मंगलवार, 19 सितंबर 2017

वंशवाद की राजनीति की ओर बढ़ती मायावती



    देश में वंशवाद की राजनीति से अब तक दूर रही बहुजन समाज पार्टी और उसकी प्रमुख मायावती ने भी लगता है इसी तरफ कदम बढ़ा दिया है. इस सोमवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुई पार्टी की रैली के बाद बसपा के सूत्र और राजनीति के जानकार इस नतीजे पर पहुंचते दिख रहे हैं. क्याेंकि 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मायावती अपनी राजनीति, रणनीति और संभवत: पार्टी सगठन में भी बड़े बदलाव के मूड में हैं. बसपा सूत्रों के मुताबिक संभवत: इसी प्रक्रिया के तहत उन्होंने मेरठ रैली में बाकायदा मंच से न सिर्फ भतीजे आकाश को समर्थकों से रू-ब-रू कराया. बल्कि आकाश के पिता और अपने छोटे भाई आनंद को भी परिचित कराया. और यह पहली बार है जब सार्वजनिक मंच से मायावती ने इन पिता-पुत्र को इस तरह पेश किया है.
यही नहीं क़रीब एक लाख समर्थकों की मौज़ूदगी (जैसा बसपा नेताओं का दावा है) वाली इस रैली के दौरान आनंद और आकाश को मंच पर मायावती के साथ जगह भी दी गई थी. हालांकि यूं तो बताया जाता है कि पिता-पुत्र की यह जोड़ी बीते कुछ महीने से लगातार दिल्ली और लखनऊ में होने वाली पार्टी की बैठकों में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रही है. इनमें से आनंद को तो बीती 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती पर ही मायावती पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित कर चुकी हैं.
वहीं लखनऊ में बीते दिनों हुई एक बैठक के दौरान आकाश को उन्होंने ‘भविष्य के पार्टी पदाधिकारी’ के रूप में वहां मौज़ूद नेताओं से परिचित कराया था. और पार्टी सूत्रों की मानें तो इसकी संभावना अधिक है कि मायावती आगे चलकर आकाश को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर आगे बढ़ाएं. वे युवा हैं और सुशिक्षित भी. लंदन से उन्होंने मैनेजमेंट में पोस्टग्रेजुएशन किया है. ऐसे में बसपा समर्थकाें के बीच उनकी अपील ज़्यादा होगी ऐसा माना जा रहा है

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