौर यह है, जहां जंजीरें तो हैं, मगर कोई 'जहांगीर' नहीं है। जुल्म और जुर्म का शिकार आदमी सबसे पहले पुलिस के पास जाता है। पुलिस फरियाद कम सुनती है, फटकारती ज्यादा है। मंगलवार को अपने नाती के अपहरण को लेकर पुलिस कप्तान के पास आए वृद्ध की फरियाद अनसुनी रह गई। वहीं, अकराबाद का एक परिवार थाने में दुत्कारे जाने के बाद एसएसपी ऑफिस पर दिनभर बैठा रहा। याद रहे, अनसुनी फरियाद ही जुर्म की जमीन तैयार करती है, खुद ही निपट लेने को उकसाती है..
वृद्ध ने रोकी कप्तान की कार, फिर भी अनसुनी रही फरियाद
अलीगढ़ : एसएसपी पीयूष मोर्डिया मंगलवार को दोपहर में जैसे ही दफ्तर से घर जाने के लिए कार की ओर बढ़े, एक वृद्ध ने रास्ता रोक लिया। वो कुछ कहना चाहता था, मगर पुलिस वाले चुप कराने पर आमादा। लाचार वृद्ध गाड़ी के आगे लेट गया। वर्दीवालों के आगे भला वृद्ध क्या टिकता। उसे रास्ते से हटाकर कप्तान साहब के जाने का रास्ता साफ कर दिया गया। यह वृद्ध अपने नाती के अपहरण को लेकर फरियाद करने आया था।
यह वृद्ध थे इगलास के गांव सूरजा करौली के हरपाल सिंह। उनके 11 साल के नाती गोपाल का 20 अगस्त, 2010 में अपहरण कर लिया गया था। आज तक कोई सुराग नहीं। नामजद रिपोर्ट दर्ज है, मगर पुलिस ने किसी को हाथ तक नहीं लगाया।
दोपहर करीब 12 बजे हरपाल सिंह अपनी पत्नी के साथ यहां पहुंचे। एसएसपी दफ्तर पर बैठे पुलिस वालों ने उसे अंदर नहीं जाने दिया। बेचारा वृद्ध साहब के निकलने का इंतजार करने लगा। करीब ढाई बजे एसएसपी जैसे ही निकलकर कार के करीब बढ़े, हरपाल सिंह अपनी बात कहने लगा। यह देखकर एक सीओ और कुछ पुलिस वाले दौड़े। वृद्ध कार के आगे लेट गया तो पुलिस वालों ने उसे उठाकर अलग किया। साहब कार में बैठकर चले गए। बेचारा वृद्ध काफी देर तक वहीं बैठा रोता कहा। काश, कप्तान ने उसकी पीड़ा सुन ली जाती, तो ये आंसू बहने से बच जाते।
थानेदार से मिली दुत्कार तो एसएसपी ऑफिस पर धरना
   अलीगढ़ : सूबे में सरकार बदल गई, मगर पुलिस का रवैया नहीं बदला। अकराबाद थाने से फटकारी गई महिला पूरे परिवार के साथ मंगलवार को एसएसपी दफ्तर आई और दिनभर बच्चों के साथ धरने पर बैठी रही। इंसाफ न मिलने पर एसएसपी दफ्तर पर भूख हड़ताल की चेतावनी दी गई है।
यह महिला है अकराबाद थाना क्षेत्र के धौरी गांव की मीरा देवी। बकौल मीरा, 28 मई की रात करीब आठ बजे उसका पति महेश चंद्र घर आ रहा था। गांव के एक व्यक्ति ने उन्हें रोका और घोड़ा खेत में आने को लेकर गाली-गलौज की। विरोध करने पर कुछ लोगों ने घर पर धावा बोल दिया और उनके बेटे को जमीन पर पटक दिया। उसके साथ छेड़छाड़ की और लात-घूसों से पिटाई भी। आधे घंटे तक उसके घर में तांडव मचाया। जब वह रिपोर्ट दर्ज कराने थाने गई तो थानेदार ने फटकार कर भगा दिया। मीरा देवी ने पुलिस अधीक्षक देहात बलिकरन यादव को पूरी जानकारी दे दी है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...