रामायण को कौन नहीं जानता? भगवान राम का पूरा जीवन वृतांत यानी रामायण। दुनिया में घटी हर घटना दुहरायी गयी है। कहते भी हैं कि इतिहास अपने आप को दुहराता जरूर है, पर रामायण की घटना अभी तक के ज्ञात इतिहास में कहां दुहरायी गयी है? फिर कोई राम तो क्या राम जैसा भी नही बन सका है, क्यों? फिर कोई व्यक्ति पारिवारिक विवाद को सुलझाने के लिए वनवास नही गया। पाया हुआ राजपाट अपने भाई को वापस करने कोई भारत फिर चित्रकूट नही गया। रावण जैसे आतंकवादी को मारने के लिए कोई राजघराने का लाल इतने दुष्कर मिशन पर नही निकला। शोषितों वंचितों आदिवासियों दलितों के बीच फिर कोई युवराज राम की तरह का वात्सल्य लेकर नही गया। दुश्मन के भाई विभीषण को फिर कभी राम जैसा शरणदाता मिला क्या?
इस प्रकरण पर मैं सुशील भाव से सोंचता हूँ, तो पाता हूँ कि राम के चरित्र को रामायण के सभी पात्र मिलकर उद्दात बनाते हैं। आप रामायण के किसी भी एक चरित्र को हटाकर जरा रामायण या फिर राम की कल्पना करके देखिए। रामायण का छोटे से छोटा चरित्र भी राम की महत्ता को बड़े से बड़ा बनाने में अपना सब कुछ समर्पित करता दिखता है। जटायु से छोटा पात्र भला कौन होगा? लेकिन सीता हरण रोकने के लिए यह पक्षी दुनिया के सबसे खूंखार बगदादी रावण से भिड़ जाता है, और अपने प्राण अर्पित कर आतंकवाद के खिलाफ राम की लड़ाई को बल प्रदान करता है। राम का सत्ता त्याग व्यर्थ हो जाता यदि भरत जैसा दुर्लभ भ्रात चरित्र उसे चित्रकूट में सत्ता हस्तांतरित करने का भावना पूर्ण प्रयास न करता। रावण के खिलाफ लड़ाई राम उसी वक्त हार जाते यदि सीता को रावण का वैभव जँच जाता। कहा जा सकता है कि एक साथ किसी एक व्यक्ति के इर्द गिर्द इतने उद्दात लोगों का जमावड़ा नही हुआ इसलिए रामायण और राम कथा फिर से इस धरती पर दुहरायी न जा सकी? आज आप सभी काल ब्लॉग के पाठक अपने ब्लॉगर भाई सुशील अवस्थी राजन की कही गयी बातों पर विचार कर रामायण के सभी चरित्रों पर दृष्टि रख राम कथा का पुनरावलोकन अवश्य करियेगा। किसी भी एक चरित्र को हटाकर रामायण की कल्पना करियेगा, फिर आपको मेरी बातों का असली निहतार्थ स्वतः समझ आ जायेगा।
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