सेना की दिल्ली कूच की भ्रामक खबर प्रकाशित कराकर देश में राजनीतिक भूचाल लाने की नाकाम साजिश के पीछे केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का हाथ है। ब्रिटिश अखबार 'संडे गार्जियन' ने यह दावा किया है। देश की राजधानी से प्रकाशित एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक ने चार अप्रैल के अंक में सैन्य कूच की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उसमें दावा किया गया था कि सरकार को बगैर सूचित किए 16 जनवरी की रात सेना की टुकड़ियां दिल्ली की ओर कूच की थीं। वरिष्ठ मंत्री द्वारा फैलाई गई इस खबर के पीछे उनके एक करीबी रिश्तेदार का रक्षा सौदा लॉबी से जुड़ा होना है। यह लॉबी सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह के खिलाफ है।
इस भ्रामक रिपोर्ट का मकसद जनरल सिंह को मिल रहे राजनीतिक समर्थन को समाप्त करना था। ऐसा सोची समझी साजिश के तहत किया गया था क्योंकि ऐसी खबर आने के बाद अपेक्षा की गई थी कि पाकिस्तान की तर्ज पर तख्तापलट के किसी भी प्रयास को नाकाम करने के लिए सभी नेता एकजुट हो जाएंगे। यह आकलन तब गलत हो गया जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सेना की निष्ठा पर पूरा भरोसा जताते हुए इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया। माना यह जा रहा था कि सेना प्रमुख से तनावपूर्ण रिश्ते को लेकर दोनों प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इंकार करेंगे।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मंत्री का वह रिश्तेदार हथियार लाबिस्ट व व्यापारियों से लगातार बैठकें करने को लेकर भी सवालों के घेरे में है। इन बैठकों के लिए वह कई विदेश यात्राएं कर चुका है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हथियार सौदागरों का संजाल बहुत बड़ा है। ये दुबई, लंदन, और बैंकाक में पार्टियों का आयोजन करते हैं। वहां वे भारत के वीवीआइपी अतिथियों को सत्कार करते हैं। इसके बदले ये उनसे अपने हितों की रक्षा कराना सुनिश्चित कराते हैं। इसमें पैसों सहित 'हनीट्रैपिंग' तक का खेल होता है। बदले में ये वीवीआइपी सरकार की गोपनीय जानकारियां उन्हें उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में उनका मंत्री के रिश्तेदार से जुड़ा होना बहुत चिंता की बात है। सूत्रों के अनुसार जो मंत्री सवालों के घेरे में हैं वह उन वरिष्ठ पत्रकारों को अच्छी तरह जानते हैं जिन्होंने यह भ्रामक खबर प्रकाशित की।
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