लंदन। बीयर का शौक रखने वालों को गर्मी में ठंडी बीयर नहीं मिलने पर काफी गुस्सा आता है, लेकिन जल्द ही इस समस्या से निजात मिल जाएगी। बाजार में ऐसा कैन आने वाला है जो अपने अंदर की बीयर को सिर्फ दो मिनट में बर्फ की तरह ठंडा कर देगा। इसे चिलकैन नाम दिया गया है। कैन निर्माताओं का कहना है कि यह इस वर्ष के अंत तक बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। इसकी पेंदी में एक कैप्सूल जुड़ा होता है और इससे दबावयुक्त कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है जो कैन को 15 डिग्री सेंटीग्रेड तक ठंडा कर सकती है। कैन को बनाने में मदद करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ सर्रे के सेंटर फॉर एनवायरमेंटल स्ट्रेटजी में प्रोफेसर रोनाल्ड क्लिफ्ट ने बताया, नई तकनीक पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं होगी। ब्रिटिश अखबार डेली मेल ने क्लिफ्ट के हवाले से कहा है कि उनकी रणनीति वर्तमान में प्रचलित कैन की जगह नए कैन का विकास करने की है। क्लिफ्ट ब्रिटेन के पर्यावरण मंत्रालय में सलाहकार रह चुके हैं। उन्हें ऐसी कैन बनाने को कहा गया था जिसका प्रयोग ठंडा करने वाले हानिकारक पदार्थो के बिना किया जा सके। कैलिफोर्निया की जोसेफ कंपनी ने 500 मिलीलीटर के चिलकैन को बनाने में 20 वर्ष लिए। पहले जो कैन बनाए गए थे वे पर्यावरण के लिए हानिकारक थे क्योंकि उनमें एक रेफ्रीजरेंट (ठंडा करने वाले पदार्थ) का प्रयोग होता था जो ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में सहायक था।
शनिवार, 30 जून 2012
सोमवार, 25 जून 2012
जीवित आदमी की शवयात्रा
   राज्य
 का हर हिस्सा इन दिनों गर्मी से झुलस रहा है, पानी का संकट भी गहराने लगा 
है। वहीं केरल सहित देश के अन्य हिस्सों में मॉनसून दस्तक दे चुका है, मगर 
प्रदेश के पूर्वी हिस्से को छोड़कर सभी जगह लोगों को बारिश का इंतजार है। 
मॉनसून में और देरी होने की संभावना के मौसम विभाग के पूर्वानुमान के चलते 
लोगों में मायूसी है। 
   मॉनसून
 आए और हर किसी को राहत मिले, इसके लिए इंदौर में जीवित आदमी की शवयात्रा 
निकालने का टोटका किया गया। राजकुमार सब्जी मंडी के व्यापारियों ने सोमवार 
को कैलाश वर्मा नामक व्यक्ति को अर्थी पर लिटाकर शवयात्रा निकाली। इस 
शवयात्रा में आगे बैंडबाजे बज रहे थे, वहीं एक व्यक्ति मटकी में जलती हुई 
आग लेकर चल रहा था। जिस तरह एक मरे हुए आदमी की शव-यात्रा में की जाती है।
   सब्जी
 मंडी के किशोर मरमट बताते हैं कि देवी अहिल्याबाई होल्कर के काल में बारिश
 अच्छी न होने पर जीवित व्यक्ति की अर्थी निकालने की परंपरा रही है, आज के 
दौर में भी जब अच्छी बारिश नहीं होती है, तब इसी तरह का टोटका किया जाता 
है। 
   मरमट
 का कहना है कि अच्छी बारिश होगी तो फसल की पैदावार अच्छी होगी और हर तरफ 
खुशहाली आएगी। उनका मानना है कि जिंदा आदमी की शवयात्रा निकालने का टोटका 
किए जाने से अच्छी बारिश होती है। 
   कैलाश
 वर्मा पिछले पांच वर्षों से अर्थी पर लेटकर अपनी शवयात्रा पर निकलते आ रहे
 हैं। वह कहते हैं कि अपनी शवयात्रा निकालने पर उन्हें किसी तरह का रंज 
नहीं होता, उन्हें तो इस बात की खुशी होती है कि लोग उनके जरिए टोटका कर 
अच्छी बारिश की कामना करते हैं। 
   इसी
 तरह राज्य के अन्य हिस्सों में भी अच्छी बारिश के लिए अनुष्ठानों का दौर 
चल रहा है। मंदिरों में पूजा-पाठ कर लोग इंद्र देवता को मनाने की कोशिश कर 
रहे हैं। 
आग का गोला बनी सड़क पर दौड़ती डीसीएम, दो घायल
   मोहनलालगंज (लखनऊ)। कानपुर से तारपीन का तेल व पेंट लेकर आ रही डीसीएम 
रविवार रात जुनाबगंज रोड स्थित बलसिंह खेड़ा के पास आग का गोला बन गई। 
पुलिस के मुताबिक, कानपुर से पेंट व तारपीन तेल लादकर लखनऊ के लिए रवाना 
हुई डीसीएम पर ड्राइवर ने कुछ सवारियां बैठा ली थीं। तेज रफ्तार से दौड़ती 
गाड़ी बलसिंह खेड़ा के सामने से गुजर रही थी कि उसमें आग लग गई। सड़क पर 
दौड़ती डीसीएम देखते ही देखते आग का गोला बन गई। उसके डाले पर सवार दो लोग 
जान बचाने के लिए चलती गाड़ी से कूद पड़े। सिर के बल गिरने से दोनों गंभीर 
रूप से घायल हो गए। इस बीच ड्राइवर ने किसी तरह गाड़ी रोकी और उतरकर भाग 
निकला। डीसीएम पर बैठी सवारियां भी खिसक लीं। ग्रामीणों ने पुलिस और फायर 
ब्रिगेड को सूचना देने के साथ ही सड़क पर तड़प रहे दोनों घायलों को सीएचसी 
पहुंचाया। दमकल की दो गाड़ियों को पेंट व तारपीन तेल के कारण धू-धूकर जल 
रही डीसीएम को बुझाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान मार्ग पर 
यातायात ठप रहा। दोनों तरफ वाहनों की लंबी लाइन लग गई। पुलिस ने जली गाड़ी 
को क्रेन से हटाकर रास्ता साफ कराकर यातायात शुरू करवाया। सीएचसी के 
डॉक्टरों ने दोनों घायलों की हालत नाजुक बताते हुए उन्हें ट्रॉमा सेंटर 
रेफर कर दिया। पुलिस ने जेब से मिले कागजात के आधार पर दोनों की पहचान 
मोहनलालगंज के गांव खजेहटा निवासी अमृतलाल व गोरखपुर निवासी राजीव यादव के 
रूप में की। राजीव को खलासी व अमृतलाल को मजदूर बताया जा रहा है। पुलिस का 
मानना है कि पेंट व तारपीन तेल से लदी डीसीएम पर सवार किसी व्यक्ति द्वारा 
बीड़ी पीने की वजह से आग लगी है।  
'दबंग 2' की शूटिंग में हादसा, सलमान हुए परेशान
   महबूब स्टूडियो में सलमान खान अभिनीत 'दबंग 2' की शूटिंग के दौरान शनिवार 
को हुए हादसे में तीन तकनीशियन घायल हो गए। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 
घायलों को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत खतरे से 
बाहर है। लेकिन इस सब ने हीरो सलमान को हैरान और परेशान कर दिया है। 
सूत्रों के अनुसार, "बांद्रा स्थित महबूब स्टूडियो में 'दबंग 2' फिल्म में एक्शन दृश्य की शूटिंग के दौरान हादसा हो गया है जिसमें तीन तकनीशियनों को चोटें आई और उन्हें सुरक्षा उपायों के तहत सेट पर मौजूद चिकित्सकों एवं एम्बुलेंस की सहायता से लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया।"
धमाके के समय सलमान खान खुद मौजूद थे लेकिन वह इस हादसे में बाल बाल बच गए। तीनों तकनीशियों की हालत खतरे से बाहर है। सूत्र के अनुसार सलमान घायलों को लीलावती अस्पताल ले गए जिसमें से दो की हालत गम्भीर बताई गई थी।
सलमान के बाद उनके भाई और फिल्म के निर्देशक अरबाज लीलावती अस्पताल पहुंचे। इसके बाद सलमान के पिता सलीम खान भी घायलों को देखने के लिए आए। 'दबंग 2' 2010 में प्रदर्शित हुई 'दबंग' का सिक्वल है।
सूत्रों के अनुसार, "बांद्रा स्थित महबूब स्टूडियो में 'दबंग 2' फिल्म में एक्शन दृश्य की शूटिंग के दौरान हादसा हो गया है जिसमें तीन तकनीशियनों को चोटें आई और उन्हें सुरक्षा उपायों के तहत सेट पर मौजूद चिकित्सकों एवं एम्बुलेंस की सहायता से लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया।"
धमाके के समय सलमान खान खुद मौजूद थे लेकिन वह इस हादसे में बाल बाल बच गए। तीनों तकनीशियों की हालत खतरे से बाहर है। सूत्र के अनुसार सलमान घायलों को लीलावती अस्पताल ले गए जिसमें से दो की हालत गम्भीर बताई गई थी।
सलमान के बाद उनके भाई और फिल्म के निर्देशक अरबाज लीलावती अस्पताल पहुंचे। इसके बाद सलमान के पिता सलीम खान भी घायलों को देखने के लिए आए। 'दबंग 2' 2010 में प्रदर्शित हुई 'दबंग' का सिक्वल है।
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' को देखकर बिग बी हुए गदगद!
