विशाखापत्तनम। आईएनएस चक्र परमाणु पनडुब्बी के पानी में उतरते ही भारतीय नौ सेना दुनिया की उन चुनिंदा सेनाओं में शामिल हो गई जो नाभिकीय पनडुब्बियों के सहारे सागर की गहराइयों में दबदबा रखती हैं।
इस मौके पर केंद्रीय रक्षा मंत्री एके एंटनी मौजूद थे। उन्होंने आईएनएस चक्र को भारतीय सेना में शामिल करने पर खुशी जाहिर की। पनडुब्बी को देश को समर्पित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आईएनएस चक्र देश की सुरक्षा और संप्रभुता सुनिश्चित करेगा उन्होंने कहा कि इससे देश की नौसेना की ताकत में इजाफा होगा।
'आइएनएस चक्र' की नेम प्लेट से सजी यह पनडुब्बी एक बार में तीन महीने से अधिक समय तक पानी के अंदर रहने में सक्षम है और पोतभेदी मिसाइलों एवं सतह से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों से लैस है। इसे रूस से दस साल की लीज पर लिया गया है। लंबे इंतजार के बाद आई यह पनडुब्बी जनवरी, 2012 में रूस से भारत को सौंपी गई थी।
विशाखापत्तनम में आयोजित समारोह में बुधवार को इसे विधिवत नौ सेना के बेड़े का हिस्सा बनाया जाएगा। महत्वपूर्ण है कि स्वदेशी नाभिकीय पनडुब्बी 'आइएनएस अरिहंत' के भी समुद्री परीक्षण चल रहे हैं। यह 2014 में नौ सेना का हिस्सा बन जाएगी। वैसे भारतीय नौ सेना 1967 से पनडुब्बियों के साथ अपने सैन्य अभियानों का संचालन कर रही है। उसके पास आइएनएस फॉक्सट्रॉट और किलो श्रेणी [दोनों रूसी मूल की] एवं 209 श्रेणी [जर्मन मूल] की पनडुब्बियों का बेड़ा है।
1998 में रूस तीन साल के लिए आइएनएस चक्र श्रेणी की नाभिकीय ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी का अनुभव लेने के लिए रूस से इसे लीज पर लेने का करार हुआ था। आइएनएस चक्र की आमद भारत को अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन के क्लब का सदस्य बना देगी जो नाभिकीय रिएक्टर आधारित पनडुब्बियों की ताकत रखते हैं।
कुछ खास है
आइएनएस चक्र का वजन-8140 टन
पनडुब्बी की लंबाई-110 मीटर
समुद्र में इसकी रफ्तार-43 किमी प्रति घंटा
जब हुआ था हादसा:-
वर्ष 2008 में अग्निशमन प्रणाली में गड़बड़ी के कारण इस पनडुब्बी में विषैली गैसों के रिसाव से आग लगने से 20 लोगों की मौत हो गई थी। रूस ने इसे सुधारने के बाद भारत को सौंपा है। इसे यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन से 90 करोड़ डॉलर से ज्यादा की अनुबंध राशि पर लिया है।
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