आज की अयोध्या में त्रेता युग जैसा माहौल था। बतौर राम भक्त मैं आज के इस उत्सव का चश्मदीद रहा ये मेरे लिए बेहद गौरवपूर्ण छण थे। पुष्पक विमान की जगह यूपी सरकार का हेलीकाप्टर इस्तेमाल हुआ जिससे भगवान राम, लक्ष्मण और सीता का स्वरूप जीवंत कर रहे कलाकार उतरे। राज्य के सीएम और राज्यपाल ने उनकी अगवानी की।
शाम को राम की पैड़ी पर लाखों दीपों की झिलमिलाहट नें राम के वनवास की समाप्ति का एहसास जीवंत कर दिया। फिर सरयू आरती और रामलीला मंचन नें मानों रामराज्य के पुनरागमन की दस्तक सी दे दी हो। "राम" शब्द हिंदी वर्णमाला के दो अक्षरों से मिलकर बना है, "रा" और "म"। मेरे अनुसार "रा" का तात्पर्य "राष्ट्र" और "म" का अभिप्राय "मंगल" से है। कह सकते हैं राम वादी होने का सीधा मतलब राष्ट्र वादी होना है।
मैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को इस महोत्सव के लिए बतौर हिन्दू और रामभक्त बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ। क्योंकि अयोध्या लंबे समय से राजनीतिक संत्रास झेल रही थी। वो अलग बात है कि इस संत्रस्त माहौल के निर्माण का भी श्रेय आपकी ही पार्टी को जाता है। मैं करीब-करीब हर माह बतौर राम भक्त अयोध्या जाता रहता हूँ। इसलिए मुझे आज से पहले की मायूस, हताश, निराश और गमगीन अयोध्या के कुछ ही दिन पूर्व के दृश्य ठीक से याद हैं।
मैं इस वक्त महंत सीएम योगी को कुछ कीमती सलाह देना चाहता हूं। यह कि वे इस वक्त सूबे के मुखिया हैं, सिर्फ हिंदुओं के लिए सोचना एक मठ के पुजारी का तो काम हो सकता है, परंतु किसी सीएम का नहीं। सिर्फ हिंदुओं के त्योहारों पर सरकार का ऐसा उल्लास ठीक बात नही। बेहतर होता सरकार ऐसे ही ईद और रोज़ा इफ्तार के लिए भी उल्लसित होती। यह सीधा-सीधा तुष्टिकरण है। जबकि आप कहते हैं " तुष्टिकरण किसी का नही"। यह वही गलतियां हैं, जो इससे पहले अखिलेश यादव की सरकार उल्लासपूर्ण तरीके से रोज़ा इफ्तार मनाकर किया करती थी। दोनों धर्मों के त्योहारों में अगर आप यही गर्मजोशी दिखाएंगे तभी आप अपने संवैधानिक पद के साथ न्याय करेंगे।
सही है एक शासक को माता पिता की भांति होना चाहिए। सबसे एक समान प्रीत रखनी चाहिए ।
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