    मुम्बई। महानायक अमिताभ बच्चन
 हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में गैंग वार के चित्रण 
से खासे प्रभावित हैं। अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर लिखा, "इसमें कोई शक नहीं 
कि आज का दिन गैंग्स ऑफ वासेपुर के नाम रहा। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे 
इसे देखने का मौका मिला। भारतीय सिनेमा अपनी श्रेष्ठता पर है।"
उन्होंने कहा, "अनुराग कश्यप ने कोई भी बनावटी शॉट नहीं लिया और दृश्य से छेडछाड़ किए बिना उन्हें अपने क्रम में चलने दिया है।"
फिल्म की कहानी जीशान कादरी ने लिखी है। यह फिल्म स्क्रैप के कारोबार को लेकर गैंगस्टर फाहीमा खान और व्यवसायी शबीर आलम के बीच हुए गैंग वार के लिए मशहूर झारखंड के वासेपुर पर आधारित है।
शक्रवार को प्रदर्शित होने के बाद यह फिल्म अधिकतर जगह हाउसफुल रही।
अमिताभ ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दकी, रिचा चड्ढ़ा और पीयूष मिश्रा की भी जमकर तारीफ की।
उन्होंने कहा, "अनुराग कश्यप ने कोई भी बनावटी शॉट नहीं लिया और दृश्य से छेडछाड़ किए बिना उन्हें अपने क्रम में चलने दिया है।"
फिल्म की कहानी जीशान कादरी ने लिखी है। यह फिल्म स्क्रैप के कारोबार को लेकर गैंगस्टर फाहीमा खान और व्यवसायी शबीर आलम के बीच हुए गैंग वार के लिए मशहूर झारखंड के वासेपुर पर आधारित है।
शक्रवार को प्रदर्शित होने के बाद यह फिल्म अधिकतर जगह हाउसफुल रही।
अमिताभ ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दकी, रिचा चड्ढ़ा और पीयूष मिश्रा की भी जमकर तारीफ की।
26/11 : आतंकियों का हैंडलर गिरफ्तार
    नई दिल्ली।  मुंबई पर हुए 26/11 हमले का मुख्य आरोपी अबू हमजा भारत के 
कब्जे में आ गया है। उसे दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। खूंखार आतंकवादी 
और भारत का मोस्ट-वांटेड हमजा उर्फ रियासत अली दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल 
के शिकंजे में तब फंसा, जब वह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई 
अड्डे पर उतरा। यह वही आतंकी है जो मुंबई हमले के दौरान भारत में घुसे 
आतंकियों को फोन पर निर्देश दे रहा था। हमजा ने इस पूरे हमले को अंजाम देने
 में अहम किरदार निभाया था। उसके इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैबा से सीधे
 संबंध बताए जाते हैं। हमजा 2006 में भारत छोड़कर पाकिस्तान भाग गया था, 
जिसके बाद उसने 2008 के मुंबई हमले को अंजाम दिया। मुंबई हमले की योजना 
बनाने और उसे अंजाम देने वाले कुल छह आतंकियों को बतौर हैंडलर चिन्हित किया
 गया था, जिसमें हमजा मुख्य है। भारत सहित कई एजेंसियां हमजा का सुराग 
ढूंढने में जुटी हुई थीं। जून, 2012 में उसके नाम गैर-जमानती वॉरंट जारी 
किया गया था। 
   5 जुलाई तक रिमांड पर : 
   दिल्ली पुलिस को सूचना मिली थी कि हमजा एयरपोर्ट पर आने वाला है। 
स्पेशल सेल ने ट्रैप लगा दिया और हमजा उसके जाल में आ फंसा। बताया जाता है 
कि उसके कब्जे से पाकिस्तानी पासपोर्ट और कुछ अन्य अहम दस्तावेज बरामद हुए 
हैं। स्पेशल सेल ने उसे दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में चीफ मेट्रोपॉलिटन 
मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया। अदालत ने स्पेशल सेल को 5 जुलाई तक के 
लिए उसे रिमांड पर दे दिया। 
शुक्रवार, 22 जून 2012
पाकिस्तान के नए पीएम होंगे अशरफ, पीपीपी ने लगाई मुहर
   इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सत्तारूढ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने आज पूर्व 
आईटी मंत्री राजा परवेज अशरफ को अपनी ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार 
घोषित किया । नये प्रधानमंत्री को चुनने के लिए संसद का विशेष सत्र कुछ 
घंटों में ही होना है।
पीपीपी के वरिष्ठ नेता खुर्शीद शाह ने पार्टी के नये उम्मीदवार की घोषणा संसद में आयोजित एक स
पीपीपी के वरिष्ठ नेता खुर्शीद शाह ने पार्टी के नये उम्मीदवार की घोषणा संसद में आयोजित एक स
ंवाददाता सम्मेलन में की ।
शाह ने कहा, ‘अपनी सहयोगी पार्टियों से सलाह मशविरा के बाद मुझे पार्टी नेतृत्व ने राजा परवेज अशरफ का नाम दिया है ।’ संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली को शाम 5:30 बजे नये प्रधानमंत्री का चुनाव करना है ।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्य ठहराया था जिसके बाद यह चुनाव अनिवार्य हो गया ।ल गिलानी के विकल्प को तलाशने के पीपीपी के प्रयासों को कल बड़ा झटका लगा जब प्रधानमंत्री पद के पार्टी के वास्तविक दावेदार मखदूम शहाबुद्दीन के खिलाफ एक विशेष अदालत ने उस वक्त गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जब वह नामांकन पत्र भर रहे थे।
अशरफ को शीर्ष अदालत ने उनके उर्जा मंत्री रहने के दौरान बिजली परियोजनाओं में हुए एक घोटाले से जोड़ा है। उन्होंने शहाबुद्दीन के वैकल्पिक या छद्म उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा था। पीपीपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता कमर जमां कैरा ने भी नामांकन दायर किया था लेकिन पार्टी की अहम सहयोगी पीएमएल क्यू ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया।
शाह ने कहा कि अशरफ को पिछले कुछ दिनों में पीपीपी के सहयोगी दलों के साथ राय मशविरा के बाद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुना गया । संवाददाता सम्मेलन में सत्तारूढ गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों के नेता भी मौजूद थे । (एजेंसी)
शाह ने कहा, ‘अपनी सहयोगी पार्टियों से सलाह मशविरा के बाद मुझे पार्टी नेतृत्व ने राजा परवेज अशरफ का नाम दिया है ।’ संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली को शाम 5:30 बजे नये प्रधानमंत्री का चुनाव करना है ।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्य ठहराया था जिसके बाद यह चुनाव अनिवार्य हो गया ।ल गिलानी के विकल्प को तलाशने के पीपीपी के प्रयासों को कल बड़ा झटका लगा जब प्रधानमंत्री पद के पार्टी के वास्तविक दावेदार मखदूम शहाबुद्दीन के खिलाफ एक विशेष अदालत ने उस वक्त गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जब वह नामांकन पत्र भर रहे थे।
अशरफ को शीर्ष अदालत ने उनके उर्जा मंत्री रहने के दौरान बिजली परियोजनाओं में हुए एक घोटाले से जोड़ा है। उन्होंने शहाबुद्दीन के वैकल्पिक या छद्म उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा था। पीपीपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता कमर जमां कैरा ने भी नामांकन दायर किया था लेकिन पार्टी की अहम सहयोगी पीएमएल क्यू ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया।
शाह ने कहा कि अशरफ को पिछले कुछ दिनों में पीपीपी के सहयोगी दलों के साथ राय मशविरा के बाद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुना गया । संवाददाता सम्मेलन में सत्तारूढ गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों के नेता भी मौजूद थे । (एजेंसी)
धर्मशाला जा रहे केजरीवाल को किंगफिशर ने प्लेन से उतारा
केजरीवाल
 ने कहा कि उनके पास वैध टिकट था। फ्लाइट से उतारने का उनको कोई कारण भी 
नहीं बताया गया। उन्होंने कहा कि आज दोपहर 2.55 बजे उनकी फ्लाइट थी। फ्लाइट
 को रीशेड्यूल किया गया और 4 बजे फ्लाइट को उड़ान भरना था। केजरीवाल ने कहा
 कि उन्होंने बोर्डिंग पास भी ले लिया था।
किंगफिशर
 एयरलाइंस के अधिकारियों ने केजरीवाल से कहा कि आपको फोन कर पूछा गया था कि
 आप विमान से जाएंगे या नहीं। चूंकि आपने ‘ना’ कहा था इसलिए आपकी सीट किसी 
और को अलॉट कर दी गई है। केजरीवाल का कहना है कि जिस नंबर से उन्हें फोन 
करने की बात कही गई है उस नंबर से उनके फोन पर 2.45 बजे की एक मिस्ड कॉल 
दर्ज है। उस वक्त तो वो एयरपोर्ट पर ही थे। केजरीवाल ने कहा कि इसके पीछे 
जरूर किसी भ्रष्ट ताकत का हाथ है जिसके दबाव में किंगफिशर ने उनको विमान से
 उतार दिया।
नगर निकाय चुनाव: क्या करूँ क्या न करूँ ......
    कल 23 जून को यूपी की राजधानी लखनऊ में नगर निकाय के लिए वोट डाले जायेंगे। मेरी तरह बहुत से मतदाता दुविधा में होंगे कि किसे वोट दिया जाय? इसलिए मैनें सोंचा कि क्यों न अपनें फेस बुकिया और ब्लागिया मित्रों से मशविरा ले लिया जाय। पार्षदी के लिए तो पार्टी प्रत्याशी से ज्यादा महत्वपूर्ण व्यक्तिगत टच का ही प्रत्याशी रहेगा। लेकिन मेयर पद को लेकर मेरी दुविधा बढती जा रही है। सपा, बसपा द्वारा इन चुनावों का अघोषित बहिष्कार स्थिति को और भयावह कर रहा है। सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के ही प्रत्याशी राजधानी क्षेत्र में दिख रहे हैं। 
    कांग्रेसी प्रत्याशी श्रीमान नीरज वोरा के प्रति मेरे मन में सहानुभूति का भाव तो है, लेकिन मैं पंजे का बटन दबा पाउँगा कह पाना बहुत मुश्किल है। उत्तर प्रदेश से बहुजन समाज पार्टी को निपटानें के बाद मेरी हार्दिक इच्छा कांग्रेस को ही दफ़न करनें की है। अब बचे भाजपा के डॉ दिनेश शर्मा,  यह जान कर मुझे बड़ी पीड़ा है कि कार्यकर्ताओं के हरदिल अज़ीज़ अमित पुरी को इस पार्टी नें मेयर पद के काबिल नहीं समझा। फिलहाल भाजपा नें एक ही व्यक्ति के नाम राजधानी की महापौरी रजिस्टर्ड कर रखी है। ऐसा ही रजिस्ट्रेशन विधायकी में भी चला आ रहा था। जिसे राजधानी की जनता तार-तार कर चुकी है। 
   फिलहाल मुझे तो भाजपा का ही प्रत्याशी जीतता हुआ दिख रहा है, क्योंकि राज्य की  सत्तारूढ़ पार्टी सपा नें बसपाई पैटर्न को जो अपना रखा है। बसपा नें भी सत्ता में रहते हुए नगर निकायों के चुनावों से अपनें को दूर रखनें की रणनीति अख्तियार कर रखी थी।
सत्तारूढ़ पार्टी सपा नें बसपाई पैटर्न को जो अपना रखा है। बसपा नें भी सत्ता में रहते हुए नगर निकायों के चुनावों से अपनें को दूर रखनें की रणनीति अख्तियार कर रखी थी। 
 सत्तारूढ़ पार्टी सपा नें बसपाई पैटर्न को जो अपना रखा है। बसपा नें भी सत्ता में रहते हुए नगर निकायों के चुनावों से अपनें को दूर रखनें की रणनीति अख्तियार कर रखी थी।
सत्तारूढ़ पार्टी सपा नें बसपाई पैटर्न को जो अपना रखा है। बसपा नें भी सत्ता में रहते हुए नगर निकायों के चुनावों से अपनें को दूर रखनें की रणनीति अख्तियार कर रखी थी। 
    हमारे हरदिल अज़ीज़ युवा मुख्यमंत्री मा0 अखिलेश यादव जी की रहनुमाई में भी समाजवादी पार्टी नें, अपनी पूर्ववर्ती जनविरोधी बसपा सरकार के ही नक्शेकदम पर चलनें का फैंसला किया। जो दुखद है। लोकतंत्र की व्यापकता की बात करनें वाले मुझे बताएं कि स्थानीय निकायों के चुनावों से दूर रहकर, कोई पार्टी कैसे लोकतान्त्रिक व्यवस्था को और व्यापक बना सकती है? 
