वाशिगटन। अमेरिका के दो विद्वानों का मानना है कि भारत द्वारा हाल ही
में किए गए अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण की अमेरिका द्वारा आलोचना नहीं किए
जाने से पता चलता है कि वह चीन जैसी उभरती सामरिक शक्ति की चुनौतियों का
मुकाबला करने के भारत के प्रयासों से खुश है।
थिंकटैंक हैरिटेज फाउंडेशन में दक्षिण एशियाई मामलों की वरिष्ठ रिसर्च
फेलो लीजा कर्टिस और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में रिसर्च फेलो बेकर स्प्रिंग
ने कहा, अमेरिका, परमाणु और मिसाइल के क्षेत्र में भारत की प्रगति को लेकर
सहज महसूस करता है। दोनों ने कहा कि लंबी दूरी अग्नि-5 का सफल परीक्षण
क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन के खिलाफ परमाणु क्षेत्र में मुकाबला करने की
दिशा में नई दिल्ली का एक बड़ा कदम है। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम
लंबी दूरी के अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण की किसी भी देश ने आलोचना नहीं की
है। कर्टिस और स्पि्रंग ने कहा कि परीक्षण के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय
ने सभी परमाणु संपन्न देशों से संयम बरतने का आह्वान किया। उसने इस बात की
ओर भी ध्यान दिलाया कि परमाणु अप्रसार को लेकर भारत का रिकॉर्ड शानदार रहा
है। उन्होंने कहा, वाशिगटन का यह रुख पिछली सदी के आखिरी दशक में भारतीय
बैलिस्टिक मिसाइल विकास पर रहे उसके रुख से बिल्कुल विपरीत है। उस समय
वाशिगटन ने परमाणु और मिसाइल को लेकर भारत के रुख में बदलाव के लिए नई
दिल्ली पर दबाव बनाया था।
उन्होंने कहा कि भारत की मिसाइल क्षमता के संदर्भ में अमेरिकी रुख में
बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के रिश्ते में कितना अधिक विकास
हुआ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अब भारत को रणनीतिक साझेदार मानता है,
क्योंकि उसकी आर्थिक और राजनीतिक ताकत बढ़ रही है, जो एशिया में सुरक्षा और
स्थिरता को बढ़ावा देने में योगदान देगी।
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