शनिवार, 14 अक्तूबर 2017

भाजपा में "मोदी मॉडल" को ओवरटेक करता "योगी मॉडल"

 
 
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 70 के क़रीब नवजातों की मौत जैसे कुछ ‘विवाद’ अपनी जगह हैं. और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘वाद’ (हिंदुवाद) अपनी जगह. बल्कि योगी का ‘वाद’ तो उनकी सरकार से जुड़े ‘विवादों’ पर भी अभी भारी पड़ता दिख रहा है. इससे यह सवाल भी उठता है कि आख़िर क्या भाजपा इन दिनों मोदी के बज़ाय ‘योगी मॉडल’ को आगे बढ़ा रही है?
इसकी ताज़ा मिसाल ये कि भारतीय जनता पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को अभी से गुजरात में कांग्रेस से मुकाबले की सीधी कमान सौंपने का फैसला किया है. वह गुजरात जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है. वह गुजरात जहां के ‘विकास मॉडल’ को सामने रखकर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. और वह गुजरात भी जहां अब तक प्रधानमंत्री मोदी ही पार्टी का सबसे बड़ा इकलौता चेहरा हैं. उस राज्य में अब योगी को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुकाबले के लिए उतारा जा रहा है. न्यूज़ 18 की ख़बर के मुताबिक योगी शुक्रवार को दक्षिण गुजरात में बड़ी जनसभा को संबोधित कर रहे हैं. इसके बाद शनिवार को भी वे ‘गुजरात गौरव यात्रा’ में हिस्सा लेंगे.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक गुजरात ही नहीं हिमाचल प्रदेश में भी योगी सघन चुनावी दौरे करने वाले हैं. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा ने योगी को उत्तर प्रदेश से बाहर स्टार प्रचारक की तरह पेश किया हो. इसी महीने ही जब केरल में भाजपा ने ‘जनरक्षा यात्रा’ शुरू की थी तो वहां भी योगी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ मौज़ूद थे. यानी अगर कहा जाए कि भाजपा उन्हें बड़े सधे तरीके से राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ा रही है तो ज़्यादा ग़लत नहीं होगा. यही वज़ह है कि उनसे जुड़े सवाल सामने आए हैं. और इन सवालों का ज़वाब तलाशती एक रिपोर्ट न्यूज वेबसाइट ‘द वायर’ पर प्रकाशित हुई है.
ख़बर के मुताबिक भाजपा ही नहीं आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को भी लगता है कि अभी ‘मोदी का विकास मॉडल’ चल नहीं पा रहा है. नोटबंदी और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) जैसे बड़े फैसलों ने अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डाला है. इस बाबत कई नकारात्मक ख़बरें आ रही हैं. भाजपा के परंपरागत मतदाता समझे जाने वाले छाेटे-मंझोले कारोबारी भी परेशान हैं. यानी ‘मोदी मॉडल’ के दम पर चुनाव जीतने में फिलहाल तो शंका है. यही कारण है कि एक बार फिर ‘आक्रामक हिदुत्व’ के मूलभूत मॉडल के ज़रिए लोगों को रिझाने की कोशिश की जा रही है. और इस वक़्त चूंकि योगी ही इस मॉडल पर फिट बैठ रहे हैं इसलिए उन्हें आगे रखा जा रहा है.
दूसरी तरफ योगी भी पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप ‘हिंदुत्व के मॉडल’ को ही आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने हाल में ही घोषणा की है कि अयोध्या के सरयू तट पर भगवान राम की विशालकाय प्रतिमा स्थापित होगी. वे दिवाली पर विशेष रूप से अयोध्या की यात्रा पर जाने वाले हैं. यहां तक उन्होंने राज्य परिवहन की बसों को भी भगवा रंगवा दिया है. इन बसों को अभी एक दिन पहले ही ग्रामीण इलाकों में संचालन के लिए सड़कों पर उतारा गया है. बुकलेट, फर्नीचर, स्कूल बैग और भी न जाने क्या-क्या? योगी हर तरफ भगवा की बयार लाने में जुटे हैं. सो ऐसे में एक और सवाल स्वाभाविक है कि क्या उनकी ‘भगवा बयार से भाजपा को कुछ फायदा होगा? जवाब के लिए कुछ समय इंतज़ार करना होगा.

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