बुधवार, 20 जून 2012
मां का गाना सुनकर कोमा से जागी 7 साल की बेटी
  लंदन। मस्तिष्क हेमरेज (रक्तस्राव) 
के बाद कोमा में चली गई सात वर्ष की एक बालिका यहां करीब सप्ताह भर बाद 
अपनी मां के मुंह से गायिका एडील का अपना प्रिय गीत सुनकर जाग गई। लंकाशायर
 के ट्रावडेन की चारलोट नेव के मस्तिष्क को भारी क्षति पहुंचा था और वह 
देखने या बोल पाने में असमर्थ हो गई थी।
समाचार
 पत्र सन के मुताबिक मस्तिष्क में रक्तस्राव रोकने के लिए उसका दो बार 
ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद वह कोमा में चली गई थी। चिकित्सकों ने उसकी मां
 लीला से कह दिया कि बालिका के बचने की सम्भावना नहीं है।
सप्ताह
 भर बाद 31 वर्षीय लीला बालिका से मिलने अस्पताल के कक्ष में पहुंची तभी 
रेडियो पर गायिका एडील का एक गीत 'रोलिंग इन द डीप' शुरू हो गया। यह गीत 
मां-बेटी मिलकर गाया करती थी। लीला इसे खुद गाकर बालिका को सुनाने लगी और 
चार्लोट मुसकराने लगी। इसे देखकर चिकित्सक आश्चर्यचकित रह गए। उनका आश्चर्य
 तब और बढ़ गया, जब दो मिनट के भीतर वह बोलने और चलने में भी समर्थ हो गई 
और थोड़ा-थोड़ा देखने भी लगी।
अप्रैल
 में नींद में वह हेमरेज की शिकार हुई थी। इससे पहले उसने अपनी मां और बहन 
के साथ रोज की तरह डीवीडी पर कोई कार्यक्रम देखा था। चार्लोट अब एक घंटे के
 लिए स्कूल जाती है। स्पीच थेरेपी ले रही है। वह नृत्य सीख रही है, जिसमें 
वह स्ट्रीट, बैले और टैप डांसिंग करती है।
संगमा का एनसीपी से इस्तीफा, राष्ट्रपति चुनाव लड़ना तय
मालूम
 हो कि राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे पी ए संगमा की ही पार्टी एनसीपी कांग्रेस 
और यूपीए समर्थित उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन कर रही है। ऐसे में 
संगमा पर लगातार पीछे हटने का दबाव था। एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी की भी आज
 इसी सिलसिले में संगमा से मुलाकात करने की कोशिश की थी। एनसीपी के अध्यक्ष
 शरद पवार पहले ही संगमा से चुनाव न लड़ने के लिए कह चुके थे। 
गौरतलब
 है कि संगमा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) व बीजू 
जनता दल (बीजद) के संयुक्त उम्मीदवार हैं। ऐसी संभावना है कि बीजेपी और 
एनडीए भी संगमा के समर्थन में ही आ सकता है।  
स्वदेशी अवाक्स प्रणाली तैयार करेगा भारत
    भारत अपनी रक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए स्वदेशी तकनीक से 
अवाक्स प्रणाली [एयरबोर्न वार्निग एंड कंट्रोल सिस्टम] का निर्माण करने का 
फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक भारत के रक्षा अनुसंधान केंद्र इस बाबत 
काम शुरू कर चुके हैं। फिलहाल ऐसी दो प्रणालियों पर काम चल रहा है, जिन्हें
 बाद में बढ़ाया भी जा सकता है। स्वदेशी तकनीक से तैयार की गई अवाक्स 
प्रणाली को आईएल-76, एयरबस या बोइंग विमानों में स्थापित किया जाएगा। 
 भारत का अवाक्स विमान प्रणालियों के अलावा पूरे भारतीय उपमहाद्वीप एक 
स्वचालित अवाक्स व्यवस्था की स्थापना करने का इरादा है। यह व्यवस्था सभी 
सैन्य और नागरिक हवाई रडारों को एक एकीकृत प्रणाली में शामिल कर देगी। 
 मौजूदा दौर में वायुसेना को इस तकनीक की बेहद जरूरत है। अवाक्स की मदद 
से लगभग 350-400 किलोमीटर की दूरी से ही शत्रु के लड़ाकू विमानों और 
मिसाइलों का पता लगाकर इनसे बचा जा सकता है। इसके अलावा जिस विमान में यह 
प्रणाली होती है वह विमान एक साथ कई लक्ष्यों पर अपनी निगाह रखने में सक्षम
 होता है। इस प्रणाली को विमान की आसमानी आंख भी कहा जाता है।
 फिलहाल भारतीय वायु सेना के पास आईएल-76 किस्म के केवल 3 विमान हैं। 
इनमें इजरायली फाल्कन अवाक्स प्रणाली स्थापित है। पाकिस्तानी वायु सेना के 
पास ऐसे चार विमान हैं। वहीं पाक को चार अन्य विमान चीन से मिलने की भी 
उम्मीद है। वहीं चीन के पास इस प्रणाली से युक्त 20 अवाक्स विमान हैं।
'हिंदुत्ववादी प्रधानमंत्री' पर एनडीए में घमासान
   नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव-2014 में एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद का 
दावेदार कौन होगा? यह इस समय सबसे बड़ा सवाल बन गया है। भाजपा की अगुआई वाले
 एनडीए के लिए यह सवाल अस्तित्व का सवाल भी है। दूसरे सबसे बड़े गठबंधन 
यूपीए ने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उनके पास राहुल गांधी के रूप में 
तुरुप का इक्का मौजूद है। एनडीए का क्या होगा? उसके पास न तो इक्का है और 
ना ही दुक्का। भाजपा के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी को अब इस काबिल नहीं 
माना जा रहा है कि वे फ्रंट फुट पर खेल सकें। उनके अलावा भाजपा के पास अधिक
 विकल्प नहीं हैं। अरुण जेटली, सुषमा स्वराज जैसे नेता उतनी कद्दावर छवि 
नहीं रखते कि पीएम कैंडिडेट के रूप में एनडीए को लीड दिला सकें। 
 मोदी पर करना होगा एनडीए को फैसला :
 कुलमिलाकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सभी ने रास्ता 
साफ कर रखा है। पीएम इन वेटिंग के रूप में मोदी ने आडवाणी को बहुत पहले ही 
रिप्लेस कर दिया था। हालांकि इसे लेकर एकमत से भाजपा या एनडीए ने इससे पहले
 तक कभी कुछ नहीं कहा था। जैस-जैसे 2014 नजदीक आने लगा भाजपा के ऊपर एकमत 
से निर्णय लेने और स्थिति साफ करने का दबाव बढ़ता गया। मोदी भी उतने ही 
व्याकुल होते गए। नतीजा कुछ दिनों पहले देखने को मिला, जब मोदी ने 
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आने से इंकार कर दिया। बंदूक उन्होंने 
भले ही संजय जोशी के कंधे पर रखी, लेकिन निशाने पर पीएम पद की दावेदारी ही 
थी। आडवाणी और गडकरी समेत पूरी भाजपा लगभग नतमस्तक हो गई और मोदी यह संदेश 
देने में कामयाब हुए कि अब वही पीएम इन वेटिंग हैं। भाजपा में तो उन्होंने 
बलपूर्वक अपनी बात मनवा ली या शायद भाजपा चाहती भी यही थी और उसे किसी 
बहाने-मौके का इंतजार था, लेकिन एनडीए में केवल भाजपा की ही नहीं चलती है, 
इस बात का अहसास बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने तुरंत 
करा दिया। अब एनडीए को मोदी पर फौरन फैसला करना होगा। अपना स्टेंड बताना 
होगा कि उसका पीएम कैंडिडेट कौन होगा।
 नीतीश बनना चाहते हैं पीएम :
 नीतीश ने साफ कर दिया कि जद-यू 'सेक्युलर प्रधानमंत्री' यानी 
हिंदुत्ववादी मोदी को एनडीए का पीएम केंडिडेट कतई स्वीकार नहीं करेगी। 
दरअसल नीतीश भी पीएम की दावेदारी के रूप में खुद को मजबूत रूप से सामने 
लाना चाहते हैं। उन्हें यह अच्छे से पता है कि एनडीए में कितनी जान है। 
उन्हें मालूम है कि भाजपा अपने बूते चुनाव में नहीं ठहर सकती। लिहाजा, 
उन्हें भाजपा की अंदरूनी उठापटक ने अपना दावा पेश करने का बेहतरीन मौका दे 
दिया। नीतीश के इस मूव के बाद अब भाजपा-जदयू गठबंधन टूट की कगार पर आ गया 
है। 
 संघ खुलकर मोदी के सपोर्ट में : 
 वहीं, मोदी को लेकर संघ का रुख भी इस घटनाक्रम के बाद स्पष्ट हो गया। 
नीतीश के बयान पर संघ ने पलटवार किया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि 
आखिर क्यों न हो हिंदुत्ववादी प्रधानमंत्री। क्या नीतीश बताएंगे सेक्युलर 
पीएम कौन था। संघ के इस रुख को सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री 
पद के दावे के समर्थन के रूप में माना जा रहा है। संघ ने कहा कि नीतीश बता 
दें कि आज तक कौन सा प्रधानमंत्री सेक्युलर था। भावी प्रधानमंत्री की 
धर्मनिरपेक्षता पर नीतीश के वक्तव्य पर कड़ा ऐतराज जताते हुए राष्ट्रीय 
स्वयं सेवक संघ [संघ] प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि नीतीश को यह 
बताने की जरूरत नहीं है कि कौन धर्मनिरपेक्ष है। उन्होंने आगे सवाल किया कि
 क्या आज तक के प्रधानमंत्री धर्मनिरपेक्ष नहीं थे? साथ ही उन्होंने कहा कि
 अगला प्रधानमंत्री हिंदुत्ववादी होने में हर्ज क्या है? भागवत संघ 
कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। भागवत ने कहा कि नीतीश अपना वोट बैंक 
बढ़ाने के लिए इस तरह की चाल चल रहे हैं। वहीं भाजपा ने कहा कि नीतीश का यह
 रुख एनडीए के लिए नई मुश्किल खड़ी कर सकता है।
 समझौते के मूड में नहीं जद-यू : 
 नीतीश पर संघ के पलटवार के बाद जदयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने मोदी 
पर सीधे हमला बोल दिया। कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में यदि एनडीए में मोदी 
नहीं होते तो केंद्र में सरकार एनडीए की होती। धर्मनिरपेक्ष प्रधानमंत्री 
के सवाल पर तिवारी ने कहा कि यह पूरे देश का मामला है सिर्फ गुजरात का 
नहीं, हम इस पर समझौता नही कर सकते।   
मंगलवार, 19 जून 2012
भारत देगा आईएमएफ को 10 अरब डॉलर
    ब्रिक्स देशों के समूह ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ में आर्थिक हिस्सेदारी बढ़ाने की घोषणा की है.
दुनिया की तेजी से उभरती हुई पांच अर्थव्यवस्थाओं,
 ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने मिलकर एक समूह तैयार किया 
है जिसे 'ब्रिक्स' का नाम दिया गया है.
मेक्सिको में जी-20 के एक सम्मेलन के 
बाद घोषणा की गई है कि भारत आईएमएफ को 10 अरब डॉलर देगा. रूस ने भी इतना ही
 योगदान करने का वादा किया है.
समाचार एजेंसी रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि चीन आईएमएफ के फंड में 43 अरब डॉलर का योगदान करेगा.
आईएमएफ में आर्थिक हिस्सेदारी बढ़ाने की ये घोषणा 
वैसे समय की गई है जब संगठन अधिक धन जुटाने की कोशिश में है ताकि भविष्य 
में किसी तरह के आर्थिक संकट से निपटने के लिए तैयार रहा जा सके.
ब्रिक्स की मांग
जी- 20 सम्मेलन की समाप्ति के बाद ब्रिक्स की ओर 
से जारी एक बयान में कहा गया है, “यह नए योगदान इस उम्मीद के साथ किए जा 
रहे हैं कि साल 2010 में जिन सुधारों पर सहमति बनी थी, उन पर समय अनुसार 
अमल किए जाएंगे. साथ ही वोटिंग अधिकारों और कोटा नीति में भी बदलाव लाए 
जाएंगें.”
