रविवार, 29 अप्रैल 2012

बीमारियों में अचूक रामबाण है 'नीम' का जूस

      गर्मी आते ही एक चीज की याद सताने लगती है वह है जूस की| अब चाहे वह गन्ने का हो या फिर कोई और| आज हम आपको एक नए जूस के बारे में बताने जा हैं जिसे शायद सुनकर आपको अजीब भी लगे लेकिन यह आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है| जी हाँ हम बात कर रहे हैं नीम के जूस की|


भारत में एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं वहाँ मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। भारत में इसके औषधीय गुणों की जानकारी हजारों सालों से रही है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इसे ग्रामीण औषधालय का नाम भी दिया गया है। यह पेड़ बीमारियों वगैरह से आजाद होता है और उस पर कोई कीड़ा-मकौड़ा नहीं लगता, इसलिए नीम को आजाद पेड़ कहा जाता है। 



नीम एक ऐसा पेड़ है जो सबसे ज्यादा कड़वा होता है परंतु अपने गुणों के कारण चिकित्सा जगत में इसका अपना एक अहम स्थान है। तो आइये जाने नीम जूस पीने के क्या क्या फायदे हैं| 



नीम जूस के फायदे-



आपको बता दें कि नीम जूस पीने से शरीर की गंदगी निकल जाती है। जिससे बालों की क्‍वालिटी, त्‍वचा की कामुक्‍ता और डायजेशन अच्‍छा हो जाता है। इसके अलावा इसके रस की दो बूंदे आंखो में डालने से आंखो की रोशनी बढ़ती है और अगर कन्जंगक्टवाइटिस हो गया है, तो वह भी जल्‍द ठीक हो जाता है। इतना ही नहीं नीम जूस मधुमेह रोगियों के लिये भी फायदेमंद है। अगर आप रोजाना नीम जूस पिएंगे तो आपका ब्‍लड़ शुगर लेवल बिल्‍कुल कंट्रोल में हो जाएगा। 



इसके अलावा मसूड़ों से खून आने और पायरिया होने पर नीम के तने की भीतरी छाल या पत्तों को पानी में औंटकर कुल्ला करने से लाभ होता है। इससे मसूड़े और दाँत मजबूत होते हैं। नीम के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से भी इसमें लाभ होता है। नीम का दातुन नित्य करने से दांतों के अन्दर पाये जाने वाले कीटाणु नष्ट होते हैं। दाँत चमकीला एवं मसूड़े मजबूत व निरोग होते हैं। इससे चित्त प्रसन्न रहता है।



प्रेगनेंसी के दौरान नीम का रस योनि के दर्द को कम करता है। कई प्रेगनेंट औरते लेबर पेन से मुक्‍ती पाने के लिये नीम के रस से मसाज करती हैं। प्रसूता को बच्चा जनने के दिन से ही नीम के पत्तों का रस कुछ दिन तक नियमित पिलाने से गर्भाशय संकोचन एवं रक्त की सफाई होती है, गर्भाशय और उसके आस-पास के अंगों का सूजन उतर जाता है, भूख लगती है, दस्त साफ होता है, ज्वर नहीं आता, यदि आता भी है तो उसका वेग अधिक नहीं होता।

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