यूपी में निकाय चुनावों की आहट के बीच राजधानी लखनऊ में एक नाम आजकल खूब सुर्खियां बटोर है, और वह नाम है अमित पांडेय| आजकल शहर की सड़कों पर कुछ प्रचार वाहन लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं, जिनमें नेता जी सुभाष चंद्र बोस की फोटो होती है, और लिखा होता है कि "अमित पांडेय का एक ही मोटो, सभी नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र की फोटो"
मेरे मन में एक विचार आया कि क्यों न अपने ब्लॉग "काल" के पाठकों को इस मुद्दे से पूरी तरह अवगत कराया जाय, कि आखिर पूरा मामला है क्या? दरअसल अमित पांडेय "आज़ाद हिन्द महासंघ" के बैनर तले लखनऊ से मेयर का चुनाव लड़ने जा रहे हैं | खुद को नेता जी सुभाष चंद्र बोस का अनुयायी और भक्त कहने वाले पांडेय 2009 में यहीं से लोकसभा का भी चुनाव लड़ चुके हैं |
फिर से चुनाव की क्या जरुरत? जबकि 2017 के विधान सभा चुनावों में आप और आपके संगठन नें खुद भाजपा का समर्थन किया था? मेरी इस बात पर पांडेय ने कहा कि "मेरे उस समर्थन के पीछे सिर्फ यही मंशा थी कि भाजपा नेताजी सुभाष के आदर्शों और सिद्धांतों के लिए कांग्रेस से तो बेहतर कार्य करेगी ही, लेकिन अफ़सोस कि यह पार्टी तो कांग्रेस से भी बदतर निकली | सिर्फ बंगाल के चुनावों के समय जनता के वोट हासिल करने के वास्ते इस पार्टी ने दिखावे के लिए सुभाष सुभाष का जाप किया फिर शांत हो गए| नेताजी सुभाष के साथ न्याय हो, इसलिए अब मैं जनता के बीच जा रहा हूँ, जनता को भाजपा के फरेब से वाकिफ कराना ही मेरा मुख्य मकसद है"
अपने प्रत्याशियों के बारे में जानना यह हर वोटर का अधिकार और कर्त्तव्य दोनों है| अमित पांडेय का सिर्फ उतना ही इतिहास नहीं है, जितना कि मैंने आप लोगों से साझा किया है | इनके बारे में यदि आप लोग और जानना चाहे तो इनके मोबाईल नंबर 7233966660 पर भी संपर्क कर सकते हैं | एडीआर जैसी संस्था भी हमें अपने प्रत्याशियों के बारे में पूर्ण जानकारी देती है, मैं चाहता हूँ कि लोग वहां से भी अपने प्रत्याशियों के बारे में अधिक से अधिक जानें|
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