गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

अमीर और अपराधी फ्रेंडली यूपी पुलिस

    उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थापना करीब-करीब हर सरकार के लिए सिरदर्द रहा है। मेरा अपना मानना है कि बाबा योगी की सरकार भी इस मामले में जद्दोजहद ही करती दिख रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि जहां शासन में बैठे आला अधिकारी एसी रूम में बैठकर सिर्फ रूपरेखा खींचते है, वहीं नीचे खासकर थानों में बैठे पुलिसकर्मी और दारोगा मज़लूम, कमजोर, पीड़ितों और गरीब लोगों से सिर्फ और सिर्फ पैसा खींचने की जुगत में लगे रहते हैं। अमीर तो न्याय खरीद लेता है, परंतु गरीब न्याय की आस में बिक जाता है।
   आज एक गरीब और दलित युवक की हत्या के एक मामले को लेकर मैं दिन भर राजधानी लखनऊ के पुलिस अधिकारियों से मिला। अपने चैनल के लिए स्टोरी जहां मेरा मुख्य उद्देश्य रहा, वहीं मेरी यह भी कोशिश थी कि पीड़ित परिवार को न्याय भी मिल सके। पहले आशियाना थाने गया। मालूम पड़ा कि घटना के समय के एसएचओ साहब का ट्रांसफर हो चुका है। ज्ञात हुआ कि मामले की विवेचना डिप्टी एसपी मैडम कर रही हैं। उन्होंने ऑन द कैमरा कोई बात करने से साफ मना कर दिया। ऑफ द कैमरा मुझे भी कोई बात नही करनी थी, सो एक अच्छी मुस्कराहट प्रदर्शित कर उनसे विदा ली। एसएसपी लखनऊ कोई भी रहे, वो राजधानी में हमेशा वीवीआईपी तीमारदारी से ही नहीं छुट्टी पाता, सो वर्तमान साहब कहाँ से पाते? मैंने सीधे रुख किया डीआईजी रेंज के ऑफिस की तरफ। चूंकि फोन पर वार्ता हो चुकी थी, इसलिए डीआईजी साहब मेरा वेट कर रहे थे, उनसे बेहद सकारात्मक माहौल में वार्ता हुई। 
    उन्होंने कहा भी कि दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। वो अलग बात है कि दोषी अभी तक बख्शे ही जा रहे हैं। क्योंकि जिस दिन इस दलित युवक को दबंगों ने लाठी डंडों से मारा उसी रात मृतक के भाई को ही यूपी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। ऐसे चमत्कारी करतबों पर सिर्फ यूपी पुलिस का ही पेटेंट है, ये सारा देश जानता है। जबकि ठीक उसी रात आशियाना थानें में हमारी यूपी पुलिस के वीर सिपाहियों द्वारा आरोपियों की आवभगत की मेरे पास मुकम्मल जानकारी है। हमारी माल द्रष्टा पुलिस का यह रूप ही उसे अपराधियों के लिए सबसे ज्यादा "अपराधी फ्रेंडली" बनाता है। हां हमारे डीआईजी साहब जरूर गरीब और मज़लूम  फ्रेंडली हैं। राजधानी में इनके सिवा एक और पुलिस अधिकारी इन्हीं जैसे हैं, और वो सख्स हैं निःसंदेह अमिताभ ठाकुर। लेकिन बाबा की सरकार में दोनों ही हासिये पर दिखते है, इसी से बाबा सरकार की मंशा मुझे तो साफ न लगे है। बाकी हरि अनंत हरि कथा अनंता भाव से अगर आप सब "काल" ब्लॉग को पढ़ते रहे, तो फिर किसी दिन यूपी पुलिस के सौ फीसदी सच के साथ एक और सच्ची कथा लेकर आप सबके समक्ष उपस्थित होऊंगा। तब तक के लिए जय हिंद जय भारत।
इसी मामले की सुदर्शन न्यूज़ पर चली खबर



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...