हालांकि ब्रिक्स देशों ने साफ किया कि नए योगदान का इस्तेमाल पहले से ही मौजूद संसाधनों के इस्तेमाल के बाद ही किया जाए.
आईएमएफ ने यूरोजोन के कर्ज के संकट से जूझ रहे 
ग्रीस जैसे देशों को कर्ज देने की हिमायत की है. ऐसी भी चिंता है कि अगर 
स्पेन या इटली जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर इस संकट का असर पड़ता है तो 
उसके लिए फिलहाल मौजूद फंड पर्याप्त नहीं होगा.
भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि ऐसा समझा जाता है कि मौजूद व्यवस्था संकट से निपटने के लिए काफी नहीं है.
इस बीच यूरोपीय संघ के अध्यक्ष होजे मेनुएल बरोसो 
ने कहा है कि मौजूदा आर्थिक संकट के लिए यूरोप नहीं बल्कि उत्तरी अमरीका 
जिम्मेदार है. वहां कुछ इस तरह की वित्तीय व्यवस्थाओं को अपनाया गया जो सही
 नहीं थे. इसका असर यूरोप के वित्तीय क्षेत्र पर भी पड़ा है. लेकिन किसी को
 जिम्मेदार ठहराने की बजाए साथ मिलकर इस संकट से निपटने की जरुरत है."
घोषणापत्र
जी-20 सम्मेलन के लिए तैयार घोषणापत्र में यूरोप 
के बैंकों के कामकाज में सामंजस्य और राजस्व तालमेल स्थापित करने की 
कोशिशों की तारीफ की गई है. हालांकि घोषणापत्र में लगातार बढ़ रहे व्यापार 
संरक्षण पर चिंता भी जाहिर की गई है.
जी-20 की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब यूरोजोन 
में संकट है. विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 80 प्रतिशत हिस्सा जी-20 
देशों से आता है.
सम्मेलन के लिए अन्य देशों के नेता भी यूरोपीय 
देशों से आग्रह कर चुके हैं कि वे यूरोजोन संकट के हल के लिए हर संभव कदम 
उठाएँ. अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने धीमी होती आर्थिक विकास की गति पर 
चिंता जताई. जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल का कहना था कि यूरोप ये बताना 
चाहता है कि वो आर्थिक संकट से निपटने के कदम उठा रहा है.
राजग में फूट, शिवसेना व मेनका प्रणब के साथ
   नई दिल्ली। राष्ट्रपति पद के लिए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को समर्थन 
के मुद्दे पर राजग में फूट अब खुलकर सामने आ गई है। रविवार को राजग का 
महत्वपूर्ण घटक शिवसेना ने साफ कर दिया है कि वह राष्ट्रपति पद के लिए 
प्रणब मुखर्जी का समर्थन करेगी। वहीं भाजपा की नेता व पूर्व केंद्रीय 
मंत्री मेनका गांधी ने भी खुले तौर पर प्रणब मुखर्जी को अपने समर्थन का 
ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में उनसे बेहतर उम्मीदवार कोई
 और नहीं हो सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी प्रणव को 
राष्ट्रपति पद का सबसे योग्य उम्मीदवार मानते हुए समर्थन किया है।
 शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी यह बात खुलकर सामने आ गई है कि वह 
प्रणब दा को अपना समर्थन देगी। वहीं रविवार को प्रणब मुखर्जी ने शिवसेना 
प्रमुख बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। इस बातचीत में बाल 
ठाकरे ने प्रणब को पूर्ण समर्थन देने का वादा किया था। इस बीच मंगलवार को 
राजग की एक बार फिर राष्ट्रपति के मुद्दे पर बैठक होनी है। माना जा रहा है 
कि आज होने वाली इस बैठक में राजग किसी निर्णय पर पहुंच जाएगा। 
 शिवसेना और राजग में फूट का अंदेशा उसी वक्त हो गया था जब राजग की बैठक
 में शिवसेना ने आने से साफ इन्कार कर दिया था और मुंबई में राष्ट्रपति के 
मुद्दे पर अपनी अलग बैठक की थी। हालांकि इस मुद्दे पर दो तीन बार हुई बैठक 
के बाद भी राजग अभी तक इस बाबत कोई निर्णय नहीं कर पाया है। माना जा रहा है
 कि राजग के अन्य सहयोगी भी प्रणब मुखर्जी के नाम को ही समर्थन देने का मन 
बना चुके हैं। हालांकि इस मुद्दे पर राजग में एकराय नहीं है लिहाजा अभी तक 
किसी भी फैसले का ऐलान नहीं हो पाया है।
 इस बीच तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के रुख में काफी मान मनोवल 
के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। उनके इस गुस्से की वजह भी रविवार को 
तब सामने आ गई जब उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने बंगाल के लिए कुछ नहीं 
किया। इसका अर्थ साफ है कि कुछ दिन पहले तक बंगाल के लिए स्पेशल पैकेज और 
राष्ट्रपति चुनाव को अलग-अलग करने देखने का दावा करने वाली ममता बनर्जी 
वास्तव में क्या चाहती थीं। वह अब भी पीए संगमा के नाम की वकालत कर रही 
हैं। उनकी मंशा पूरी तरह से साफ है कि वह इस चुनाव में किसी भी सूरत से 
निर्विरोध निर्वाचन नहीं होने देना चाहती हैं। दरअसल वह अपने गुस्से से अब 
इतनी आगे निकल चुकी हैं कि उनके लिए वापस आ पाना नामुमकिन है। हालांकि जैसे
 जैसे प्रणब के नाम पर अन्य पार्टियों के समर्थन का ऐलान हो रहा है कि उससे
 उन्हें यह एहसास जरूर है कि प्रणब मुखर्जी के सामने कोई दूसरा उम्मीदवार 
अब टिक नहीं पाएगा। फिर भी वह उनके खिलाफ लड़ाई छेड़े हुए हैं। इस बीच राजग 
की मंगलवार को एक बार राष्ट्रपति के मुद्दे पर बैठक होगी जिसमें एक बार फिर
 किसी नाम पर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी।
 भाजपा की नेता मेनका गाधी ने सोमवार को नार्थ ब्लाक के बाहर पत्रकारों 
से बातचीत के दौरान कहा कि प्रणब मुखर्जी इस पद के लिए सबसे काबिल 
उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का चयन हमेशा ही सर्वसम्मति से 
होना चाहिए। हालांकि उन्होंने पार्टी किसको समर्थन देगी इस पर कुछ भी कहने 
से इन्कार कर दिया।
सोमवार, 18 जून 2012
चीनी यान अंतरिक्ष जा पहुंचा
    एक महिला सहित तीन यात्रियों को लेकर चीन का शनजो-9 नामक अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष पहुँच गया है.शनजो-9 चीन का चौथा अंतरितक्ष मिशन है जिसमें इतने
 इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है. इनकी शुरुआत वर्ष 2008 में हुई 
थी. चीन ने बीते साल इंसान रहित एक यान तियानगोंग-1 स्टेशन पर भेजा था. इसे
 रिमोट कंट्रोल से संचालित किया गया था.शिन्हुआ का कहना है कि ये चीन का अपनी तरह का पहला अंतरिक्ष अभियान है जिसमें इंसानों को भेजा जा रहा है.गोबी के रेगिस्तान से छोड़े गए गए इस यान पर सवार यात्री अंतरिक्ष में चीन के तैरते हुए स्टेशन तियांगोंग पर एक सप्ताह गुजारेंगें.चीन का यह अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी से क़रीब 335 किलोमीटर की ऊँचाई पर मौजूद है.
अच्छा आरंभ
   यान पर सवार होने के पहले तीनों अंतरिक्ष यात्रियों को कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्य लोगों और मीडीया के प्रतिनिधियों से मिलवाया गया.
मुस्कुराते, हाथ हिलाते इस दल के कमांडर जिंग 
हईपेंग ने कहा " हम आदेशों का पालन करेगें, शांत रहेगें और चीन के पहले 
इतने बड़े मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान को सफल बनाने का पूरा प्रयास करेगें."
जानकारी के अनुसार पृथ्वी से बाहर निकलने की बाद 
आठ मिनट बाद हे जहाज़ अपनी कक्षा में पहुँच गया. बताया जा रहा है कि यान की 
सभी प्रणालियाँ सही ढंग से काम कर रही हैं.इस दल के कमांडर कमांडर जिंग हईपेंग की यह दूसरी अंतरिक्ष यात्रा है पर उनके दोनों सहयात्रियों का अंतरिक्ष में पहला सफ़र है.इन दो में एक नाम लिउ येंग का है जो 33 वर्षीय हैं और पेशे से एयरफोर्स पायलट हैं.सरकारी प्रसारक सीसीटीवी के मुताबकि, लिउ येंग का 
कहना है, ''पहले दिन से ही मुझे कहा जा रहा है कि मैं पुरुष अंतरिक्ष 
यात्रियों से किसी तरह अलग नहीं हूं.''वे कहती हैं, ''मैं दृढ़ता में यकीन करती हूं. यदि आप दृढ़ हैं तो कामयाबी आपके कदम चूमती है.''
चौथा अंतरिक्ष अभियान
   शिन्हुआ ने लिउ येंग को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का 
एक वरिष्ठ पायलट बताते हुए लिखा है कि उन्हें अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए 
मई 2010 में चुना गया था.शनजो-9 चीन का चौथा अंतरितक्ष मिशन है जिसमें इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है. इनकी शुरुआत वर्ष 2008 में हुई थी.चीन ने बीते साल इंसान रहित एक यान तियानगोंग-1 स्टेशन पर भेजा था. इसे रिमोट कंट्रोल से संचालित किया गया था.
शिन्हुआ का कहना है कि ये चीन का अपनी तरह का पहला अंतरिक्ष अभियान है जिसमें इंसानों को भेजा जा रहा है.
पाकिस्तान में बढ़े फेसबुक के दीवाने
     पाकिस्तान में सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बीते छह महीनें में लगभग दस प्रतिशत बढ़ी है.दुनिया के 200 से ज्यादा देशों में सोशल मीडिया का
 इस्तेमाल करने वालों की गिनती करने वाली कंपनी सोशलबेकर्स के मुताबिक 
पाकिस्तान में 6,450,580 लोग फेसबुक से जुड़े हुए हैं.सोशलबेकर्स का ये भी कहना है कि बीते छह महीने में पाँच लाख बासठ हज़ार नए लोग फेसबुक पर आए.
मर्द आगे औरत पीछे
   पाकिस्तान की कुल आबादी 18 करोड़ है जहां लगभग 35 प्रतिशत लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.इस हिसाब से पाकिस्तान फेसबुक का इस्तेमाल करने 
वालों की सूची में दुनिया में 28वें स्थान पर है. अमरीका इस मामले में पहले
 पायदान पर है जहां 15.8 करोड़ लोग फेसबुक से जुड़े हैं. भारत में ये 
संख्या 4.8 करोड़ है.पाकिस्तान में फेसबुक पर जो लोग हैं, उनमें से 50 
प्रतिशत लोग 18-24 आयु-वर्ग के हैं. लगभग 69 प्रतिशत इस्तेमालकर्ता पुरुष 
हैं. यानी औरतें फेसबुक पर अपेक्षाकृत कम हैं.पाकिस्तान स्थित तमाम राजनीतिक पार्टियां, 
बहुराष्ट्रीय कंपनियां, यहां तक कि जमात-उद-दावा जैसे प्रतिबंधित गुट भी 
फेसबुक पर मौजूद हैं.
