गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

भाजपा में आकर बुरे फंसे स्वामी प्रसाद

   कभी बसपा में फायर ब्रांड नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य आजकल भाजपा में कुछ खोये-खोये से और गैर हाजिर से दिखते हैं। आप जरा अपने दिमाग पर जोर डालकर देखिए तो कि अंतिम बार आपने उन्हें भाजपा के किस प्रोग्राम में खुले तौर पर शिरकत करते देखा है? जबकि बसपा से ही आये ब्रजेश पाठक को आप आये दिन टीवी चैनलों में अवश्य देखते होंगे।
   मौर्य जी के करीबी लोगों में मेरे कुछ सूत्रों ने मुझे बताया है कि स्वामी दादा को भाजपा रास नहीं आ रही है। उन्हें पार्टी में महत्व न दिए जाने से वो भाजपा हाई कमान से खासे खफा हैं। फिर मैंने जब स्वामी प्रसाद की फेसबुक आईडी पर नज़र डाली तो पाया कि वो वहां भी शांत चित्त ही हैं। उनकी अंतिम ऑफिशियल अपडेट भी महीनों पुरानी है।
   
   अगर नगर निकाय चुनावों के परिणामों को देखने के बाद स्वामी दादा भाजपा से राम-राम कर लें, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात न होगी। हालांकि भाजपा को भी अब स्वामी दादा की कोई खास जरूरत नही रही। फिलहाल उसके पास एक बहुत मजबूत मौर्य पहले से ही जो मौजूद है। जी हाँ, आपने एकदम सही समझा, केशव प्रसाद मौर्य। 
   अब एक म्यान में भला दो तलवारे कहाँ रह सकती हैं? सो दूसरी तलवार को तो अपने लिए कोई खाली म्यान ढूढ़नी ही चाहिए। उम्मीद है कि स्वामी प्रसाद नाम की यह तलवार अब सपा की ही खाली म्यान की तरफ रुख करेगी। इंद्रजीत सरोज जो हाल ही मे बसपा छोंड़कर सपा में आये हैं, वो इस स्वामी दादा नामक तलवार को सपा की म्यान में स्थापित करने के आधार बनेंगे।
   
  दरसल स्वामी दादा ने भाजपा ज्वाइन करते समय चिंतन कम चिंता ज्यादा की थी। चिंता अपने राजनीतिक अस्तित्व को लेकर। इसीलिििए आज वह वो खुद को भाजपा में असहज महसूस कर रहे हैं। यहां राजनीति प्रतीकों और इमेज के सहारे चलती है। अब गौरी-गणेश को गाली देने वाले नेता को भला भगवा सीएम योगी अपने सार्वजनिक मंच के किस कोने में जगह दे सकते हैं? 
    ये वो पार्टी है जो अपने अभिभावक नेता आडवाणी द्वारा एक बार जिन्ना की मजार पर मातमी फातिया पढ़ने पर दूध की मक्खी की तरह निकाल कर फेंक सकती है, फिर आप किस खेत की मूली-गाजर हो स्वामी जी?

2 टिप्‍पणियां:

  1. आज राजनीति कितनी गिर गयी है। आज अच्छाई नही जात नेताओं की पहचान बन चुकी है।

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  2. आज के समय में राजनीति कितनी गिर गयी है। आज अच्छाई और अच्छे कामों की जगह जात नेताओं की पहचान बन गयी है।

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