अमरीका ने चीन से कहा है कि वो उन सभी लोगों को रिहा कर
दे जिन्हें 23 साल पहले बीजिंग के थिएनानमन चौक पर हुए लोकतंत्र समर्थक
प्रदर्शनों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
अमरीकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता ने कहा कि
अमरीका को याद है कि कैसे थिएनानमन चौक पर हिंसक दमन हुआ था और चीन से अपील
है कि वो अपने नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए और कदम उठाए.
चीन 1989 में हुई घटना को विद्रोह दबाने की कार्रवाई मानता है और उसके मुताबिक ऐसा करके उसने कोई गलत काम नहीं किया है.
उस साल चीन की सेना ने लोकतंत्र की मांग कर रहे सैंकड़ों नागरिकों को गोली मार दी थी.
'हिंसक दमन'
"हम चीन से सभी नागरिकों को मानवाधिकारों की रक्षा को गुहार को दोहराते हैं. गलत ढंग से जेलों में बंद, जबरन गायब किए गए और अपने ही घर में नज़रबंद लोगों को छोड़ दिया जाना चाहिए. साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की प्रताड़ना बंद की जानी चाहिए."
मार्क टोनर, अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता
अमरीकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने
कहा, “हम चीन से सभी नागरिकों को मानवाधिकारों की रक्षा को गुहार को
दोहराते हैं. गलत ढंग से जेलों में बंद, जबरन गायब किए गए और अपने ही घर
में नज़रबंद लोगों को छोड़ दिया जाना चाहिए. साथ ही मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की प्रताड़ना बंद की जानी चाहिए. ”
उन्होंने थिएनानमन चौक पर हुए ‘हिंसक दमन’ को ‘मासूम लोगों की त्रासद मौत’ बताया है.
चीनी अधिकारी 1989 के अस्थिर दिनों के बारे में कभी बात नहीं करते हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार थिएनानमन हादसे की
23वीं वर्षगांठ के दिन फुजियान प्रांत में पुलिस ने 20 मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं की पिटाई की है. एजेंसी ने ये ख़बर एक कार्यकर्ता लिन
बिंगशिंग की पत्नी शी लिपिंग के हवाले दी है.
अब भी जेल में
फुजियान पुलिस ने इस ख़बर का खंडन किया है.
एक चीनी मानवाधिकार संगठन दुई हुआ फ़ाउडेंशन के
अनुसार 1989 में थिएनानमन चौक से गिरफ़्तार करीब 12 लोग अब भी जेल में हैं.
उस समय सैकड़ों लोगों की हिरासत में लिया गया था.
दुई हुआ के कार्यकारी निदेशक जॉन काम ने समाचार
एजेंसी एसोसिएट्ड प्रेस को बताया कि जेल में आंदोलन की अगुवाई करने वाले
छात्र नहीं बल्कि वो लोग हैं जिन्होंने सैनिको पर हमला किया था या आगजनी की
थी.
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