'मार्केटिंग टूल'
    जमात-उद-दावा के नेता हाफिज़ मोहम्मद सईद फेसबुक के जरिए संदेश देते हैं जहां उन्हें पसंद करने वालों की संख्या 861 है.पंजाब के पूर्व गर्वनर सलमान तासीर की हत्या के दोषी मुमताज़ कादरी के समर्थन में फेसबुक पर कई पन्ने हैं.क्रिकेट खिलाड़ी से नेता बने इमरान खान की 
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी फेसबुक पर बड़ी सक्रिय है, जहां वो अपनी 
राजनीतिक गतिविधियों की चर्चा करती है.पाकिस्तान में बहुराष्ट्रीय कंपनियां फेसबुक को 'मार्केटिंग टूल' की तरह इस्तेमाल कर रही हैं.शोध बताते हैं कि पाकिस्तान में गूगल के बाद फेसबुक को ही सबसे ज्यादा क्लिक मिलते हैं.वैसे पाकिस्तान में मिल्लत फेसबुक नामक एक सोशल नेटवर्किंग साइट भी है जिसे छह युवाओं ने मई 2010 में शुरु किया था.पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून बनाने के लिए फेसबुक पर विवादित पेज के जवाब में इसे खासतौर पर मुसलमानों के लिए बनाया गया था.
कलाम पर हो सकता है आज फैसला
   मुंबई। राष्ट्रपति पद के लिए होने वाला मुकाबला अब बेहद दिलचस्प होता 
दिखाई दे रहा है। सोमवार को इस मुद्दे पर शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस और 
भाजपा कोई न कोई फैसला ले सकती है। वहीं माना जा रहा है कि पूर्व 
राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी संवाददाता सम्मेलन बुला इस मामले में अपना
 रुख स्पष्ट कर सकते हैं। शिवसेना, ममता और संघ कलाम को लेकर एकराय दिख रहे
 हैं। ममता ने जयललिता से भी कलाम के पक्ष में आने को कहा है। उन्होंने पीए
 संगमा से कलाम के लिए दौड़ से हटने का आग्रह भी किया है। सोमवार को तृणमूल 
और भाजपा की अलग-अलग बैठकें होनी हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा कलाम के नाम का समर्थन करने से भाजपा 
के लिए राहें कुछ मुश्किल हो गई हैं। इसमें कोई दोराह नहीं है कि संघ की 
राय भाजपा की होने वाली बैठक में जरूर बहस का मुद्दा बनेगी। 
इससे पूर्व सूत्रों से खबर मिली थी कि शिवसेना प्रणब मुखर्जी को 
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर समर्थन दे सकती है। इस बीच संघ ने 
कहा है कि राष्ट्रपति पद के लिए कलाम ही सबसे बेहतर उम्मीदवार हैं। संघ का 
यह बयान उस वक्त आया है जब रविवार को हुई राजग की बैठक में इस मुद्दे पर 
कोई फैसला नहीं हो सका।
वहीं राष्ट्रपति पद के लिए ताल ठोकने वाले पीए संगमा ने शिवसेना प्रमुख 
से मिलने के लिए समय मांगा है। हालांकि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उन्हें
 अभी मुलाकात का कोई समय नहीं दिया है। सूत्रों के अनुसार शिवसेना का मानना
 है कि प्रणब के सामने खड़े होने लायक उनके या राजग के पास कोई उम्मीदवार 
नहीं है, लिहाजा उम्मीद जताई जा रही है कि वह प्रणब दा का समर्थन कर सकती 
है।
हालांकि खुद संगमा की पार्टी ही उन्हें इस पद पर उम्मीदवार के तौर पर 
नकार चुकी है। पार्टी ने यहां तक कह दिया है कि यदि वह अपनी बात पर अडिग 
रहे तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। लेकिन इसके 
बावजूद भी संगमा ने ऐलान किया है कि वह राष्ट्रपति पद की रेस में बने 
रहेंगे। शिवसेना द्वारा प्रणब को समर्थन की बात पर इसलिए भी विश्वास किया 
जा सकता है क्योंकि शिवसेना ने रविवार को हुई राजग की बैठक में आने से भी 
मना कर दिया था। वहीं राजग की कल हुई बैठक में किसी भी नाम पर कोई सहमति 
नहीं बन सकी। बैठक के बाद जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि इस मुद्दे पर 
अभी और बात होनी है। उन्होंने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी
 इस मुद्दे पर राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे, इसके 
अलावा कुछ अन्य पार्टियों से भी आडवाणी इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं।
इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तमिलनाडु की 
मुख्यमंत्री जयललिता से कलाम के पक्ष में समर्थन मांगा है। खबरें ऐसी भी 
हैं कि जयललिता ने उल्टे ममता से संगमा के नाम पर समर्थन मांग कर उन्हें 
असमंजस में डाल दिया है। ऐसे में अब राष्ट्रपति चुनाव बेहद दिलचस्प रूप 
लेता दिखाई दे रहा है। जहां लगभग सारा विपक्ष ही इस मुद्दे पर अपनी अपनी 
ढपली और अपना अपना राग अलाप रहा है ऐसे में प्रणब मुखर्जी की राह कितनी 
आसान होगी यह कह पाना अभी मुश्किल है। वहीं जनता दल यूनाइटेड के नीतिश 
कुमार भी इस मसले पर अपनी राय का सोमवार को खुलासा कर सकते हैं।
शुक्रवार, 15 जून 2012
राष्ट्रपति चुनाव: प्रणब मुखर्जी यूपीए के उम्मीदवार
    सत्तारूढ़ गठबंधन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने
 आखिरकार मौजूदा वित्तमंत्री और वरिष्ठ राजनीतिज्ञ प्रणब मुखर्जी को 
राष्ट्रपति पद के लिए अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर दिया है.
पिछले कई दिनों से चल रही राजनीतिक खींचतान और 
बयानबाजियों को विराम देते हुए यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने प्रणब 
मुखर्जी को अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया.
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प्रणब मुखर्जी के नाम की घोषणा करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी पाँच दशकों से राजनीति में हैं.
उन्होंने कहा कि वे सभी संसद सदस्यों और विधानसभाओं के सभी सदस्यों से अपील करती हैं कि वे प्रणब मुखर्जी को अपना समर्थन दें.
हालांकि अभी भी एक बड़ा सवाल ये है कि एपीजे 
अब्दुल कलाम की उम्मीदवारी पर अड़ी ममता बनर्जी का क्या होगा क्योंकि उनकी 
तृणमूल कांग्रेस यूपीए की अहम सहयोगी पार्टी है.
दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस पश्चिम बंगाल सरकार में शामिल है.
हालांकि ममता बनर्जी दावा करती रही हैं कि मुलायम 
सिंह यादव की समाजवादी पार्टी उनके साथ हैं लेकिन समाजवादी पार्टी से 
मिलेजुले संकेत आते रहे हैं.
इससे पहले विपक्षी गठबंधन एनडीए की भी बैठक हुई थी
 लेकिन इसमें उम्मीदवार के नाम पर कोई फ़ैसला नहीं हुआ. संभवत वे चाहते थे 
कि पहले यूपीए अपनी ओर से नाम घोषित करे तब वे कोई निर्णय लेंगे.
राजनीतिक खींचतान
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नाटकीय राजनीतिक 
घटनाक्रम की शुरुआत गत मंगलवार से हुई जब ममता बनर्जी दिल्ली पहुँचीं और 
आते ही मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की.
ममता बनर्जी ने जिस तरह से प्रणब और अंसारी के नाम जाहिर किए उससे कांग्रेस नाराज़ थी
इसके बाद बुधवार को सोनिया गांधी से मिलने के बाद 
ममता बनर्जी ने घोषणा कर दी कि कांग्रेस की ओर से प्रणब मुखर्जी पहले और 
हामिद अंसारी दूसरी पसंद हैं. इसके बाद वे एक बार फिर मुलायम सिंह से मिली 
और फिर शाम को दोनों नेताओं ने अपनी ओर से तीन नामों की घोषणा कर दी.
इनमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का नाम था.
अगली सुबह कांग्रेस ने ममता-मुलायम के तीनों नामों
 को खारिज कर दिया और कहा कि यूपीए की ओर से जल्दी ही अधिकृत उम्मीदवार की 
घोषणा की जाएगी.
लगभग विद्रोही तेवरों के साथ ममता बनर्जी शुक्रवार
 की सुबह तक एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर अड़ी हुईं थीं लेकिन समाजवादी 
पार्टी ने संकेत दे दिए थे कि वह आवश्यकता पड़ने पर कांग्रेस के साथ आ सकती
 है.
इससे पहले ख़बरें आईं थीं कि प्रणब मुखर्जी ने वामपंथी दलों के सदस्यों से फ़ोन पर चर्चा की है.
समझा जा रहा है कि वामपंथी दल प्रणब मुखर्जी को 
समर्थन देने के लिए राज़ी हो जाएँगे. हालांकि अभी सीपीआई के नेता डी राजा 
ने कहा है कि पार्टी विचार करने के बाद फैसला करेगी.
इस बीच जयललिता और नवीन पटनायक की ओर से राष्ट्रपति पद के घोषित उम्मीदवार पीए संगमा ने कहा है कि वे दौड़ में हैं.
एनडीएन का फैसला अभी नहीं
आडवाणी ने दो दिन पहले जयललिता से भी मुलाकात की थी
 शुक्रवार की दोपहर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण
 आडवाणी के दिल्ली स्थित आवास पर एनडीए की बैठक के बाद राष्ट्रपति पद के 
किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई.
बैठक के बाद आडवाणी ने कहा है कि एनडीए, 
राष्ट्रपति चुनाव पर जारी घटनाक्रम पर गहरी नजर रखेगी और दोबारा एक बैठक 
करेगी जिसमें चर्चा के लिए मुख्यमंत्रियों को भी बुलाया जा सकता है.
उन्होंने ये भी कहा कि वे तमाम गैर-कांग्रेसी 
पार्टियों के नेताओं के साथ बराबर सम्पर्क में रहेंगे. उन्होंने चुटकी लेते
 हुए कहा कि बैठक में इस बारे में भी चर्चा हुई कि वित्त मंत्री कोई और बन 
जाए तो अच्छा होगा.
वर्ष 1969 के राष्ट्रपति चुनाव से मौजूदा चुनाव की
 तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि आज जो सरकार है, उसमें इतना अविश्वास है 
जो उन्होंने इससे पहले किसी सरकार में नहीं देखा.
आडवाणी ने कहा कि वर्ष 1969 के राष्ट्रपति चुनाव 
में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पार्टी के
 अधिकृत उम्मीदवार को ही हरवाया दिया था.
कलाम 'हमारे' उम्मीदवार
इससे पहले समाजवादी पार्टी के नेता किरनमॉय नंदा 
की मौजूदगी में तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि राष्ट्रपति पद के 
लिए एपीजे अब्दुल कलाम ही हमारे उम्मीदवार हैं.
उन्होंने कहा, "कलाम ऐसे व्यक्ति हैं जो भारत का 
गौरव बढ़ा सकते हैं, इसलिए मैं सभी दलों से अपील करती हूं कि वे कलाम का 
समर्थन करें."
वहीं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी 
दोबारा राष्ट्रपति बनने में दिलचस्पी दिखाई है. उन्होंने कहा है कि कई 
राजनीतिक दलों ने इसके लिए उनसे सम्पर्क किया है.
कलाम ने कहा, ''मैं उनके विचारों का सम्मान करता हूं और सही समय पर फैसला लूंगा.''
