सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

तुलसी, तानसेन अरु "ताज"

   संगीत सोम नें ताजमहल के बहाने एक बार फिर से अपनी नफरती राजनीति का नया तराना छेंड दिया है। वह भी ऐसे समय जब भाजपा पुरोधा मोदी का गुजरात चुनावी महोत्सव के दौर से गुज़र रहा है। जानकार इस सोममय संगीत को इसी महोत्सव में चार चांद लगाने की उनकी गुप्त मुहिम के रूप में देख रहे हैं।
   भाजपा के उदीयमान कर्ता भर्ता और हर्ता नरेंद्र मोदी जी का राष्ट्रवाद आजकल प्रश्नचिन्हों की काजल कोठरी में खुद को प्रमाणित करने की जद्दोजहद से जूझ रहा है। नोटबंदी, जीएसटी, जैसे मोदी जी के तरकश के ये अमोघ बाण इस वक्त कुछ कुंद हो चले हैं। ऐसे में गुजरात चुनाव कहीं भाजपा के लिए कालरात्रि न साबित हो जाँय। इसलिए पार्टी यूपी की नामी गिरामी नफरती राजनीतिक आर्केस्ट्रा कम्पनी संगीत सोम से कुछ नफरती संगीत वादन कराके गुजराती मतदाताओं को मदहोश कर उनके वोट झटकना चाह रही है।
   नही तो अगर संगीत सोम को गद्दारों से वास्तव में नफरत होती तो सबसे पहले वो अपने पीएम को एक पत्र लिखकर आग्रह करते कि हर पंद्रह अगस्त को जो आप लालकिले की प्राचीर पर चढ़कर देश को संबोधित करते हो न वो लालकिला गद्दारों की निशानी है। संगीत सोम पश्चिमी यूपी की जिस सड़क पर फर्राटा भरते हैं वो ग्रैड ट्रंक रोड़ भी गद्दारों की ही देन है। कुर्ता पजामा उतार फेंको संगीत बाबू यह भी गद्दारों का ही दिया हुआ है। इसी प्रक्रिया को अगर ये महाशय और आगे बढ़ाना चाहें तो अंग्रेज़ भी तो गद्दार ही हुए। उखाड़ फेंको हज़ारों किमी लंबी रेल लाइनें जो कि गद्दारों नें बिछाई हैं। क्योंकि हमारी आज़ाद भारत की सरकारें तो इन रेल ट्रैकों के रखरखाव में ही सारी शक्ति लगा कर खुद को धन्य महसूस किए हैं, नए ट्रैक तो दूर की कौड़ी है।
   वो ताजमहल जो दुनिया में भारत की शान का ताज है। जिसे हिंदी के प्रबल हस्ताक्षर रहे राम विलास शर्मा ने मध्यकाल के तीन प्रतीकों " तुलसी, तानसेन अरु ताज" में एक माना। जो प्रतिवर्ष करीब ढाई लाख विदेशी सैलानियों को भारत लाकर हमारे बेरोजगार भाइयों बहनों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार देता है। वो इनकी आंखों में क्यों खटक रहा है? तुम जिन गद्दार मुगलों से अपने अदावत की बात कहते हो वो सब परलोक वासी हो चुके है बेहतर होता सोम जैसे लोग भी वहीं जाकर अपनी अदावत पूरी करें। यहां हम जिंदा लोगों के जीवन में पहले से ही तमाम दुश्वारियां हैं, हम ये खयाली अदावत को कहां रखें?

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