प्रणब मुखर्जी का नाम सामने आने के बाद अब नजर उनके फैसले पर भी रहेगी.
आंध्र प्रदेश उपचुनाव: जगन मोहन की पार्टी की बड़ी जीत
  आंध्र प्रदेश में एक लोकसभा सीट और 18 विधानसभा सीटों 
पर हुए उपचुनावों में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने बड़ी जीत 
दर्ज की है.
वाईएसआर कांग्रेस ने 18 में से 15 सीटों पर और साथ
 ही नेल्लोर लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया है. दो सीटें कांग्रेस को और एक 
सीट तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीएसआर) को मिली है.
इनमें से 16 सीटें कांग्रेस के पास 
थीं लेकिन जगन मोहन की पार्टी में चले जाने के कारण विधायकों की सदस्या 
समाप्त हो गईं थीं. एक सीट प्रजाराज्यम पार्टी के नेता चिरंजीवी के 
राज्यसभा में चले जाने के कारण रिक्त हुई जबकि एक अन्य सीट पर प्रजाराज्यम 
की विधायक ने इस्तीफ़ा देकर वाईएसआर कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसके बाद राज्य
 में राजनीति बदलेगी और बहुत संभव है कि राज्य की कांग्रेस सरकार के लिए 
आने वाले दिन भारी गुज़रें.
जगन मोहन रेड्डी कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री 
वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे हैं. राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद 
मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज़ जगन मोहन ने बगावत करके अपनी पार्टी बना
 ली थी.
इसके बाद से उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का 
मामला चल रहा है और सीबीआई ने उन्हें गिरफ़्तार कर रखा है. फिलहाल वे 
न्यायिक हिरासत में जेल में हैं.
सहानुभूति
कहा जा रहा है कि ऐन चुनाव से पहले जगन मोहन रेड्डी की गिरफ़्तारी कांग्रेस को भारी पड़ी है और ये भारी जीत सहानुभूति का परिणाम है.
जगन मोहन रेड्डी का समर्थन आगे बढ़ने की संभावना है
 हालांकि वाईएसआर कांग्रेस के प्रति लोगों की सहानुभूति जगन मोहन की गिरफ़्तारी से पहले भी थी.
कुछ सीटों पर तो रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज हुई है.
नेल्लोर लोकसभा सीट पर भी वाईएसआर कांग्रेस के मेकापति राजमोहन रेड्डी जीत गए हैं.
ये सीट मेकापति राजमोहन रेड्डी के इस्तीफ़े से खाली हुई थी जब वे कांग्रेस छोड़कर वाईएसआर कांग्रेस में चले गए थे.
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के कार्यालय 45, जुबली हिल्स के बाहर जश्न का माहौल है.
पटाखे फोड़े जा रहे हैं और नारे लगाए जा रहे हैं.
आंध्र में तनाव
वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने निषेधाग्या का उल्लंघन करते हुए रैली निकलने और चंचलगुडा जेल के नज़दीक जमा होने की कोशिश की.
वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी इसी जेल में बंद हैं.
कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक 
बालों के जवानों तो तैनात कर दिया गया है और जेल की और जाने वाले तमाम 
रास्तों को बंद कर दिया गया है.
इस बीच पुलिस ने वाईएसआर कांग्रेस के नेता और 
पूर्व पार्षद अब्दुल रहमान को गिरफ़्तार कर लिया है क्योंकि उन्होंने 
पार्टी कार्यालय के बाहर जश्न के दौरान अपने रिवॉल्वर से हवा में गोली चल 
दी थी.
कलाम ही हैं हमारे उम्मीदवार: ममता बनर्जी
   समाजवादी पार्टी के नेता किरनमॉय नंदा की मौजूदगी में 
तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि राष्ट्रपति पद के लिए एपीजे अब्दुल
 कलाम ही हमारे उम्मीदवार हैं.उन्होंने कहा कि कलाम ऐसे व्यक्ति हैं जो भारत का 
गौरव बढ़ा सकते हैं, इसलिए मैं सभी दलों से अपील करती हूं कि वे कलाम का 
समर्थन करें.वहीं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल 
कलाम ने भी दोबारा राष्ट्रपति बनने में दिलचस्पी दिखाई है. उन्होंने कहा है
 कि कई राजनीतिक दलों ने इसके लिए उनसे सम्पर्क किया है.कलाम ने कहा, ''मैं उनके विचारों का सम्मान करता हूं और सही समय पर फैसला लूंगा.''इधर इस पूरे मुद्दे पर एनडीए की बैठक शुरु हो गई है. वहीं यूपीए ने शुक्रवार की शाम चार बजे अपने सहयोगी दलों की बैठक बुलाई है.राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पिछले दो दिनों से हुए 
तरह-तरह के जोड़-तोड़ के बाद तस्वीर शु्क्रवार शाम तक कुछ हद तक साफ होने 
की उम्मीद है.
पल-पल बदलते बयान
इसबीच समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव 
से मुलाकात के बाद पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने कहा है कि एपीजे अब्दुल 
कलाम ममता बनर्जी के उम्मीदवार हैं.उन्होंने ये भी कहा है कि समाजवादी पार्टी मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है और न ही वे सरकार में शामिल होना चाहते हैं.उधर राष्ट्रपति चुनाव में रोमांच का तड़का लगाने 
वाली तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने कहा है कि उन्हें यूपीए की 
बैठक में नहीं बुलाया गया है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया 
गांधी समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह से बैठक से पहले बातचीत करेंगी.दूसरी तरफ एनडीए के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि 
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम शुक्रवार दोपहर पटना में मुख्यमंत्री 
नीतीश कुमार के साथ भोजन कर रहे हैं.ममता बनर्जी ने गुरुवार शाम डॉक्टर कलाम को 
राष्ट्रपति पद की पहली पसंद बताया था और ख़बरों के अनुसार भारतीय जनता 
पार्टी को भी इन नाम से परहेज नहीं है. मगर अब तक इस बारे में बिहार में 
भाजपा की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड का रुख स्पष्ट नहीं था.ऐसे में नीतीश कुमार के साथ डॉक्टर कलाम के भोजन के बाद जनता दल (यू) की ओर से कोई संकेत मिलने की संभावना है.पिछले दो दिनों के बदलते हुए घटनाक्रम में ममता 
बनर्जी और मुलायम सिंह ने डॉक्टर कलाम के अलावा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 
और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का नाम बताया था.
तीनों नाम खारिज
"अब सबसे महत्वपूर्ण मुलायम सिंह का रुख है. वैसे ममता-मुलायम के रुख से कांग्रेस एकजुट हो गई है"
"वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक नीरजा चौधरी"
बाद में कांग्रेस ने तीनों नाम को खारिज कर दिया. 
कांग्रेस प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री 
बने रहेंगे और अन्य दोनों नाम पार्टी को स्वीकार नहीं हैं.यूपीए के घटक दलों की इस खींचतान के बीच भाजपा के 
वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी चेन्नई में मुख्यमंत्री जयललिता से मिले थे. 
आडवाणी ने इसे औपचारिक बातचीत बताया था और कहा था कि अंतिम फैसला शुक्रवार 
को होने वाली एनडीए की बैठक में किया जाएगा.गुरुवार शाम को ममता की फिर से मुलायम सिंह से 
बैठक हुई तो उससे पहले ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि पूर्व राष्ट्रपति 
कलाम उनकी पहली पसंद हैं.वैसे बैठक के बाद मुलायम सिंह और ममता एक साथ नजर 
नहीं आए इसलिए अब अटकलों का बाजार गर्म है कि मुलायम सिंह अपने रुख पर कायम
 हैं भी या दबाव में आकर वह कांग्रेस के पक्ष में जा सकते हैं.इस पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नीरजा 
चौधरी का कहना है, “अब सबसे महत्वपूर्ण मुलायम सिंह का रूख है. वैसे 
ममता-मुलायम के रूख से कांग्रेस एकजुट हो गई है.”
चुनाव सुनिश्चित
मुलायम और ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के लिए पहले तीन नाम सुझाए थेनीरजा चौधरी का यह भी मानना है कि अब राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव तय लग रहे हैं.उनका कहना था, “नीतीश कुमार के साथ शुक्रवार के 
लंच के बाद जेडीयू का रुख स्पष्ट हो जाएगा क्योंकि जेडीयू ने पहले कहा था 
कि वे कलाम के पक्ष में नहीं हैं.”नीरजा के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुलायम का रुख है और उनके रुख से बहुत कुछ तय हो जाएगा.नीरजा चौधरी का यह भी कहना था कि वैसे पूर्व 
राष्ट्रपति कलाम के ऊपर भी बहुत कुछ निर्भर करता है क्योंकि यह तो लग रहा 
है कि चुनाव होंगे लेकिन क्या कलाम प्रणब मुखर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ना 
चाहेंगे ये अब भी स्पष्ट नहीं है.
इससे पहले 2007 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी 
डॉक्टर कलाम का नाम कुछ पार्टियों ने उठाया था मगर तब भी उनकी ओर से संकेत 
दिया गया था कि अगर सर्वसम्मति होगी तभी वह राष्ट्रपति का दूसरा कार्यकाल 
चाहेंगे.
राष्ट्रपति चुनाव: सोशल साइट पर भी चढ़ा खुमार
नई दिल्ली, [सुशील अवस्थी "राजन"]। एक तरफ जहां राष्ट्रपति चुनाव को 
लेकर सियासी तापमान गर्माया हुआ है वहीं, सोशल नेटवर्किग साइट्स भी इससे 
अछूती नहीं रही हैं। सोशल साइट पर इस समय राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को 
लेकर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आई हुई है।
कई लोग राष्ट्रपति चुनाव पर इतना ज्यादा तवज्जो दिए जाने का गलत मानते 
हैं। एक ने अपने ट्विट पर लिखा है कि भारतीय राष्ट्रपति सिर्फ नाम को होता 
है, इसलिए पर इतनी खींचतान बेमानी है। एक अन्य ट्विटर ने राष्ट्रपति को 
कठपुतली की संज्ञा देते हुए लिखा है कि इस पद पर किसी को भी बिठा दो कोई 
फर्क नहीं पड़ने वाला, क्योंकि महामहिम को तो वही करना होगा, जो केंद्र 
सरकार चाहेगी। एक ने दो कदम आगे जाते हुए ट्विट में ममता की तुलना विजय 
माल्या से कर दी, जैसे माल्या के लिए उनका ब्रांड नंबर वन वैसे ममता की नजर
 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम।
वहीं, फेसबुक पर उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया पर टिप्पणी करते हुए इसे 
व्यर्थ की मैराथन बताया है। एक प्रतिक्रिया में कहा गया है कि राष्ट्रपति 
पद के उम्मीदवार को चुनने में पार्टियां जितना वक्त लगा रही है, उतने वक्त 
में केन्या का धावक दल समुद्री रास्ते से भारतीय सरजमीं पर पहुंच जाएगा।
वहीं एक ने अपनी प्रतिक्रिया में इसकी तुलना द्रोपदी के स्वयंवर से करते
 हुए लिखा है कि इतना समय तो द्रोपदी ने भी अपने स्वयंवर की शर्त चुनने में
 नहीं लगाया होगा। वहीं, कुछ ने अपनी पहली पसंद पूर्व राष्ट्रपति कलाम को 
बताया है।
गुरुवार, 14 जून 2012
राष्ट्रपति चुनाव: कलाम राजी, ममता ने दी अग्रिम बधाई
    नई दिल्ली। राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर चल रही राजनीतिक गतिविधियों 
में शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के बतौर उम्मीदवार रुचि 
दिखाने से दिलचस्प मोड़ आ गया है। राष्ट्रपति के लिए सबसे पहले ममता और 
मुलायम कलाम के नाम का प्रस्ताव किया था। आज कलाम से जब इसके बारे में पूछा
 गया तो उन्होंने कहा कि यह अच्छा प्रस्ताव है तथा इसपर वे सही समय आने पर 
फैसला करेंगे।
उन्होंने दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित करने के लिए 
राजनीतिक दलों का आभार जताया। कलाम के इस वक्तव्य का ममता बनर्जी ने स्वागत
 करते हुए उन्हें अग्रिम बधाई दे डाली। ममता ने कहा कि इस मामले पर अभी भी 
मुलायम उनके साथ हैं।
दिलचस्प हो सकता है मुकाबला
अभी तक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का नाम सिर्फ राजनीतिक दलों या 
नेताओं द्वारा व्यक्तिगत रूप से उठाया जा रहा था। इस पर कलाम पूरी तरह मौन 
थे। अब चूंकि उन्होंने कह दिया है कि सही समय आने पर वे फैसला लेंगे तो 
कांग्रेस के लिए प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बना पान उतना आसान नहीं रह 
जाएगा। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर कलाम का नाम का प्रस्ताव करने
 वाली ममता केंद्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। सपा और राष्ट्रवादी 
कांग्रेस पार्टी का स्टैंड अभी भी स्पष्ट नहीं है। भाजपा ने पहले ही कह 
दिया है कि वह कलाम के नाम का समर्थन करेगी।
इसी मसले पर आपसी सहमति बनाने के लिए यूपीए ने आज सहयोगी दलों की बैठक 
बुलाई है। सूत्रों के अनुसार आज शाम चार बजे प्रधानमंत्री आवास पर यूपीए 
सहयोगी दलों की बैठक है जिसके बाद वे उपने उम्मीदवार की घोषणा करेंगे।
भाजपा नीत एनडीए भी इस मामले पर सक्रिय हो गई है। एनडीए ने भी 
राष्ट्रपति चुनाव के मद्देजर आज बैठक बुलाई है। इससे पहले भाजपा ने गुरुवार
 को ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर कलाम का 
नाम आता है तो वे इसका समर्थन करेंगे। गुरुवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल
 कृष्ण आडवाणी ने तमिलनाडू की मुख्यमंत्री जयललिता से मुलाकात की।
सबसे संदेहास्पद स्थिति यूपीए को बाहर से समर्थन दे रहे सपा प्रमुख 
मुलायम सिंह यादव की है। दो दिन पहले तो उन्होंने तृणमूल सुप्रीमो ममता 
बनर्जी के साथ कांग्रेस के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को 
खारिज करते हुए कलाम के नाम का प्रस्ताव किया था। दूसरी तरफ उनके छोटे भाई 
राम गोपाल यादव ने प्रणव की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। आज जबकि इस 
मामले पर यूपीए की अहम बैठक होने वाली है मुलायम ने लखनऊ की राह पकड़ ली है।
 इसी बीच राम गोपाल यादव ने आज कहा है कि न तो सपा यूपीए सरकार में शामिल 
होगी न ही वह देश पर मध्यावधि चुनाव के पक्ष में है।
"गैरों पे करम अपनों पे सितम...."
     पाकिस्तान इन दिनों भारी बिजली संकट का सामना कर रहा 
है और कई घंटों की बिजली की कटौती ने लोगों को विरोध प्रदर्शन करने पर 
मजबूर कर दिया है.लेकिन पंजाब के ज़िले चकवाल में एक ऐसा गाँव है जहाँ के निवासी बिजली की भारी कटौती से बहुत ज़्यादा प्रभावित नहीं होते हैं.कारण यह है कि यह गाँव भारत के 
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पैतृक गाँव है और इसी गाँव में उनका जन्म हुआ 
था और वहीं उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की.वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद जब मनमोहन 
सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो उसके बाद से पाकिस्तान के छोटे से 
गाँव ‘गाह’ के लोगों पर किस्मत की देवी महरबान हो गई.यूनियन काउंसिल के सदस्य रह चुके आशिक़ हुसैन ने 
बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा, “पाकिस्तानी सरकार ने अपने संसाधनों के 
मुताबिक़ थोड़ा बहुत काम किया है और अगर मनमोहन सिंह इस गाँव के न होते तो 
शायद इस गाँव में चौड़ी सड़क और बड़ी इमारतें न होतीं.”
गाह बना आदर्श गाँव
पूर्व सैन्य शासक परवेज़ मुशर्रफ़ की सरकार ने 
चकवाल के छोटे से गाँव गाह को ‘मॉडल विलेज’ यानी आदर्श गाँव का दर्जा दिया 
था और चकवाल शहर से उस गाँव तक बड़ी चौड़ी सड़क का निर्माण किया गया था.साथ ही सरकार ने एक कम्युनिटी सेन्टर, प्राथमिक और
 हाई स्कूल का निर्माण करवाया, गाँव की गलियों को पक्का किरवाया और पीने के
 साफ़ पानी की परियोजना सहित कई बुनियादी सुविधाएँ दीं.
मनमोहन सिंह को पत्र
"2004 के बाद हम लगातार उनके साथ ख़तोकिताबत कर रहे हैं और एक दूसरे को पत्र लिख रहे हैं. हमने उनको अपने गाँव आने का न्योता भी दिया और जब हमारे चाचा राजा मोहम्मद अली भारत गए थे तो उन्होंने उनको काफी वक़्त दिया था"
आशिक़ हुसैन, गाह निवासी
मनमोहन सिंह के बचपन के मित्र 78 वर्षीय राजा 
मोहम्मद अली ने जब उनको प्रधानमंत्री बनने पर मुबारकबाद के संदेश भेजा तो 
उसके बाद से मनमोहन सिंह का गाँव से संपर्क स्थापित हुआ.आशिक हुसैन कहते हैं, “2004 के बाद हम लगातार उनके
 साथ ख़तोकिताबत कर रहे हैं और एक दूसरे को पत्र लिख रहे हैं. हमने उनको 
अपने गाँव आने का न्योता भी दिया और जब हमारे चाचा राजा मोहम्मद अली भारत 
गए थे तो उन्होंने उनको काफी वक़्त दिया था.”27 सितंबर 2010 को राजा मोहम्मद अली का निधन हो गया और आशिक के मुताबिक़ मनमोहन सिंह ने गाँव वालों को संवेदना का संदेश भेजा था.आशिक हुसैन का कहना है कि गाह एक छोटा सा गाँव है 
लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की वजह से उसको पूरी दुनिया में 
जाना जाता है और इसमें तमाम बुनियादी सुविधाएँ मौजूद हैं.उनके मुताबिक़ कुछ साल पहले प्रधानमंत्री मनमोहन 
सिंह के निर्देशों पर ‘दी एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट’ के अधिकारियों 
ने गाह का दौरा किया था और लोगों से पूछा कि उन्हें क्या समस्या है भारत 
सरकार पूरा करने की कोशिश करेगी.
सौर ऊर्जा पेनल
उन्होंने बताया कि गाँव में 50 करीब के ऐसे घर थे 
जहाँ बिजली की सुविधा नहीं थी और लोगों काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता 
था और लोगों ने बिजली की माँग की थी.
गाँव की गलियाँ पक्की हैं और उसमें स्ट्रीट लाईट्स भी लगी हुई है
उसके बाद टाटा बीपी सोलर कंपनी के कुछ इंजीनियर 
गाँव में आए और उन्होंने 51 घरों में सोलर पैनल यानी सौर ऊर्जा से बिजली 
पैदा करने वाले पैनल लगाए और गाँव की गलियों में करीब 16 स्ट्रीट लाइट्स भी
 लगाई जो सौर ऊर्जा से चलती हैं.इंजीनियरों ने सौर ऊर्जा से चलने वाले गीज़र्स भी 
लगाए हैं क्योंकि सर्दियों के मौसम में गाँव वालों को गरम पानी मिलने में 
मुश्किलें आती थीं, साथ ही दो बायो-गैस के प्लांट भी लगाए गए थे.गाँव के एक निवासी आसिफ़ सौर ऊर्जा से बननी वाली 
बिजली से बहुत ख़श हैं और कहते हैं कि अगर वह न होती तो उन्हें काफी 
दिक्कतों का सामना करना पड़ता.उन्होंने कहा, “भारत के प्रधानमंत्री हमारे गाँव 
के हैं और इसी को देखते हुए भारतीय सरकार ने यह हमें तोहफा दिया है. हम 
भारतीय सरकार के शुक्रगुज़ार हैं.”पाकिस्तान में इन दिनों बिजली की भारी कटौती हो रही है और कई इलाकों में 15 के 16 घंटे बिजली नहीं आती.अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान में 10 हज़ार मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है जबकि मांग 16 हज़ार की है.पंजाब प्रांत बिजली की कटौती से सब से ज़्यादा प्रभावित है और कई शाहरों में सरकार के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन भी रहे हैं.
मनमोहन सिंह को दुआएँ
आसिफ कहते हैं कि मनमोहन सिंह की वजह से उनके गाँव
 वालों को वह दिन नहीं देखने पड़ रहे हैं और वह बिजली के लिए विरोध 
प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं.एक ओर गाह निवासी यूसुफ ने बताया कि जब उनके घर 
में सोलर पैनल नहीं लगे हुए थे तो वह जेनरेटर की मदद से अपने घर को रोशन 
रखते थे जो काफी मंहगा था लेकिन जबसे सोलर पैनल लगे हैं, उनका काफी पैसा बच
 रहा है.वह कहते हैं, “अब हम रात को टीवी पर ख़बरें देखते 
हैं, अपने मोबाइल चार्ज करते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे घर में 
रोशनी होती है.”अपने घर में बिजली की वजह से यूसुफ़ बहुत ख़ुश हैं
 और उन्होंने मनमोहन सिंह को दुआएँ दी और कहा कि जब वह गाह आएँ तो वह उनका 
गर्मजोशी के साथ स्वागत करेंगे.आशिक़ हुसैन का कहना है कि कुछ दिने पहले उन्हें 
टाटा बीपी सोलर कंपनी के एक व्यक्ति का फोन आया था और उन्होंने कहा कि वे 
कुछ हफ्तों में गाँव का दौरा करेंगे और सोलर पैनल की मरम्मत करेंगे. 
राष्ट्रपति चुनाव की गुत्थी और उलझी
   नई दिल्ली। कौन बनेगा अगला  राष्ट्रपति, यह मामला लगातार पेचीदा होता जा
 रहा है। मुलायम सिंह यादव और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कल 
प्रणव मुखर्जी के नाम को खारिज कर दिए जाने के बाद गुरुवार को दिन भर 
राजनीतिक गतिविधियां तेज रहीं। यह अलग बात है कि इन सबके बावजूद अभी भी यह 
स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सरकार की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन 
होगा। ताजा घटनाक्रम में जहां मुलायम सिंह ने कहा है कि वे इस मामले पर 
एनडीए के साथ नहीं जाएंगे वहीं लेफ्ट के नेता तथा प. बंगाल के पूर्व मुख्य 
मंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने फोन पर प्रणव मुखर्जी से बात की है। इसी बीच
 प्रणव मुखर्जी ने कहा है राष्ट्रपति उम्मीदवार का फैसला जल्द ही कर लिया 
जाएगा।
 इन सब के बावजूद कांग्रेस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रणव 
मुखर्जी को पेश करने का फैसला कर चुकी है। मुखर्जी के नाम की घोषणा 
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जल्द ही कर सकती है। इस मसले पर मोर्चा 
सोनिया ने संभाल लिया है तथा सहयोगी दलों तथा मंत्रिमंडल के प्रमुख 
मंत्रियों से अपने आवास दस जनपथ पर विचार-विमर्श कर चुकी हैं। ऐसी भी 
संभावना व्यक्त की जा रही है कि आज बुलाई गई कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक के
 बाद प्रणव के नाम की घोषणा हो सकती है।
तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर यदि यूपीए के अन्य सहयोगी दलों की बात करें तो
 ममता को छोड़ अधिकतर प्रणव के साथ हैं। लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान,
 डीएमके नेता टीआर बालू सभी ने प्रणव के नाम पर सहमति जता दी है।
पहले भी प्रणव के नाम पर मुलायम केविरोध को कांग्रेस बहुत गंभीरता से 
इसलिए भी नहीं ले रही थी क्योंकि मुलायम के भाई राम गोपाल ने कहा था कि 
प्रणव मुखर्जी में वे सारे गुण मौजूद हैं जो एक राष्ट्रपति के उम्मीदवार 
में होना चाहिए। प्रणव के प्रति रामगोपाल की नरमी को संकेत के रूप में माना
 जा रहा है कि अंत में सपा प्रणव के नाम मान सकती।
दिलचस्प हो सकता है मामला
इन सब के बावजूद कांग्रेस के लिए अभी भी अपने राष्ट्रपति के उम्मीदवार 
को जीता पाना उतना आसान नहीं होगा। मुलायम और ममता द्वारा प्रस्तावित तीन 
नामों में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का भी नाम है। यदि कलाम इसके लिए 
सहमत हो जाते हैं तो राष्ट्रपति चुनाव का मामला काफी रोचक हो सकता है 
क्योंकि भाजपा पहले ही कह चुकी है कि यदि कलाम इसके लिए सहमत हो जाते हैं 
तो वह भी उनका समर्थन करेगी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने इस सिलसिले में तमिलनाडू की 
मुख्यमंत्री जयललिता से मुलाकात की। भाजपा नीत एनडीए गठबंधन ने इस मामले पर
 विचार करने केलिए शुक्रवार को बैठक बुलाई है। हालांकि जयललिता ने इस मामले
 पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
हालांकि राष्ट्रपति चुनाव के सवाल पर संप्रग का कुनबा बिखरता दिख रहा 
है। ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव के नए पैंतरे से कांग्रेस के लिए अपनी
 पसंद का राष्ट्रपति बनाना तो मुश्किल हो ही गया है, मनमोहन सरकार के 
भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से सुझाए गए प्रणब मुखर्जी और 
हामिद अंसारी के नामों को ममता और मुलायम ने खारिज कर प्रधानमंत्री मनमोहन 
सिंह समेत तीन नाम बतौर राष्ट्रपति दावेदार पेश कर केंद्र की सियासत में 
बड़े उलटफेर की बुनियाद रख दी। 
सोनिया से मुलाकात के बाद ममता ने मुलायम के साथ बैठक कर एपीजे अब्दुल 
कलाम, मनमोहन सिंह और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के लिए सभी दलों 
से समर्थन मांग कर न सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव को उलझा दिया, बल्कि सरकार को 
बुरी तरह फंसा दिया है। अब मैदान में पांच नाम हैं और पूरे घटनाक्रम से 
स्तब्ध कांग्रेस को उबरने में कई घंटे लग गए।
सोनिया के बुलावे पर मंगलवार को कोलकाता से दिल्ली आई ममता ने एयरपोर्ट 
से सीधे मुलायम के घर जाकर ही नए समीकरणों के संकेत दे दिए थे। बुधवार को 
10 जनपथ में सोनिया के साथ करीब एक घंटे की बैठक के बाद बाहर आई ममता ने 
पहली बार कांग्रेस की तरफ से राष्ट्रपति के उम्मीदवारों के नामों का खुलासा
 किया।
ममता ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रणब को पहली और हामिद अंसारी को
 दूसरी पसंद बताया है। 10, जनपथ से ममता सीधे 16, अशोक रोड पहुंचीं और 
मुलायम से करीब 50 मिनट की गुफ्तगू के बाद दोनों ने संयुक्त प्रेसवार्ता कर
 राष्ट्रपति चुनाव का पूरा गणित ही बदल दिया। मुलायम ने ममता के साथ कलाम, 
मनमोहन और सोमनाथ के नाम पेश कर सबको चौंका दिया। कांग्रेस खेमा भी हतप्रभ 
था, क्योंकि अभी तक मुलायम को प्रणब के पक्ष में माना जा रहा था।
ममता भी बंगाली राष्ट्रपति का इतना मुखर विरोध करेंगी, इसका भी किसी को 
अंदाजा नहीं था। इन हालात में पूर्व राष्ट्रपति कलाम जहां मजबूत उम्मीदवार 
बनकर उभरे हैं, वहीं मनमोहन को राष्ट्रपति पद के लिए प्रस्तावित करना एक 
तरह से संप्रग के मौजूदा नेतृत्व में अविश्वास जताने जैसा भी है। अगर 
प्रधानमंत्री को उम्मीदवार बनाना है तो पहले उन्हें अपने पद से इस्तीफा 
देना होगा। इसका मतलब होगा संप्रग सरकार में बड़ा परिवर्तन करना, जिसके 
सियासी मायने बेहद गंभीर हैं। 
ध्यान रहे कि सपा-तृणमूल के पास राष्ट्रपति चुनाव के 10 फीसदी से ज्यादा
 वोट हैं। इनके बगैर कांग्रेस के लिए अपना राष्ट्रपति बनाना बहुत मुश्किल 
होगा। इतना ही नहीं, केंद्र में भी इन दोनों दलों के समर्थन के बगैर मनमोहन
 सरकार का बचना भी मुश्किल हो जाएगा। वास्तव में राष्ट्रपति चुनाव के 
मुद्दे पर अपनी ताकत दिखाकर इन दोनों दलों ने यही संकेत भी दिए हैं। 
अभी तक कांग्रेस यह दिखाती रही थी कि यदि ममता साथ नहीं आई तो मुलायम 
उसके साथ आने को तैयार बैठे हैं। मगर इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस का भ्रम 
टूट गया है।
बाद में प्रधानमंत्री के साथ बैठक में न जाने से जुड़े एक सवाल पर ममता 
ने कहा, पीएम बुलाएं तो मुख्यमंत्री मिलने से मना नहीं करता है। लेकिन 
राष्ट्रपति के मुद्दे को [पं. बंगाल] पैकेज से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। 
दरअसल, वह यह संदेश देना नहीं चाहती थीं कि महज वित्तीय पैकेज के लिए वह 
मोल-भाव कर रही हैं। माना जा रहा है कि गुरुवार को उनकी प्रधानमंत्री के 
साथ औपचारिक मुलाकात हो सकती है।
बुधवार, 13 जून 2012
छेड़छाड़ के आरोपी को गंजा कर गंगा स्नान की सजा
   टीकमगढ़। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ 
जिले में छेड़छाड़ के एक आरोपी को पंचायत द्वारा सिर मुड़ाने और गंगा स्नान
 करने की सजा दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है। पंचायत ने आरोपी को इस 
सजा के बाद दोषमुक्त करार दे दिया है। 
टीकमगढ़
 जिले के सिमराखुर्द गांव में मंदिर के पुजारी महेन्द्र ने सात वर्षीय 
बालिका से छेड़छाड़ की थी। बालिका की शिकायत पर मामला गांव की पंचायत में 
पहुंचा। पंचायत ने आरोपी को मुंडन कराने और गंगा स्नान करने की सजा सुनाई, 
साथ ही प्रायश्चित के लिए भागवत कथा कराने का फरमान दिया। पंचायत के फैसले 
के आधार पर आरोपी महेंद्र ने अपने परिवार के साथ मुंडन कराया और गंगा स्नान
 किया, और अब वह भागवत कथा भी कराने वाला है। 
लेकिन
 भागवत कथा कराने से पहले महेंद्र ने पीड़ित बालिका के परिजनों को धमकाया 
और जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद पीड़िता के परिजनों ने मंगलवार को 
पुलिस अधीक्षक दीपक वर्मा से शिकायत की। पीड़ित परिजनों की शिकायत पर पुलिस
 अधीक्षक वर्मा ने जतारा थाना प्रभारी को मामले की जांच कर आरोपियों के 
खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
क्या ये मुलायम और ममता का कांग्रेस से ‘बदला’ है?
महत्वपूर्ण 
बात ये है कि जिन ममता बनर्जी ने आज सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद 
पत्रकारों को राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष की पसंद बता दी, एक ही
 घंटे बाद उस पसंद को खारिज भी कर दिया। इस सोनिया का अब तक का सबसे बड़ा 
सियासी अपमान माना जा रहा है। यही नहीं ममता और मुलायम सिंह ने जिस तरह 
राष्ट्रपति पद पर प्रणब मुखर्जी की दावेदारी खारिज कर दी उसने भी सबको 
हैरान कर दिया है। कांग्रेस पर इसपर कुछ बोलते नहीं बन रहा। पार्टी 
प्रवक्ता राशिद अल्वी का कहना है कि वो इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलेंगे और 
बातचीत जारी है।
राजनीतिक पंडित जानते 
हैं कि ममता प्रणब मुखर्जी को बहुत ज्यादा पसंद नहीं करतीं लेकिन ममता इसके
 लिए इस हद तक जाएंगी कि उनकी दावेदारी के बीच दीवार बनकर खड़ी हो जाएंगी 
ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता था। हैरानी इससे भी है कि अगर ममता को प्रणब वाकई
 पसंद नहीं थे तो उन्होंने प्रणब को सार्वजनिक रूप से सोनिया की पसंद कैसे 
बता दिया। क्या वो सोनिया को नीचा दिखाना चाहती थीं? अगर हां तो क्यों? 
हैरानी भरी बात ये भी है कि मुलायम सिंह इस मुद्दे पर ममता बनर्जी के साथ 
कैसे आ गए? क्या कुछ दिन पूर्व यूपीए सरकार के तीन साल पूरे होने पर आयोजित
 डिनर में मुलायम की यूपीए से करीबी महज दिखावा थी।
माना
 जा रहा है कि मुलायम सिंह कांग्रेस से खासे आहत हैं। वो इस बात को अब तक 
नहीं भूले हैं जब उन्होंने अपने दम पर परमाणु करार के वक्त मनमोहन की सरकार
 बचाई थी लेकिन सरकार बचते ही यूपीए और कांग्रेस ने उन्हें हाशिये पर धकेल 
दिया था। मुलायम आज यूपी में सबसे बड़ी ताकत हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में 
ऐतिहासिक जीत मिलने से पहले जब वे विपक्ष में थे तो कांग्रेस ने उन्हें खुद
 से दूर ही रखा। मुलायम यूपीए पार्ट-2 में सरकार का हिस्सा बनना चाहते थे 
लेकिन तब भी कांग्रेस उनसे दूर ही रही और मुलायम मनमोहन सरकार को बाहर से 
समर्थन देते रहे। आज जब यूपीए सरकार को जिंदा रहने के लिए मुलायम के समर्थन
 की जरूरत है तो कांग्रेस उनसे पींगे बढ़ा रही है। संभव है कि मुलायम सिंह 
कांग्रेस के इसी बर्ताव को याद रख उसे सबक सिखाने में ये मौका हाथ से नहीं 
जाने देना चाहते हों।
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